tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post4564842237176342480..comments2023-12-21T16:22:10.490+05:30Comments on मो सम कौन कुटिल खल कामी.. ?: चींटी, चिड़िया, बिल्ली और ........संजय @ मो सम कौन...http://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-8417623988381983732011-01-08T22:28:58.077+05:302011-01-08T22:28:58.077+05:30जब इसे पढ़ना चाहिए था तब तो पढ़ा नहीं पर अब पढ़कर भी ...जब इसे पढ़ना चाहिए था तब तो पढ़ा नहीं पर अब पढ़कर भी आपके इस लेख का मर्म अच्छे से समझ गया हूँ।सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-58684224159643294402010-12-02T20:51:09.924+05:302010-12-02T20:51:09.924+05:30मेरे करण-अर्जुन आयेंगे!
बाऊ जी,
नमस्ते!
शाकाहारी ह...मेरे करण-अर्जुन आयेंगे!<br />बाऊ जी,<br />नमस्ते!<br />शाकाहारी हैं तो फिर शिकार क्यूँ?<br />(वैसे ज़रुरत पड़ने पर और आत्म रक्षा में थोड़ा-बहुत अलाऊड है)<br />'अन्दर से आने/ ना आने वाली फीलिंग' के अलावा एक और समानता जोड़ लीजिये:<br />मैं भी बांचता नहीं हूँ. अंकल (सहकर्मी) दारू पीता हैं और मैं जूस. वो मच्छी के पकोड़े खाते हैं और मैं पनीर के!<br />और हां, आपने 'तू' कहा, अच्छा लगा. अगली बार 'तड़ाक' भी कहियेगा!<br />सादर,<br />आशीष<br />--<br />नौकरी इज़ नौकरी!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-29493216953094887542010-12-02T14:29:38.918+05:302010-12-02T14:29:38.918+05:30prayshchit kahanee nahee padee kya........? lag...prayshchit kahanee nahee padee kya........? lagta hai nahee varna billee ko lekar thoda satark rahte....... ha ha ha ha ........<br /><br />pareshaniyo se ghire rahne ke beech bhee muskan chehre par aa hee gayee..........<br />credit lekhan shailee ko jata hai.......<br />shailee koun hai mat poochana......... bhavo ko samajhana.......... :)Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-43897069231272278232010-12-02T09:50:11.189+05:302010-12-02T09:50:11.189+05:30pichli baar aapke blog par aayi thi, to follow nah...pichli baar aapke blog par aayi thi, to follow nahin kiya, badi galti hui, nazmon ghazlon mein ulajh ke reh gayi ;) shukr hai aaj yahan aana hua<br /><br />billi aur chidiya na sahi, cheentiyon se to main bhi bohot bohot pareshaan hoon....ek nahin, poori fauj hai....aur bade saleeke se dhaava bolti hain sab. Ek to maa ke ghar mein kabhi rasoi nahin sambhalni padi thi, maa ne shaadi karwaake ye sukoon bhi cheen liya...ab roz raat ko har kone kachune mein ghuskar safaai karti hoon sone se pehle...par subah koi na koi qila inke kabze mein milta hai. aur kuch nahin to shelf ponchke jo rakh aayi thi, us napkin ke faaye choosti milti hain...bhagwaan bachaaye inse...napkin ko fatkaarti hoon subah neend mein, to do char mere hi upar aa girti hain...uff...roz roz rangoli banaati hoon poore ghar mein lakshman rekha ki...par Charles Darwin ki theory hai...SURVIVAL OF THE FITTEST, inhe badi kushalta se yaad hai. bade tashan se usi rekha ke upar chehelkadmi karti hain...goya mujhe chidhati hon...<br /><br />ye nature ke inexhaustible resources hain dost...kitni bhi hinsa kar lo...inki kami nahin padegi ;)<br /><br />behr-haal....aapko padhne aayi thi, aur itni bak bak kar baithi...bas yahi buri aadat hai, bolti bohot hoon...muaaf karna...aur fattoo ko raam raam kehna :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-63016345162087624682010-11-30T19:50:09.601+05:302010-11-30T19:50:09.601+05:30चींटी..चिड़िया..को मारा गलत काम किया। बिल्ली को पी...चींटी..चिड़िया..को मारा गलत काम किया। बिल्ली को पीटना तो अंधविश्वासी की मूर्खता। यह सही बात कही कि शाकाहारी होना कोई गर्व करने जैसी चीज नहीं..पंसद अपनी-अपनी। साफ-साफ अपने मन की बात लिखी यह अच्छा काम किया। इससे सुधार होने की पूरी संभावना है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-51085351285183508782010-11-29T16:24:02.275+05:302010-11-29T16:24:02.275+05:30nice sirnice sirजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-82860352642526262562010-11-28T18:19:13.045+05:302010-11-28T18:19:13.045+05:30@मो सम कौन ?
