रविवार, अक्तूबर 31, 2010

A trial post - ट्राई करने में क्या हर्ज है?

यह एक ट्रायल पोस्ट है,  देखते हैं प्रयोग  कैसा रहता है...
आवाज है मोहम्मद सिद्दीक की, गाना है बहुत पुराना और प्रयोग करने वाला एकदम नया।
कामयाब हो तब भी, और न हो तब भी - अर्चना चावजी का बहुत बहुत धन्यवाद। आपकी मदद से ही यह कोशिश करने की हिम्मत की है। कुछ ऐसे गाने हैं जो आडियो फ़ार्मेट में तो उपलब्ध हैं लेकिन यूट्यूब और दूसरी शेयरिंग साईट्स पर नहीं मिलते।  मैंने दो साल पहले तक ये गाना नहीं सुना था, लेकिन मुझे पसंद आया। साजों की आवाज मधुर और कम, आज के गानों की तरह कानफ़ोड़ू नहीं।  हो सकता है कोई और भी ऐसा हो जो इन्हें पहली बार सुने और पसंद भी कर ले।
हम गा नहीं सकते तो अपना शौक सुनकर और सुनवाकर पूरा करेंगे।



p.s. - जब ये पोस्ट लिखी थी, उस समय सच में आशा नहीं थी कि प्लेयर ठीक से लग जायेगा। इसी आशंका के चलते गीत के बारे में कुछ नहीं लिखा था। कमेंट्स से स्पष्ट है कि आप सब प्यार तो करते हैं मुझसे, यहाँ तक कहा मेरे एक दोस्त ने कि आप की पसंद है तो अच्छा तो होगा ही। मेरी अपनी सोच को दिखाती है  ’सम्वेदना के स्वर’ वाली टिप्पणी - संगीत की कोई भाषा नहीं। शायद ’द ग्रेट गैंबलर’ का गाना है जिसमें कश्ती वाला अपनी भाषा में गाना गाता है और उसका एक  शब्द भी समझ नहीं आता, छलकता है तो सिर्फ़ दर्द, जो कि भाषा का मोहताज नहीं।
इस गाने के बारे में जो थोड़ा बहुत मैं समझ पाया, बताने की कोशिश करता हूँ। ये बहुत पुराने समय की बात है, शायद प्री पार्टीशन की। एक समर्थ स्त्री ने अपने देवर का रिश्ता तुड़वाकर उसी लड़की से अपने लड़के का रिश्ता कर दिया।  वो समय वैसा था, जब जुबान की कदर थी, जीना मरना  छोटी बात समझी जाती थी और आन -बान ज्यादा बड़ी चीज। रिश्ता टूटने पर जो  फ़ीलिंग्स थी, अपमान की और बदला लेने की, उन्हीं को इस गीत में प्रकट किया गया है। वो समझा भी रहा है, धमका भी रहा है, अपने इरादे भी बता रहा है कि अगर दूसरी बारात आई तो खून की होलियाँ खेली जायेंगी और अंत में यह कि दुल्हन को तो वो ही लेकर जायेगा। छुप छुपकर वार करने की बजाय चैलेंज देकर कुछ करना तब का चलन था।
अब हमें तो आप जानते ही हैं, नाम मो सम और काम बेमौसमी, मुझे भी पसंद है ये गाना और मेरे ग्यारह साल के लड़के को भी। समझ पूरी तरह हमें भी नहीं आया लेकिन पसंद है, बस्स। कुछ बैकग्राऊंड आपको बता दी, अगर अब सुनेंगे तो शायद थोड़ा सा और और स्पष्ट हो सके। इस आलोक में अब कुछ लाईनों को सुनेंगे तो देखिये मतलब कैसे साफ़ हो उठेगा -   जे न तेरी मकड़ जई भन्नी, मैन्नूं प्यो दा पुत्तर नहीं मन्नीं(अगर मैंने तेरी अकड़ न तोड़ी तो मुझे मेरे बाप का बेटा मन मानना)       केड़ा जाऊ खेड गुलाली, आ गये जदों बाग दे माली(जब बाग के रखवाले आ गये तो भला कौन है जो गुलेल वगैरह से नुकसान पहुंचा जाये)        मेरा सौ सौ कोह ते टोरा, नींवा किंवे मैं कल(गब्बर की तर्ज प्र कहता है कि मेरा सौ कोस तक रौब है, मैं नीचा कैसे देख लूं) आदि आदि और लास्ट में फ़ाईनल जजमेंट कि अंत में तो दुल्हन उसी ने लेकर जानी है)। मेरी क्षमता कम है, आप सबका प्यार, अपनापर, समझ बड़ी है।  मुझसे बेहतर समझ लेंगे।
असली मकसद अपना उन चीजों को अपनी क्षमतानुसार थोड़ी सी लाईमलाईट में लाना है, जो बदलते समय में प्रोत्साहन के अभाव में दम तोड़ रही हैं। आज से ढाई साल पहले तक मैंने भी इस गायक को और इन गानों को नहीं सुना था, सुना तभी मालूम चला ना?  टैक्सपेयर्स के करोड़ों खर्चकर जैसे गीत बने, उन्हें सुनने की बजाय बैलगाडि़यों को जोड़कर किसी लोकल कलाकार द्वारा गाया गया गीत मुझे तो ज्यादा पसंद आता है। सबकी पसंद अपनी अपनी।       इसे अपने मोबाईल में भी डाल रखा है और यकीन मानिये, कई बार ट्रेन में आते जाते हुये ऐसा हुआ है कि कोई कोई सिरफ़िरा आकर बैठ जाता है और फ़रमाईश करके सुनता भी है।          
गिलहरी से जो हो पायेगा, करेगी।  सेतु तो बनेगा ही, अपनी आहूति तो डाल ही देंगे।
हो गई पूंछ लोमड़ी से भी लंबी, पर आप सबके भरोसे कर लेता हूँ कुछ भी और फ़िर कह देता हूँ,,,देखी जायेगी......
आभार अकेली अर्चना जी का नहीं है, आप सबका है जो मुझे झेल लेते हो। नहीं तो मैं बहुत अझेल हूँ, सच में....

