मंगलवार, जनवरी 26, 2010

हमारे गणतंत्र के साठ वर्ष

सर्वप्रथम सभी भारतीय नागरिकों को भारतीय गणतंत्र की साठवीं वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई।

साठ वर्ष का समय कम है या ज्यादा, इस चीज को निर्धारित किया जायेगा इस बात से कि यह कालखंड किस संदर्भ में है। इस कोण से देखें तो एक राष्ट्र के लिये साठ वर्ष कुछ विशेष मायना नहीं रखते, परंतु देखने वाले जब मनुष्य हों तो यह बहुत छोटी अवधि भी नहीं है। एक इन्सान, यदि वह सौभग्यशाली हो तो इतने समय में जीवन की अनेक अवस्थाओं से गुजरता हुआ, विभिन्न झंझावातों से जूझता हुआ खासा अनुभवी हो चुका होता है। उधर एक देश के हिसाब से, वो भी भारत जैसे देश के लिये, अपने गणतंत्र की साठवीं या सतरवीं वर्षगांठ मनाना अधिक से अधिक अपनी शैशवावस्था से किशोरावस्था में पदार्पण ही लगता है।

देशनामा पर खुशदीप सहगल जी का इसी संदर्भ में लिखा गया पोस्ट बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कई सवाल उठाये जो हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि इस उपलब्धि पर हमें संतुष्ट होना चाहिये या नहीं। वैसे तो साठवें साल का बहुत महत्व है, लेकिन मायने ’मैन टू मैन एंड सिच्युएशन टू सिच्युएशन’ बदलते हैं। कोई खाया-अघाया व्यक्ति जहां साठ साल पूरे करने को ’सीनियर सिटीजन’ बनने की खुशी मनाने का अवसर समझता है, एक निम्नवर्गीय कर्मचारी के लिये इस उम्र में पहुंचने का मतलब होगा कि अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में वह पहले से भी ज्यादा अक्षम हो जायेगा। लेकिन यहां बात हम अपने देश के गणतंत्र के साठ साल पूरे करने की बात कर रहे हैं तो वही बात है कि ’आधा गिलास खाली है या आधा गिलास भरा।’ आज हमें अपने देश पर इतराने के लिये बहुत बातें हैं तो मंथन करने के लिये भी बातों की कमी नहीं है। जी.डी.पी. विकास दर, सर्विस एंड मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में विपुल कार्यबल, चमकते और जगमगाते नगर, रिसर्च क्षेत्र में प्रभावशाली उपस्थिति आदि कुछ बातें जहां हमें अपनी तरक्की के गीत गाने के लिये उकसा रहे हैं, पर्दे के पीछे से अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार, गरीबी, महंगाई, कट्रटरवादिता, आतंकवाद, बिजली-पानी और आवास जैसी मूलभूत जरूरतों की अनुपलब्धता जैसी समस्यायें और भी ऊंची आवाज में चीखकर इस ’इंडिया शाईनिंग’ की छवि को धूमिल कर रही हैं। तरक्की तो हुई है पर क्या इस तरक्की का असर समाज के सभी वर्गों तक पहुंचा है, इस सवाल पर ईमानदारी से सोचें तो शायद दिमाग चकरा जाये। अरबपतियों की संख्या ज्यादा होना, उड्डयन सुविधायें ज्यादा सुलभ होना या ब्रांडेड उपभोग्य वस्तुओं की मांग बडना इस बात का पैमाना नहीं कि भारत ने समग्र विकास कर लिया है, जिस दिन इस देश का हर नागरिक भरपेट भोजन सम्मानजनक तरीके से प्राप्त करते हुये अपने परिवार का भली-भांति पोषण करने में सफल होगा, उसी दिन सही मायने में हमारे लिये होली, दिवाली, ईद, स्वाधीनता दिवस या गणतंत्र दिवस होगा। और हमें आशा रखनी चाहिये कि ’वो सुबह कभी तो आयेगी’ बल्कि ’वो सुबह लाई जायेगी’।