... sab theek-thaak hai ... tasveer p...@मो सम कौन ?<br />... sab theek-thaak hai ... tasveer puraanee nikaal kar nai lagaa dee hai ... latest cheharaa bhee jaruree hai !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-80309012570717842912010-11-27T22:11:40.396+05:302010-11-27T22:11:40.396+05:30@ prkant:
प्रोफ़ैसर साहब, :)
@ शरद कोकास जी:
धोने...@ prkant:<br />प्रोफ़ैसर साहब, :)<br /><br />@ शरद कोकास जी:<br />धोने के बाद तो जी निचोड़ना जमता ही है।<br /><br />@ P.N. Subramanian Ji:<br />सुब्रमणियन साहब, आप शर्मिंदा कर रहे हैं। मुझे तो उपेक्षा की जगह अपेक्षा से डर लगता है। फ़िर आप का स्नेह तो मुझे पहले से प्राप्त है, जो अपने ब्लॉग की हर पोस्ट की सूचना आप मेल द्वारा देकर लाभान्वित करते रहे हैं। बहुट छोटा हूँ आपसे, कृपया क्षमा, खेद जैसी भाषा लिखकर शर्मसार न करें।<br />वैसे ब्लॉग सांप्रदायिक ही है:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-60437055551455765252010-11-27T21:09:07.318+05:302010-11-27T21:09:07.318+05:30राहुल सिंह की टिपण्णी से सहमत. मुझे खेद है की हमने...राहुल सिंह की टिपण्णी से सहमत. मुझे खेद है की हमने आपके ब्लॉग की सदैव उपेक्षा की है. मुझे भ्रम हो गया था की यह कोई सांप्रदायिक ब्लॉग है. क्षमा कर दें.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-39774439023499227032010-11-27T18:01:21.846+05:302010-11-27T18:01:21.846+05:30बिल्ली धोने तक तो ठीक था लेकिन निचोडना.........बिल्ली धोने तक तो ठीक था लेकिन निचोडना.........शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-65521119608336454692010-11-26T22:45:35.727+05:302010-11-26T22:45:35.727+05:30संजय जी,
भैंस की चीचड़ काढने के लिए भैंस भी तो चाह...संजय जी,<br />भैंस की चीचड़ काढने के लिए भैंस भी तो चाहिए. यहाँ तो सारी भैंसे बीन सुनने में मगन हैं. नहीं-नहीं पगुरा भी रही हैं साथ-साथ.rajani kanthttps://www.blogger.com/profile/01145447936051209759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-84164792537031903082010-11-26T21:28:32.100+05:302010-11-26T21:28:32.100+05:30@ अमित शर्मा:
"महाराज सारे के सारे टिपण्णी मि...@ अमित शर्मा:<br />"महाराज सारे के सारे टिपण्णी मित्र कूटेंगे मिलकर मुझे"<br />म्हारी गेल यारी डालेगा तो कुटापा पैकेज में फ़्री है,सोच ले यारा इब भी!<br />मॉडरेशन लगाने भर से बड़े बनते होंते तो क्या बात होती, ऐंवे ही लगा लिया था। ऐंवे ही हटा देंगे किसी दिन, फ़िकर नॉट।<br /><br />@ अदा जी:<br />कल्लिया जी स्वीकार अ’भार’। <br />आप आभार स्वीकार करें।<br /><br />@ स्मार्ट इंडियन जी:<br />सही कहा जी बुजुर्गों ने,<br />’खुश रहना मेरे यार’<br /><br />@ बोले तो बिन्दास:<br />अमां, बड़े चालू निकले मीडियामैन!<br />ढाई मिनट में सारी पोस्ट्स निबटा दीं!!<br />शुक्रिया रोहित, टाईम खोटी करने के लिये।