30 टिप्‍पणियां:

  1. भाई साहब सबसे पहले तो नये प्रयास के सफल होने की शुभकामनाये।

    गाना सुनने मे तो अच्छा लगा, बहुत कर्णप्रिय संगीत है। लेकिन पंजाबी ना समझ पाने के कारण समझ मे नही आया।
    आशा करता हूँ भविष्य मे कुछ सब तरह के गाने सुनने को मिंलेगें।

    एक बार फिर बधाई ।

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  2. अब लगता है स्पीकर नया लाना ही पड़ेगा......
    ये हाँ ये तकनीक भी आपसे सीखनी पड़ेगी.


    “दीपक बाबा की बक बक”
    क्रांति.......... हर क्षेत्र में.....
    .

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  3. धुन तो कर्णप्रिय है, folk tune लगती है, 'ये देश है वीर जवानों का' से काफी मुलती जुलती है, शायद फिल्म में इसी से प्ररित हो कर ली गयी होगी, आवाज़ काफी बुलंद है, बोल तो ज्यादा समझ नहीं आयें, कुछ प्रवंचन नुमा लगता है.. जो भी है, गाना सुनाने लायक है ...... अच्छा प्रयास है... और संकलन करें ....

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  4. ..

    मित्र संजय,
    संगीत और धुन वास्तव में काफी मधुर है.
    पूरा सुना तो लगा इसका अर्थ भी जानूँ
    "हा हा कार मचा दूँगा. "
    ओज गुण में इस गीत में किस कथा को गाया गया है जानने की इच्छा हो गयी है.
    कृपया संक्षेप में अपनी सुविधा से अवश्य बताना तो अच्छा लगेगा.

    आपकी पोस्टों को पढ़कर हमेशा मुस्कुराता हूँ.

    ..

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  5. बधाई सफलता के लिए...प्रयास करो तो सफलता तो मिलती ही है देर सबेर.

    गाना सुनकर आनन्द आ गया.

