tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post3643153604011629638..comments2023-12-21T16:22:10.490+05:30Comments on मो सम कौन कुटिल खल कामी.. ?: पार्क. पेट दर्द और पुलिससंजय @ मो सम कौन...http://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-72042263002740511642018-03-22T11:04:15.512+05:302018-03-22T11:04:15.512+05:30फत्तू से मिलना है
फत्तू से मिलना है <br />खरसूपhttps://www.blogger.com/profile/07770444742341857753noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-69401086810675833912010-08-22T22:37:15.009+05:302010-08-22T22:37:15.009+05:30badhaayi.......badhaayi.......manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-75999536235014792382010-08-22T22:36:57.083+05:302010-08-22T22:36:57.083+05:30sunder rachanaa...sunder rachanaa...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-55542045243917887312010-08-20T20:36:14.741+05:302010-08-20T20:36:14.741+05:30आपके द्वारा दिए गए लिंक के माध्यम से एक नहीं अनेक ...आपके द्वारा दिए गए लिंक के माध्यम से एक नहीं अनेक गीत सुने.आनंद आ गया.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-55595951962134948972010-08-20T09:01:15.944+05:302010-08-20T09:01:15.944+05:30मतलब श्रीमान जी बचपन से ही ऐसे ही थे..... :-)मतलब श्रीमान जी बचपन से ही ऐसे ही थे..... :-)Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-64806663094716014582010-08-20T01:44:42.471+05:302010-08-20T01:44:42.471+05:30:):)दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-59742876496261771512010-08-19T23:34:54.719+05:302010-08-19T23:34:54.719+05:30@ प्रवीण पाण्डेय जी:
इस प्रतीक्षा का फ़ल शायद इतना...@ प्रवीण पाण्डेय जी:<br />इस प्रतीक्षा का फ़ल शायद इतना मीठा न लगे, झेल लीजियेगा सर:)<br /><br />@ सम्वेदना के स्वर:<br />हमें तो आशा है जी कि और बड़ा सट्टीफ़िकेट मिलेगा, काजल की कोठरी से बेदाग निकलने का। हम बहुत आशावादी हैं जी।<br /><br />@ अदा जी:<br />बिगड़ती काहे हैं जी? हम तो ई कह रहे थे कि आप भी हमारी बात पर यकीन कर लेती हैं क्या? बुरा लगा तो जी माफ़ी मांग लेते हैं, हम कोई छोटे नहीं हो जायेंगे आपके आगे अपनी गलती मानने से। वैसे भी मंगते बहुत इस्टाईलिश हैं हम।<br /><br />@ दीपक:<br />शुक्रिया कहना भी नहीं दोस्त, हमारे भाव तुम तक पहुंचे, बहुत हैं। <br /><br />@ काजल कुमार जी:<br />भाई साहब, आपसे इतने शब्दों की टिप्पणी पा लेना ही बहुत बड़ा ईनाम है। धन्यवाद आपका।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-68847355223564802372010-08-19T23:01:07.203+05:302010-08-19T23:01:07.203+05:30मैं भी पहले पहरे से एकदम सहमत हूं. गर्मियों की छुट...मैं भी पहले पहरे से एकदम सहमत हूं. गर्मियों की छुट्टियों में जून की भरी दोपहरियों में छत पर नंगे पांव पतंग उड़ाते थे हम, एक पैर के बल खड़े होकर (दूसरा पैर बारी बारी से नीचे रखने में तब काम आता था जब पहला पैर जलने की पराकाष्ठा पार करने लगता था). नंगे पैर छत से आवाज़ नीचे नहीं जाती थी, जहां मां वर्ना चिल्लाने को हमेशा तैयार बैठी मिलती थी :) आज AC-AC करते नहीं अघाते, गिरगिट हैं शायद हम लोग.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-6782257436183659892010-08-19T03:51:50.410+05:302010-08-19T03:51:50.410+05:30देर से आया लेकिन संतोष है कि एक लाजवाब पोस्ट को पढ...देर से आया लेकिन संतोष है कि एक लाजवाब पोस्ट को पढ़ने से वंचित नहीं हुआ.. पिछली पोस्ट पर समय नराधम ने नहीं आने दिया.. लेकिन सब एक साथ पढूंगा किसी दिन लम्बी छुट्टी में.. याद करने और स्नेह के लिए क्या कहूं?? शुक्रिया तो कहूँगा नहीं.. :)दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-48359060977535962842010-08-19T02:46:02.983+05:302010-08-19T02:46:02.983+05:30@ संजय जी ..