<br /><br />@ प्रेम सरोवर जी:<br />sure sir, it will be my peasure to visit your blog. thanx.संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-5422537973422589562010-11-26T20:06:40.966+05:302010-11-26T20:06:40.966+05:30Aapke blog par pahali bar aaya hun. pura padhne ke...Aapke blog par pahali bar aaya hun. pura padhne ke bad phir aunga.Plz. visit my blog.प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-18542696823787377912010-11-26T03:01:26.855+05:302010-11-26T03:01:26.855+05:30मित्र जी। हाथ में पत्थर रखा करो जी जाने किसे मारनी...मित्र जी। हाथ में पत्थर रखा करो जी जाने किसे मारनी पड़ जाए अपने बचाव में। हिंसा का इतना तो साथ दो ही कि अपनी फटने से बच जाए। औऱ जो हिंसा ऐसी हो जाए तो उसे वैदिक हिंसा हिंसा न भवति कि श्रेणी में डालकर चिंता मुक्त हो जाओ। अपन तो यही करतेहै औऱ सही मानिए सफल हो जाते कई बार तो, हां हर बार कि गारंटी नहीं देता। हीहहीहीवाइन इज फाइन। अब ये पता तो बुढ़ापे में ही जाकर चलेगा। अभी तक तो कभी साथ जमती है बैठ कर इसलिए है तो फाइन ही। हीहीहीहीही मित्र क्या कहूं। हार या जीत। बात वही है कि अपनी हालत तो कुत्ते की पूंछ वाली है कि सीधी करें या न करें। यानि की वही आदर्श औऱ लोकव्यवहार। दोनो में से एक चुनना हो तो हमेशा मत ही मारी जाती आदर्श नाम के चोंचले के कारण औऱ उसे ही हाथ थमा देते हैं हम। औऱ कई बार इतनी जोर का झटका लगता है कि संभलने के बात पता चलता है कि सब कुछ लूट गया। लेकिन जी दोस्त हों तो कहने क्या। अगर अच्छे हों तो सुभान अल्लहा। इनके बिना वैसे भी रहा नहीं जाता। और दोस्त तो जी ऐसे ही होते हैं कि फिल्म देख लेंगे फिर कह देंगे बकवास है यार। क्या पहले नहीं पता कर सकता था। काहे का इंटेलीजेंट है तू। ठीक वैसे ही जैसे बच्चे का एडमिशन न करवा पाओ तो आज कहते हैं क्या फायदा तेरे मीडिया में होने का। जैसे मीडिया में होना हर बुरे और गलत काम को करवाने का ठेका हो। हद है यार। वैसे जैन साहब ने भी आखिर विसर्जन का मजा ले ही लिया न। हाहाहाह.खैर हमें तो मजा आ गया। पर सही में मजा या कहें आनंद ऐसी छोटी छोटी चीजों में आता है जो बड़ी चीजों में नहीं आता। मिट्टी की सौधी खुशबू…बारिश में भींगना। बाकी जो खोया हुआ समान है उसे तो लौटाने कोई तो आएगा नहीं। सो खुद ही ढंढना पड़ेगा। वैसे भी आग तो चली गई है। पर अंदर की आग जल ही रही है। चौरासी पर हमें भी गर्व है कि कोई कुछ न कर पाया हमारे आसपास। हमारे तो किरायेदार थे सरदार। रात में 2 बजे उसी दिन उनको बचा कर लाए हमारे पिता उनके दोस्त और एक अंकल के लड़के। बाकी सजा कभी बड़े कसूरवार को हुई है आज तक। चाहे वो 84 या फिर 89 का कश्मीर। वैसे एक बात है कि हम चाहें कुछ भी कर ले अब इस उम्र मे आकर क्या सुधरेंगे औऱ बिगड़ेंगे..जितनी पूंछ टेढ़ी है उतनी तो लगभग रहेगी ही। हीहीहीहीहीहीRohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-32729218193442724572010-11-26T00:05:22.881+05:302010-11-26T00:05:22.881+05:30अब हम क्या कहें जब हिन्दी फिल्मों के बडे बुज़ुर्ग ...