गुरुवार, फ़रवरी 25, 2010

जब दर्द नहीं था सीने में

आज पता नहीं क्यों वो गाना बहुत याद आ रहा था "जब दर्द नहीं था सीने में तब ख़ाक मजा था जीने में|" जब दो तीन बार लगातार सुना तब एकदम समझदानी के दरवाजे खुल गए| ये बात थी, ..

वाकई, आजकल जीने में बहुत मजा आ रहा है, मजा है कि बढ़ता ही जा रहा है और बढ़ता ही जा रहा है|

सही कहा हुजूर, "जब दर्द नहीं था सीने में तब ख़ाक मजा था जीने में|"

11 टिप्‍पणियां:

  1. जब दर्द हो शरीर में




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    बाम लगाइए

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  2. दर्द का कारण बता देते तो इलाज भी मिल जाता। बढ़िया है, लेकिन जीने के मजे बहुत ज्यादा दिनों तक लूटना अच्छा नहीं।

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  3. @वीनस केसरी
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    .....इसीलिये तो बाम से आराम नहीं आता। पधारने का और सलाह देने का शुक्रिया।

    @ताऊ रामपुरिया
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    येस ताऊजी, आल इज़ भेल दैट एंड्स भेल। थैंक्स।

    @सागर नाहर
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    "इलाजे दर्दे-दिल तुमसे मसीहा हो नहीं सकता,
    तुम अच्छा कर नहीं सकते, मैं अच्छा हो नहीं सकता।"
    बहुत धन्यवाद।

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  4. दर्द मज़ा देता है ..............जब सीने मे हो तो सज़ा देता है...........

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  5. दर्द जीवन साथ साथ चलते हैं. चलने दो.

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  6. @धीरू सिंह
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    ठाकुर साहब, दर्द सज़ा देता है और मज़ा लेता है।
    इस लेन-देन में ही सज़ा और मज़ा है।
    आने का धन्यवाद।



    @पंकज
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    ठीक कहा साहब, चलने देते हैं। पहली बार आने का मान जरूर रखेंगे नहीं तो हम तो पीछे चलने में ही खुश रहते हैं चाहे दर्द के ही पीछे चलें।
    धन्यवाद।

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  7. Geet achchha hai.

    होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें'

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. दर्द मज़ा तो देता है. इसमें कोई दो राय नहीं.

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