गुरुवार, दिसंबर 12, 2013

द आयरन मैन - The Iron Man

ससुराल जाने का चाव सबको होता है बेशक घूम घूम कर और झूम झूम कर गा लें कि ’मैं ससुराल नहीं जाऊँगी, डोली रख दो कहारो।’  पहली बार ससुराल जाने का अवसर आया तो हमारे फ़त्तू को भी पूरा चाव था। सज धज कर मन में भावी सेवा टहल के ख्याल लिये जनाब ससुराल पहुँच गये। पुरजोर मौखिक स्वागत हुआ। भोजन का समय हुआ और जिज्जाजी जीमने के लिये तैयार हुये तो साली ने बथुए की रोटी पेश की। 

फ़त्तू को धीरे से झटका लगा, पूछा, "बथुए की रोटी?’

साली चहकी, "जिज्जाजी, बथुए में घणा आयरन होय सै।"फ़त्तू आयरन की गोली समझकर जीमने लगा। रात में रोटी तो सादी थी लेकिन साथ में सब्जी जरूर बथुए की थी।

जिज्जाजी के हावभाव देखकर साली ने फ़िर कहा, "जिज्जाजी, बथुए में घणा आयरन होय सै।" फ़त्तू ने वो आयरण सप्लीमेंट भी पेट के हवाले किया। अगले दिन सुबह बथुए के परांठे और दोपहर में रोटी के साथ बथुए का रायता - फ़त्तू ने कुछ कहने के लिये मुँह खोला और जवाब में साली ने फ़िर बथुए में घणा आयरन होने का पुराण खोला।  

फ़त्तू तसल्ली से उसकी बात सुनकर बोला, "बथुए में आयरन की तो मैं जाणूं सूँ पर चार चार बेर बथुआ प्रोडक्ट बनाके खिलाने की तकलीफ़ क्यों करते हो? थारे घर में कोई तीन-चार फ़ुट का आयरन-रॉड रखा हो तो सीधे ही झंझट निबटाओ न, खामेख्वाह बथुए की ऐसी तैसी करण में जुट रहे हो।"



कुर्सी के लिये छीना-झपटी, क्रय-विक्रय, जोड़-तोड़ देखने के अभ्यस्त हम दिल्ली वाले राजनैतिक पार्टियों के बदले अंदाज को देखकर फ़त्तू बने हुये हैं। जिसे देखो वही कह रहा है कि हम सरकार नहीं बनायेंगे और प्रकट यह कर रहे हैं कि इससे भला जनता का होना है।  दिल कर रहा है कि फ़त्तू की तरह कह दूँ ’साली’ पार्टियों से कि लोकतंत्र का जो आयरन सप्लीमेंट हमें देना है वो सीधे तरीके से एक ही बार दे दो न, खामेख्वाह बथुए की ऐसी तैसी करण में जुट रहे हो:)

48 टिप्‍पणियां:

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    1. दिल्ली का बदलाव कष्टदायक नहीं लगा, पार्टियों द्वारा परिणाम पश्चात के निर्णय कष्टदायक हैं। जनादेश को मानते हुये सरकार बनानी चाहिये और घोषित लक्ष्यों को प्राप्त करके दिखाना चाहिये। सत्ता से बाहर रहकर आलोचना करना ज्यादा आसान है।

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    4. चिंता मत कीजिए 'आप' ने चिंतन शुरू कर दिया है ... कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का. रिश्ते कभी छुपते नहीं कभी न कभी सामने आ जाते हैं... समझदार लोग शुरू से कह रहे थे... 'आप' कांग्रेस की 'बी' टीम हैं.

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    5. आज भी आप सब अपने स्टैंड पर कायम हैं या कुछ बदला भी है.

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  2. आयरन लेना शुरू करना चाहिए :), फत्तू की ससुराल कैसे जाया जाय !