अब हम क्या कहें जब हिन्दी फिल्मों के बडे बुज़ुर्ग पहले ही कह गये हैं:<br />जब जानवर कोई इंसान को मारे<br />कहते हैं दुनिया में वहशी उसे सारे<br />एक जानवर की जान आज इंसानों ने ली है<br />चुप क्यों है संसार .... <br /><b>चुप क्यों है संसार .... </b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-6847660301541144662010-11-25T23:11:07.531+05:302010-11-25T23:11:07.531+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-85190212512599232642010-11-25T21:27:40.551+05:302010-11-25T21:27:40.551+05:30@ काहे का घूंघट भाई, क्या छुपाया है? ऐंवे ही दोष द...@ काहे का घूंघट भाई, क्या छुपाया है? ऐंवे ही दोष देते हो:)<br /># कुछ मजा ही नहीं आ रिया...................अब आपको कौन जरुरत आन पड़ी खुद को बड़ा ब्लोगर जतलाने की जो मॉडरेशन का घूंघटा काड़ लिया ???Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-44210303203635479132010-11-25T21:25:21.767+05:302010-11-25T21:25:21.767+05:30@ और यारा, पहले से ही मान रखा है "कि अपनी खोप...@ और यारा, पहले से ही मान रखा है "कि अपनी खोपड़ी में भी भरा भुस्स है"<br /># महाराज सारे के सारे टिपण्णी मित्र कूटेंगे मिलकर मुझे......................... यह भुस्स वाली बात आपके नहीं मेरे मगज की है ..................Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-46102721592114899322010-11-25T21:16:36.360+05:302010-11-25T21:16:36.360+05:30@ दीपक डुडेजा:
बाबाजी, बाकी तो चलो ठीक सै पर यो गा...@ दीपक डुडेजा:<br />बाबाजी, बाकी तो चलो ठीक सै पर यो गाना म्हारा ना सै भाई, हम तो बस टोह टाह के ल्याऐ सां।<br /><br />@ अंतर सोहिल:<br />छोरा कामल सै भाई तू, किम्मै तो करे है। तोड़ाफ़ोड़ी से तो ठीके सै यो काम।<br />जै राम जी की।<br /><br />@ नीरज बसलियाल जी:<br />फ़त्तू सबका है जी, आपका भी। थैंक्स नीरज जी।<br /><br />@ अमित शर्मा:<br />नाहरसिंह आयेगा तो मारकर खा ही तो जायेगा? देखी जायेगी..। और यारा, पहले से ही मान रखा है "कि अपनी खोपड़ी में भी भरा भुस्स है"<br />काहे का घूंघट भाई, क्या छुपाया है? ऐंवे ही दोष देते हो:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-38890933311222143352010-11-25T21:01:24.338+05:302010-11-25T21:01:24.338+05:30@ वाणी गीत:
हां जी, कर्णप्रिय है गाना।