आप भी का माने ?
ऊ तो मेरा बचवन लोग कह...@ संजय जी ..<br />आप भी का माने ?<br />ऊ तो मेरा बचवन लोग कह रहा था ...ई अंकल कुछ जाने पहचाने लग रहे हैं....<br />हाँ नहीं तो...!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-39718626003944318652010-08-18T22:00:03.211+05:302010-08-18T22:00:03.211+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.कामरूप 'काम'https://www.blogger.com/profile/12569137263273936234noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-38063278896755831432010-08-18T21:28:53.948+05:302010-08-18T21:28:53.948+05:30हम तो ऐसे खोए (खोए की मिठाई वाले नहीं लॉस्ट इन योर...हम तो ऐसे खोए (खोए की मिठाई वाले नहीं लॉस्ट इन योर पोस्ट वाले) कि भूल गए टिप्पणी देना. खै सुबह पढने के बाद भूले थे अभी याद आया तो भूला थोड़े ही न कहाएगा... एकदम जबर्दस्त पोस्ट है... मगर जिन जगहों का ज़िक्र है और जिस समय का वर्णनह्है उसको देखकर तो मुझे लगता है कि समीर बाबू अपना स्र्टिफिकेट खारिज कर देंगे.. चलिए, अब तो भेद आगे ही खुलेगा!! तब तक हम भी इंतज़ार करते हैं... फत्तू का स्वाल बड़ा जेनुइन है... जा तन लागे सो तन जाने!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-27088948059702003352010-08-18T20:49:50.480+05:302010-08-18T20:49:50.480+05:30सूप पिला कर भूख बढ़ा गये, अब प्रतीक्षा?सूप पिला कर भूख बढ़ा गये, अब प्रतीक्षा?प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-35859107304496878262010-08-18T20:40:35.921+05:302010-08-18T20:40:35.921+05:30@ वाणी जी:
मेरे डैशबोर्ड पर तो आती है जी नज़र।
@ ...@ वाणी जी:<br />मेरे डैशबोर्ड पर तो आती है जी नज़र।<br /><br />@ दीप एवं प्रतुल जी:<br />बंधुओं,<br />बस आभार व्यक्त कर सकता हूँ। आठ दस महीनों की बात है जी, दिल्ली आने पर आप लोगों से जरूर मिलते रहना है,टाईम खोटी करने के लिये कमर कसे रहना आप लोग।<br /><br />@ समीर सर:<br />सरजी, अब तो आपने सर्टीफ़िकेट दे दिया है मासूमियत का, अपनी मार्केट वैल्यू और बढ़ जायेगी। आप उत्साह बढ़ाते रहते हैं,धन्यवाद।<br /><br />@ अन्शुमाला जी एवं शमां जी:<br />मुझे तो लगता है कि बचपन का जीवन ही असली जीवन था। आभार आपका।<br /><br />@ अन्तर सोहिल एवं अर्चना जी:<br />शुक्र मनाना चाहिये जी हमारा, ओवरडोज़ नहीं होने देते। टुकड़ों में बोर करते हैं कि बंदा बुरा ही न मान जाये कहीं। <br /><br />@ अली साहब:<br />बड़े भाई, आज चूक गये आप भी। हमारी ललित कला अकादमी दस महीने चलती थी जिन दिनों में स्कूल खुले होते थे। बाकी दो महीने तो हमें मरने की भी फ़ुर्सत नहीं होती थी जी।<br /><br />@ सतीश पंचम जी:<br />भाई जी, सच में बेशऊर है ये फ़त्तू। देख लो आपकी पिछली पोस्ट पर कमेंट तक नहीं करने दिया। आभार आपका।<br /><br />@ अविनाश:<br />कविवर, मिलाओ हाथ। कम से कम बचपन की कुछ बातें मिलती हैं अपनी। थैक्यू, अविनाश। तुम जैसे शब्दों के जादूगर से तारीफ़ सुनकर अजीब हाल हो जाता है। छोटे भाई, खूब तरक्की करो।