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  3. छोरा चक्रव्‍यूह में तो कूद गया अब निकलने का बैरा कोनी।

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संसद पर हमला, हम और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. क्यों नही 'आप' के नव-निर्वाचित विधायक आज से ही सड़कों पर उतरते हैं, यह देखने के लिए कि कहीं सरकारी अस्पतालों में गरीबों को इलाज से वंचित तो नही किया जा रहा है? कहीं पुलिस थानो में आम आदमी की शिकायतों को अनदेखा तो नही किया जा रहा है? दफ्तरों में रिश्वत का जो निज़ाम चलता है, उससे लोगो को बचाने की कोशिश करनी चाहिए. उनको देखना चाहिए कि कहीं सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस जाम हटाने की जगह आज भी चालान का डर दिखा कर अपनी जेबें तो नही भर रही है? आज भी सड़कों पर अवैध पर्किग के द्वारा जनता को परेशान किया जा रहा है, दुकानदारों के द्वारा सड़कों पर अवैध कब्जा किया जा रहा है, ऐसे में इनका फर्ज़ है कि ध्यान दें कि शिकायत संबंधित विभागों में की जा रही है और एक्शन लिया जा रहा है या नही?

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    1. देखने की नहीं अब इनसे करने की अपेक्षा रखनी चाहिये।

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  6. दोनों सही हैं किसी के पास भी वो जादुई ऑंकडा नहीं है , तीसरी का समर्थन कोई लेना नहीं चाहता,तो सरकार कैसे बने?

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  7. पहली बात "साली " अगर चाहे तो आपत्ति दर्ज कर सकती हैं।ध्यान दे अब ये सब अपराध हैं ,स्त्री को गाली :) देना यौन शोषण कि परिधि में आ गया तो ये आलेख आप को "आप " भी नहीं बचा सकते हैं।

    आइरन कि कमी को दूर करने के लिये बथुए से ज्यादा पालक फायेदे मंद हैं हैं , अपने फत्तू को समझा दे अगली बार ससुराल जाए तो वहाँ बता दे
    बाई दा वे बथुए से पैट ज्यादा साफ़ रहता हैं इस लिये ससुराल वाले इसको ज्यादा परोसते हैं।
    चलते चलते
    @ससुराल जाने का चाव सबको होता है बेशक घूम घूम कर और झूम झूम कर गा लें कि ’मैं ससुराल नहीं जाऊँगी, डोली रख दो कहारो।’

    अब अगर फत्तू ये गाना गा कर ससुराल पहुचा हैं तो संजय जी कहीं ना कहीं तो कुछ गड़बड़ हैं धारा ३७७ के तेहत फत्तू के खुद ही फसने का डर हैं हमे तो , फत्तू गया तो क्या होगा :)

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    1. स्त्री को गाली कौन साला दे रहा है? :) मेरे कोण से पढ़ेंगी तो रूपक में जैसे साली(रिश्ते वाली न कि गाली वाली) ने आयरन-आयरन कहके अपने जीजा के नाक में दम कर दिया था ऐसे ही पार्टियों ने जनता की नाक में दम कर दिया है - मुझे ऐसा लगा।
      बथुआ हो या पालक, आयरन इनटेक का सरल फ़ार्मूला वही रहेगा :)
      ’बिट्वीन द लाईंस’ में आप भी मेरी ही तरह निकलीं :) रही बात फ़त्तू की तो वो बचा ही कहाँ है, आलरेडी फ़ँसा हुआ है।

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    2. (रिश्ते वाली न कि गाली वाली)
      ’साली’ पार्टियों से objection me lord :):)

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    3. ओके, भविष्य में गाली जैसे लगने वाले साली जैसे शब्दों के प्रयोग में विशेष ध्यान रखा जायेगा ताकि कन्फ़्यूज़्न न हो:)

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  8. मुझे तो समझ नहीं आ रहा है की आप का भाजपा ( ये आप आप के लिए है और इतने सालो से आप को पढने के बाद ये पक्के तौर पर लिख सकती हूँ आप का भाजपा ) में तो कई लौह पुरुष है उन्हें तो बाहर से आयरन की जरुरत ही नहीं है पूरी की पूरी आयरन की खेप दूसरे है दुनिया से लोहा मांग रहे है और कइयो से लोहा ले रहे है ताकि तथा कथित दूसरे के लौह पुरुष की मूर्ति बना सके तो वही सरकार बना कर क्यों नहीं जनता को भी कुछ आयरन दे देते , काहे को नौ शौ चूहे खा कर बिल्ली हज मतलब की अयोध्या चली :)))