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  6. आपकी हिम्मत की दाद देती हूँ............आपका शौक पूरा होता रहे ...और हमारा भी ....

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  7. गीत का संगीत मधुर है . पंजाबी मे होने के कारण अर्थ नही समझ पाया .

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  8. गजब दा पिरोग्राम है जी तुव्डा! बेहतरीन!

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  9. ਤ੍ਵਾਡਾ ਪ੍ਰੋਗ੍ਰਾਮ ਚਂਗਾ ਹੈ ਜੀ!

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  10. plug-ins नहीं चल रहे, कल सुनता हूँ सर जी.
    पर आपका चुना गाना है तो स्पेशल ही होगा.....पंजाबी है??

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  11. संजय बाऊजी.. मजा आ गया... एक्स्पेरिमेंट या ट्रायल क्या था,ये तो नहीं समझ में आया... लेकिन इस गाने ने ग़ज़ब समाँ बाँधा है... गाने के बोल बिकुल समझ नहीं आए, लेकिन फिर भी पंजाब की लोक धुन की महँक दिल से महसूस की जा सकती है... चुँकि यह लोक धुन है, इसलिए वाद्य यंत्र भी लोक संगीत की याद दिलाते हैं... खुश कित्तईं!!

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  12. संजय जी, अपने दुबई प्रवास के दौरान मेरे एक पाकिस्तानी परिवार के साथ बड़े घनिष्ठ सम्बंध बने, जो आज भी कायम है. वे पकिस्तान के चीनी बॉर्डर वाले इलाके हुंज़ा के रहने वाले थे और उनकी भाषा बिल्कुल ही अलग थी, जिसका एक भी शब्द अपने पल्ले नहीं पड़ता था. एक रोज़ उनके साथ हम अबू धबी की लम्बी यात्रा पर गए, तो रास्ते भर उनके कार में हुंज़ायी भाषा के गाने बजते रहे. उनमें से एक गाना इतना मधुर था कि मैं बँध सा गया. भाई साहब ने मुझे हर लाइन का मतलब समझाया. और यकीन मानिये लौटते वक़्त, उसी धुन पर वो गाना मैंने उर्दू में तर्जुमा कर दिया और उनको गाकर भी सुना दिया. अबकी मुग्ध होने की बारी उनकी थी.
    इसको कहते हैं संगीत का जादू... किसी भी लफ्ज़ को समझने की ज़रूरत नहीं, बस रूह से महसूस करो!! इस गीत में भी वही रूहानी कशिश है!! अच्छा लगा आपका ट्रायल रन!!

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  13. भाई जी, बहुत अच्छा!
    इसके हिंदी अनुवाद की दरख्वास्त लगा रहा हूँ, अगली पोस्ट में पूरी हो जाए तो भला हो|

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  14. ਬਾਉ ਜੀ, ਨਮਸਤੇ!
    ਘਟ ਸਮਝ ਆਯਾ ਪਰ ਜਿੰਨਾ ਵੀ ਆਯਾ ਸ੍ਵਾਦ ਆਯਾ, ਨਜ਼ਾਰਾ ਆ ਗਯਾ!
    ਲਗਦਾ ਹੈ ਸਿਦ੍ਦਿਕ ਨੂ ਸੁਣਨਾ ਹੀ ਪੈਣਾ ਹੈ!
    ਤੁਸ੍ਸੀ ਅੱਗੇ ਵੀ ਰੇਕੋਮੇੰਡ ਕਿੱਤਾ ਸੀ, ਪਰ ਏਤ੍ਥੇ ਫਿੱਲੌਰ ਚ ਮਿਲਯਾ ਨੀ.....
    ਨਯਾਹਨਾ ਵੀਰ,
    ਆਸ਼ੀਸ਼
    --
    ਪਹਿਲਾ ਖੁਮਾਰ ਔਰ ਫੇਰ ਉਤਰਾ ਬੁਖਾਰ!!!