<br /><br />@ गोदियाल जी:<br />रांग नंबर लग गया दीखे है जी, किसी गुरूजी को कमेंट किया है आपने और पोस्ट यहाँ हो गया है। शर्मिन्दा मत किया करें, गोदियाल जी, प्लीज़।<br /><br />@ अनुराग सर:<br />वड्डे उस्तादजी, <br />हमारी तरह हाथ में संटी लेकर जाते,<br />फ़िर भला कहां से कुत्ते नजर भी आते।<br /><br />@ अदा जी:<br /> हे भगवान, तो क्या आप भी.?<br /> @अब क्या करें हमारा दिल ही ऐसा है.....हा हा हा ..सुपर्ब ...<br />ऐसे हम और ऐसे ही हमारे सगे, हमारा स्वभाव भुरभुरा सा और जिनके हम प्रशंसक बने, उनका दिल सुपर्ब। लो जी, और ज्यादा आभारी हो जाते हैं आपके, हां नहीं तो....।<br /><br />@ ताऊ जी:<br />आभारी हूँ ताऊजी,<br />राम राम।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-45959395264565402922010-08-18T20:36:30.980+05:302010-08-18T20:36:30.980+05:30वाह छा गये भाई, शुभकामनाएं.
रामराम.वाह छा गये भाई, शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-45922554092446253062010-08-18T18:10:04.917+05:302010-08-18T18:10:04.917+05:30बुद्धा गार्डन, लोधी गार्डन, पुराना किला और सफ़दरजं...बुद्धा गार्डन, लोधी गार्डन, पुराना किला और सफ़दरजंग का मकबरा जैसे स्थान हमें बहुत प्रिय हो गये थे और <b>ये अनुभव आगे बहुत काम आये</b><br />अच्छा !!<br />तभी सोचूँ... आपको पहले भी कहीं देखा है....हा हा हा हा ..<br />आपकी इतनी सारी बदमाशियों के बावजूद भी आपके लिए मुंह से तारीफें हीं निकलती हैं...अब क्या करें हमारा दिल ही ऐसा है.....हा हा हा ..<br />सुपर्ब ...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-15532608263328583142010-08-18T17:07:56.930+05:302010-08-18T17:07:56.930+05:30पहले भाग में पार्क.........दूसरे में पेट दर्द........पहले भाग में पार्क.........दूसरे में पेट दर्द.........तीसरे में पुलिस............दो इंटरवल है क्या ???Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-74566977682312236652010-08-18T16:54:32.620+05:302010-08-18T16:54:32.620+05:30ललित कला से हमें भी बडा लगाव था मगर अध्यापिका श्री...ललित कला से हमें भी बडा लगाव था मगर अध्यापिका श्रीमती कलावती को कभी भी हमसे लगाव नहीं रहा लिहाज़ा वे क्लास में घुसते ही हमें क्लास से बाहर कर देती थीं। कला प्रतियोगिता में जहाँ सबने कुत्ते बिल्ली, उगता सूरज आदि बनाये वहीं हमने मानव का पाचन तंत्र बनाया क्योंकि विज्ञान के गुरूजी ने कभी कक्षा से निकाला नहीं था। <br />गर्मियों की छुट्टियों के दौरान:<br />सुबह की जॉगिंग के प्लान भी हमारे थे ।<br />मगर बरेली के कुत्तों ने दौडा कर मारे थे।।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-25119277151622505392010-08-18T14:39:51.304+05:302010-08-18T14:39:51.304+05:30"बुद्धा गार्डन, लोधी गार्डन, पुराना किला और स..."बुद्धा गार्डन, लोधी गार्डन, पुराना किला और सफ़दरजंग का मकबरा जैसे स्थान हमें बहुत प्रिय हो गये थे और ये अनुभव आगे बहुत काम आये।"