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    1. आपने ठीक समझा, अन्य पार्टियों के मुकाबले (हमेशा नहीं लेकिन अधिकतर मामलों में) भाजपा की राजनीति मुझे ज्यादा पसंद है।
      दूसरे वाले लौह पुरुष दुनिया से लोहा उनकी सहभागिता के लिये मांग रहे हैं, इन्वॉल्वमेंट के लिये।
      सरकार न बनाने के दोषी दोनों दल हैं, टिप्पणीकर्ताओं ने ’आप’ के बारे में जरूर लिखा है लेकिन मैंने सम्मिलित रूप से दोनों के बारे में लिखा है। हाँ, ’आप’ पर इस बात के लिये ज्यादा अपेक्षा है और भाजपा कम दोषी इसलिये है क्योंकि उन्हें बिना शर्त समर्थन नहीं मिला है।

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  9. रे फत्‍तू , दि‍ल्‍ली वालों को भी तीनों ने मि‍ल के बथुआ खि‍लाना शुरू कि‍या हुआ है, कुछ अक्‍ल इनको भी दे

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  10. ये तो छछूंदर बन गया है अब .. दिल्ली ना खाते बन रही है न निगलते ...
    नूरा कुश्ती तो नहीं हो रही अब तीनों में ...

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  11. मैंने आम आदमी पार्टी को वोट दिया ताकि दिल्ली में उनकी सरकार बने इसलिए मैं तो चाहता हूँ कि अगर मौका मिलता है (जो कि भाजपा के पीछे हटाने के बाद "आप " को मिलेगा ही ) तो आम आदमी पार्टी सरकार जरुर बनाये और अपने एजेंडे को पूरी सख्ती के साथ लागु करे। चुनाव तो होना ही है चाहे अल्पमत सरकार बने या ना बने तो क्यों न आम आदमी पार्टी आम जनता कि भावनाओ का सम्मान करे ।

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    1. परसों शाम मेट्रो में मैं ’आप’ के कुछ कार्यकर्ताओं से यही बात कहने लगा तो उनका मत था कि कांगेस वाले सरकार चलने नहीं देंगे। मैंने कहा कि अगर न चलने देंगे तो जनता के सामने वही तो एक्स्पोज़ होंगे। उनके कहने के अनुसार जनता ये सब नहीं समझती, जवाब में मैंने कहा कि जनता आपको अठाईस सीट दिलवाये तो समझदार हो गई है और इस बात पर जनता समझदार नहीं, कमाल है। वो कहने लगे कि अगले इलेक्शन में हम क्लियर मेजोरिटी में आयेंगे तभी सरकार बनायेंगे, मैंने कहा कि उस समय आप कहियेगा कि दो-तिहाई बहुमत नहीं मिला तो बिल पास नहीं होगा, फ़िर इलेक्शन करवाओ। फ़िर स्टेशन आ गया और उनकी लोकसभा चुनाव के लिये तीसरे मोर्चे वाली कवायद पर चर्चा नहीं हो सकी :(
      मैंने उन्हें वोट नहीं दिया लेकिन मैं भी चाहता हूँ कि वो सरकार बनायें और अपने एजेंडे को सख्ती से लागू करें। फ़िर मुझ जैसे कई जो किसी के अंधसमर्थक नहीं हैं वो भी उनके वोटर बन जायेंगे।

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    3. किसी की छवि बनाने बिगाड़ने में मीडिया और दूसरे प्रचार माध्यमों का रोल भारत जैसे देश में बहुत बड़ा है। नरेन्द्र मोदी बहुत समय से और बहुत से मोर्चों पर टार्गेट रहे हैं, इन सबसे पार पाते हुये कोई अपना एक स्थान सुनिश्चित करता है तो यह एक बड़ी बात है। मोदी जी को सोलह कला संपूर्ण हम भी नहीं मानते। उपलब्धता में से चुनाव करना हो तो मुझे आज भी सर्वश्रेष्ठ विकल्प वही लगते हैं।
      राम-रूप वाले पोस्टर से तो मुझे भी ऐतराज था लेकिन इन मामलों में हम सब emotional fools हैं। किसी खिलाड़ी को, फ़िल्मी कलाकार को, नेता को महामानव मानते हैं तो फ़िर हम लोगों के लिये मानव से ऊपर भगवान ही दिखता है। यहाँ तक कि धुर विरोधी होते हुये भी बाजपेयी जी ने 71 की लड़ाई के बाद इंदिरा गांधी को दुर्गा का अवतार बताया था, याद है?
      हमारी तो भरपूर कोशिश और प्रार्थना रहेगी कि कम से कम ’आप’ हत्थे से न उखड़े:)