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  15. @ Poorviya:
    अमां ऐसे कैसे राहत मिल जायेगी? ये पोस्ट भी लंबी कर दी और आगे से और भी लंबी पोस्ट आयेंगी। बचने का एक ही उपाय है, जस्ट इग्नोर। हा हा हा।

    @ सम्वेदना के स्वर:
    जो मैंने कहा नहीं था(इस तरीके से कह ही नहीं सकता था) वो आपका कमेंट कह गया।
    एक पर्सनल रिक्वेस्ट - वो गाना मुझे मेल करिये, मुझे भी मुग्ध
    होना है।

    @ smart indian:
    आपका हुकम सर-माथे पर। अगली पोस्ट किसने देखी है जी? जो थोड़ा बहुत पता है, इसी पोस्ट में एडिट करके लिख दिया है।

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  16. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  17. आधे घंटे से कोशिश कर रहा हूं ना वो बजा , ना मैं सुन पाया , बस महसूस ही कर रहा हूं कि उसकी शिकायत क्या थी ?
    ज़रूर अपने कम्प्यूटर की ही खता रही होगी जनाब जो हम आपकी कामयाबी का जश्न नहीं मना पाये !


    [ शिकायत खुद आपने लिख कर बताई और कामयाबी की पुष्टि दीपक द्वय ने कर ही दी है ]

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  18. @असली मकसद अपना उन चीजों को अपनी क्षमतानुसार थोड़ी सी लाईमलाईट में लाना है, जो बदलते समय में प्रोत्साहन के अभाव में दम तोड़ रही हैं

    हम भी गिलहरी के साथ हैं जी

    मुझे दूसरी भाषाओँ के सभी गाने [जो सुरीले होते हैं ] पसंद आते हैं , ख़ास तौर से तमिल और तेलुगु

    वैसे आपकी पोस्ट के मूल उदेश्य से थोडा लग सकता है पर ये गाना सुनिए और देखिये , ये गाने से पैदा होने वाली क्रोध की ऊष्मा को कम करेगा :))

    http://www.youtube.com/watch?v=VQIJz75Z1vI

    (बड़ी मुश्किल से ढूँढा है )

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  19. संगीत सुनकर बहुत अच्छा लगा। धुन के अतिरिक्त शब्दों की लय भी है इसमें।

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  20. sangeet badiya.............
    translation hota to sone me suhaga ho jata.

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  21. मैं कैसे ट्राई करूँ , अर्चना जी के द्वारा गाये गीत को कैसे अपलोड करूँ आता ही नहीं ! और ब्लाग जगत के मशहूर लोग खुद सीख कर ट्राई कर लेते हैं और किसी को सिखाते नहीं ! अब क्या करें ..??

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  22. @ गौरव,
    गिलहरा खुश हुआ। लिंक पर गाना सुन लिया, ऐसे गाने सुनने को मिल जायें तो शौक से सुनता हूँ, हाँ सर्च करके नहीं सुनता\देखता, और भी गम(काम) है जमाने में:)
    क्रोध की उष्मा - सारे नये विज्ञापन बुरे भी नहीं होते दोस्त, ’दाग अच्छे हैं’ याद है?

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  23. मैंने कहा था "स्पेशल" ही होगा...अभी modification है...awesome है सर जी..
    मुझे संगीत पसंद आया, बोल बहुत ज्यादा पसंद आए...कितने समझ आए ये अलग प्रश्न है, पर जो आए बहुत ज्यादा पसंद आए..

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  24. संजय जी! मुझे तो पहली मरतबा ही गाना सुनने में परेशानी नहीं हुई... आपकी फ़रमाईश पूरी करने की कोशिश करूँगा!!

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  25. मुझे तो हिंदी गानों के बोल पहली बार में समझ नहीं आते है तो पंजाबी क्या आयेंगे | सब सर के ऊपर से निकाल गया |


    आज कल सारी महिलाए दो कामो में व्यस्त है एक जो सबसे बड़ा सरदर्द है दिवाली की सफाई

    दूसरा वो जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है शोपिंग |

    और जवाबी हमले का जवाब जल्द दिया जायेगा |:-))

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  26. देर आये दुरुस्त आये। बहुत अच्छा लगा ये प्रयोग। बधाई।

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