<br /><br />गुरूजी , आप तो ऐसे न थे, छुपे रुस्तम निकले :)पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-68422866817848664702010-08-18T14:39:37.933+05:302010-08-18T14:39:37.933+05:30"वो निकला चरित्र का धनी और पौराणिक पात्र अंगद..."वो निकला चरित्र का धनी और पौराणिक पात्र अंगद से प्रेरणा लेकर पांव जमा दिया शेर ने छठी क्लास में"<br />ऐसे जीवट मित्रों ने हमें भी बहुत रक्त स्वच्छ करने वाले शब्द पिलवाये हैं अपनी माताओं से...<br />और सुबह सुबह लोगों को हाँकना..अपना भी ख़ास शगल था. हमारे महारथी मित्र उठते नहीं थे ये अलग बात है.<br />बाकी बाद में... रिपीट मोड में देखने के बावजूद, पिक्चर बाकी है सर जी...<br />लेकिन पता है, ये ऋषिकेश मुखर्जी साहब की पिक्चरों जैसी है..लपेटती फँसाती नहीं है...जहाँ रुकती है वहीँ मुस्कुराती है...<br /><br />और फत्तू साहब पर तो..."No Comments" कुछ कह सकने की हैसियत नहीं अपनी...:) :)Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-4704045618523591212010-08-18T13:44:47.350+05:302010-08-18T13:44:47.350+05:30क्या बात है जी, एकदम धांसू पोस्ट है। और ये फत्तू त...क्या बात है जी, एकदम धांसू पोस्ट है। और ये फत्तू तो दिन ब दिन बिगड़ैल होते जा रहा है कम्बख्त मरे हुओं को भी नहीं बख्श रहा :)सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-8483998793118772982010-08-18T12:01:03.580+05:302010-08-18T12:01:03.580+05:30Ha,ha! Khatiya khadi kar dee! Badmaashi to mai bhi...Ha,ha! Khatiya khadi kar dee! Badmaashi to mai bhi bahut karti thi! Koyi kursi pe baithne lagta to dheere se kursi khiska deti aur baithne wala neeche!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-45686361451652643522010-08-18T11:25:16.908+05:302010-08-18T11:25:16.908+05:30जब गर्मियों की छुट्टियां फकत दो माह के लिये तो ललि...जब गर्मियों की छुट्टियां फकत दो माह के लिये तो ललित कलाओं से इतनी मुहब्बत और अगर गर्मियां सारे साल में फैल जातीं तो क्या होता :)<br />तब यकीनन फत्तू ललित कलाओं का बोझ अकेला ढोता :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-6496626841718011712010-08-18T10:40:26.308+05:302010-08-18T10:40:26.308+05:30फेर इन्ट्रवल आग्या!!!
प्रणामफेर इन्ट्रवल आग्या!!!<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-47801611087640814282010-08-18T10:35:13.529+05:302010-08-18T10:35:13.529+05:30गर्मियों की छुट्टियों का इंताजर तो हमें बचपन में थ...गर्मियों की छुट्टियों का इंताजर तो हमें बचपन में था ही अब भी होने लगा है कि बच्चो कि छुट्टिया हो और रोज सुबह कि भागम भाग से छुटकारा मिले और हम देर तक सोते रहे पर कोई फायदा नहीं जब छुटिया होती है उस दिन नीद भी छुट्टी पर चली जाती है और आंख अपने समय पर खुल जाती है उसके बाद सोने कि सारी कोशिशे बेकार हो जाती है बचपन में भी यही होता था | आपकी पुरानी यादो ने तो हमारे यादो का पिटारा खोल दिया |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.com