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    5. पूछने की जरूरत ही नहीं है, बिना शर्त समर्थन मिल जाये तो वो जरूर सरकार बनायेंगे और नहीं बनायेंगे तो यही सब पब्लिक से सुनेंगे जो आज वो लोग सुन रहे हैं जिन्हें बिना शर्त समर्थन मिलता है और फ़िर भी वो सरकार नहीं बना रहे।

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  12. सब अपनी इज्जत का कचरा होने नहीं देना चाहते .कोई दूसरी पार्टी को तोड़ने की तोहमत नहीं लेना चाहता.....वैसे कई वर्तमान और पूर्व विधायक अपने-अपने इलाकों में उतर चुके हैं अगले चुनाव की तैयारी के लिए..पूर्व विधायकों का कहना है कि पिछली बार हल्के से लिया है अब ऐसी नहीं गलती करेंगे...

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  13. आप और आपका फ़त्तू ...देतें है उठा -उठा के ,पटक के .... किसी को बख्शते नहीं हैं .... :-)

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  14. दिल कर रहा है कि फ़त्तू की तरह कह दूँ ’साली’ पार्टियों से कि लोकतंत्र का जो आयरन सप्लीमेंट हमें देना है वो सीधे तरीके से एक ही बार दे दो न, खामेख्वाह बथुए की ऐसी तैसी करण में जुट रहे हो:)
    BHAISAHAB PRANAM AAPANE MERE DIL KI BAAT KAHA DI ****
    CHARAN WANDANA SWIKAREN AAPAKE SPASHTWADITA KE LIYE

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    1. सिंह साहब, आपका अनुज होकर ही अपनी पीठ थपथपा लेता हूँ और आप हैं कि शर्मिंदा करते हैं। मेरे अनुरोध पर ध्यान दें, आशीर्वाद देने का औदार्य दिखाया करें।

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  16. ये फत्तू जी बड़े कमाल के हैं , साली ने जो सच्ची का सालीपना दिखाते हुए रॉड ठोक क दी तो जानेंगे कि साली का साली होना क्या होता है !
    आप से उम्मीदे तो बहुत थी , हैं भी देखते कब तक आप ही बने रहे। उनके लिए बहुत शुभकामनायें क्योंकि हाल फिलहाल सबसे अधिक आवशयकता उन्हें ही है !

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  17. बथुआ में राजनैतिक आयरन पूरा घुसेड़ दिया आपने! ..आनंददायक।

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  18. सच कहा एक बार में जो करना हो, कर डाला।

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  19. मेरा मन तो आपकी तुलना देखकर ही मुग्ध हो रहा है.. कमेण्ट कुछ नहीं करुँगा!!

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  20. एक कोससन था सर जी - ये आयरख्यानों (anecdotes) का स्टॉकपाइल है या हर दुर्घटना के अनुरूप मेड तो ऑर्डर मँगवाते हैं जी?

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    1. सरजी, हैगा तो स्टॉकपाईल लेकिन किसी खास मौके पर ही (अन)लॉक्पाईल हो पाता है।

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    2. ab jake 'sahi-sahi' samjha.....


      o kya hai ke, aap baating (post) karte hain 'shrikant' ki tarah aur bowling (prati-tippani) karte hain 'chuhan' (chetan) ke tarah..........

      aaj-kal 'gap' adhik hone laga hai...........balak ka 'mijaj' ....'machalta' rahta hai ...........aise jhannatedar cha fannatedar post ke liye.........

      pranam.

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  21. अब तो कमेंट करने के लिए कुछ बचा नहीं.... बस हंस-हंस कर फत्तू के जवाब का आनंद उठा रहा हूँ.... फत्तू दी ग्रेट

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  22. अब मैं क्या कहूँ.... सारा आयरन निकल ही चुका है दिल्ली वालों का

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