ऐसे ही किसी गणतंत्र दिवस की कामना करते हुये, पुन: सभी भारतवासियों को बधाई।

शुक्रवार, जनवरी 22, 2010

मछली फांसने का चारा

हम तो झूठमूठ ही उपर वाले को कोसते रहते थे कि पता नहीं हमारी किस्मत अच्छी क्यूं नहीं बनाई, नये साल में दूसरी बार अपनी किस्मत पर इतराने का मौका मिला है सो सोचा कि आप सब के साथ भी बांट लिया जाये। कुछ दिन पहले मोबाईल पर एक मैसेज मिला कि हमारे फोन नं. का कोई इनाम निकला है, वो भी ५००,००० डालर का। एक ई-मेल पते पर नाम, फोन नं. और दूसरे डिटेल्स मांगे गये। अभी सपनों में ये पांच लाख डालर खर्च भी नहीं कर पाये थे कि आज हमारे ई-मेल पर स्पैम मैसेज में एक साहब ने ’इन द मोस्ट होली नेम आफ अल्लाह’ एक बिजनेस प्रपोजल भेज रखा है। लगता है अब अपना छ्प्पर फट कर ही मानेगा। आपके त्वरित ध्यान के लिये यह संदेश नीचे कट-पेस्ट कर दिया है।

लगे हाथ एक किस्सा भी बता दें - एक बार एक बिल्ली अपने प्रिय भांजे यानि मूसे के पीछे भाग रही थी। मूसा यानि चूहा जान बचाकर बिल में घुस गया और बिल्ली ने जब आखिरी झपट्टा मारा तो चूहे की पूंछ उसके पंजे में आ गई। बिल्ली ने बाहर से आवाज लगाई,"भांजे, तेरी पूंछ तो बाहर रह गई, ले जा।" बिल के भीतर से चूहे ने कहा, "मौसी, जिंदा रह गये तो यार तो लान्डे(आधे-अधूरे या पूंछ्कटे) ही खा-कमा लेंगे।"

तो साहिबान, हमारा फैसला तो अभी लान्डे रहकर ही खाने-कमाने का है, आप का क्या ख्याल है?

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Business Proposal.

Fri, 22 January, 2010 2:58:02 AM

From:

Mr Salif Ibrahim

To:


FROM THE OFFICE OF MR IBRAHIM SALIF,
BILL AND EXCHANGED MANAGER,
BANK OF AFRICA (BOA),
OUAGADOUGOU BURKINA-FASO, WEST AFRICA .
MAY PEACE BE UNTO YOU AND YOUR FAMILY.
Greetings to you in the most holy name of Allah. I am Mr ibrahim Salif, bill and exchanged manager, Bank Of Africa Ouagadougou republic of Burkinafaso. I need your assistance in transferring the sum of ($30M) million into your account withing 6 to 9 banking days.

This account belongs to one of our foreign customer by name, Dr George Brumely who died along with his entire family in a plane crash some years ago.You can view his website for more details :http://www.cnn.com/2003/ WORLD/africa/07/20/kenya.crash/index.html
I agree that 40% of this money will be for you in respect of the provision of a foreign account, 10% will be set aside for expenses that may rise during the business and 50% would be for me. Thereafter, I will visit your country for disbursement according to the percentage indicated. Reply me if interested. This is my personal email address: (ibrahimsali08@sify.com)
please fill in your personal information’s as indicated below.
Your name in full..................................
Your country..........................................
Your age................................................
Your cell phone.....................................
Your occupation....................................
Your sex................................................
Your International passport..................
Your marital status................................
Your bank name....................................
Best Regards,
Mr IBRAHIM SALIF

Email slow, clunky, unreliable? Switch to Yahoo!Xtra Mail, New Zealand's new email address.

ये सब तो साईबर क्राईम है, क्या हमें इस बारे में कुछ करना नहीं चाहिये?