@ अभिषेक ओ...@ वाणी गीत:<br />हां जी, कर्णप्रिय है गाना।<br /><br />@ अभिषेक ओझा:<br />हा हा हा, कभी कभी संजय अनेजा जी पते की बात भी कर देते हैं:)<br /><br />@ अरविन्द:<br />शुक्रिया,के.डी.।<br /><br />@ अविनाश चन्द्र:<br />अमां हमारे रहते गलती तुम कैसे करोगे? हम हैं न तुम्हारे बड़े भाई, गलती सब हमारी हैं।<br /><br />@ निर्मला कपिला जी:<br />आप जैसी शख्सियतों से आशीर्वाद मिलता है, खुशकिस्मत हूँ।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-91730635453259116752010-11-25T20:49:24.035+05:302010-11-25T20:49:24.035+05:30@ जीने के लिये न्यूनतम साधन अपनाना, और केवल स्वाद ...@ जीने के लिये न्यूनतम साधन अपनाना, और केवल स्वाद के लिये हिंसा का अपनाना, इन दो बातों में तो अंतर होना ही चाहिये।<br /><br /># सारी की सारी माथापच्ची का सार इसी एक लाइन में है सरजी, पर कोई समझना ही ना चाहता............पर गुरूजी बस यही आस है आप समझाते रहो हम समझते रहे ...................औरो की और जाने......फिर भी ना माने तो "राम जाने"Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-13389834546793298192010-11-25T20:45:34.587+05:302010-11-25T20:45:34.587+05:30अर अब क्या भुडापे में जाकर लाज शर्म करना सीखे हो !...अर अब क्या भुडापे में जाकर लाज शर्म करना सीखे हो !!!!!!!!!!!! हटाओ यह घूँघट,Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-26471435022488209152010-11-25T20:43:51.655+05:302010-11-25T20:43:51.655+05:30भापड़ी चेंटी, चिड़िया, बिलाई, कुकुर सबके पाछे नहा ध...भापड़ी चेंटी, चिड़िया, बिलाई, कुकुर सबके पाछे नहा धोकर पड़े हो बाउजी...................काल को कोई ऊंदरा भी आवेगा, तो पींजडा त्यार राखना ............. अर कोई नाहरसिंग आ गया तब्ब !!!!!!!! ..............पर सही है जो छेड़खानी करे उनको कभी न कभी तो पटखनी देनी ही पड़े.................. कब तक टाल टाल कर खुद को सहनशीलता का तमगा खुद ही टांगते फिरे..................तत्त्व मीमांसा से मेरे जैसे कुतत्वों की बुद्धि में अगर थोड़ी सी भी तत्व की बात समझ में आ जाये तो फिर कोई तात्विकता की बात बने O_O .................अब्ब तो भैंस के चिचड़ भी ना छूट रिये हैं, देखने पर कभी न्यो लगता है कै भैंस के मुस्स हैं..................अब तो मान गए ना की अपनी खोपड़ी में भी भरा भुस्स है..Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-65062080073313365292010-11-25T19:05:51.299+05:302010-11-25T19:05:51.299+05:30धन्यवाद संजय !धन्यवाद संजय !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-78730527268680796512010-11-25T18:10:43.527+05:302010-11-25T18:10:43.527+05:30@ धीरू सिंह जी:
गूगल और रिलायंस वालों की....बल्ले-...@ धीरू सिंह जी:<br />गूगल और रिलायंस वालों की....बल्ले-बल्ले है और क्या? मरवाओगे यार मुझे, खैर, दोस्त हो तो देखी जायेगी...।<br /><br />@ राहुल सिंह जी:<br />राहुल सर, यू टू...:)<br /><br />@ Indranil Bhattacharji:<br />सैल साहब, ये तो सूझी ही नहीं ’सरकाय लो कुर्सी’ वाली बात, आईंदा ध्यान रखेंगे।<br /><br />@ अली साहब:<br />हम फ़रमान देने वाले कभी नहीं रहे जी। वैसे बड़े हैं आप, जो कहेंगे चुपचाप मान लेंगे हम, हर कुसूर हमारा।<br /><br />@ उदय जी:<br />धन्यवाद।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.com