tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post520959180178310654..comments2023-12-21T16:22:10.490+05:30Comments on मो सम कौन कुटिल खल कामी.. ?: बिना पतवार की नौकासंजय @ मो सम कौन...http://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comBlogger48125tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-51568197135351345052011-05-16T13:46:11.098+05:302011-05-16T13:46:11.098+05:30मीरा बाई वाला समर्पण दिख रहा हैमीरा बाई वाला समर्पण दिख रहा हैNeerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-1238886277104051282011-05-16T07:47:16.536+05:302011-05-16T07:47:16.536+05:30@ उपेन्द्र ' उपेन ':
धन्यवाद उपेन्द्र भाई।...@ उपेन्द्र ' उपेन ':<br />धन्यवाद उपेन्द्र भाई।<br /><br />@ Apanatva:<br />सरिता दी, कह चुकी हैं आप:) और अधिकार है आपका, इसमें पूछना क्या?<br /> <br />@ anshumala ji:<br />धनबाद, पटना लेकर क्या करेंगे हम तो दिल्ली ही छोड़ने को बैठे हैं:) मि.टाईमिंग का स्पष्टीकरण आपके ब्लॉग पर दे चुका।<br /><br />मेरा सामान चोरी हो गया और लोग पार्टी मांग रहे हैं। कैसे कैसे शुभचिंतक मिले हैं:)) इसीलिये तो साहिर ने कहा था, "ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो..." खैर, आप, आपके साहब और प्रिंसैस ब्यूटीफ़ुल 'पार्थवि’@’अनामित्रा’का एक डिनर ड्यू रहा। अखबार वाली खबर से मुझे कैसा लग रहा है, इसे जाने देते हैं लेकिन मेरे पेरेंट्स को जरूर अच्छा लगेगा। परसों घर था तो माँ कह रही थीं कि पहले लैपटाप था तो पढ़ लेते थे और अब नहीं पढ़ पा रहे हैं। शुक्रिया ये खबर देने के लिये।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-50624711254577257132011-05-15T21:38:27.707+05:302011-05-15T21:38:27.707+05:30हा एक बात कहना भूल गई थी अब तो ब्लोगरो के साथ ही अ...हा एक बात कहना भूल गई थी अब तो ब्लोगरो के साथ ही अखबार वाले भी आप की पोस्टे चुराने लगे है बधाई हो हम लोगो की पार्टी तो बनती है | पर एक बार ठीक से पढ़ लीजियेगा की पूरा माल आप का ही उठाया है या कुछ अपना जोड़ दिया है क्योकि हम लोगो के माल के साथ आपना कुछ जोड़ देने की इन लोगो को बड़ी बुरी बीमारी है |<br /><br /> <br /><br />http://blogsinmedia.com/2011/05/%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%A8-%E0%A4%B2%E0%A5%88-%E0%A4%A6%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AE/anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-86788293668169351802011-05-15T21:29:36.630+05:302011-05-15T21:29:36.630+05:30गूगल बाबा की असीम अनुकम्पा से हमारी पिछली पोस्ट दो...गूगल बाबा की असीम अनुकम्पा से हमारी पिछली पोस्ट दो दिनों से आधी ही नजर आ रही है आधे से गूगल बाबा को पत्ता नहीं का दुश्मनी हो गई है जो पोस्ट पर दिखने के लिए तैयार ही नहीं है पिछले दो दिनों से कम्बखत को बार बार ठीक करती हूँ वो फिर से आधी हो जाती है, सोचा जाने दो अब न करुँगी अब पढ़ने के लिए कौन आएगा पर कसम से आप की मिसिज टाइम बड़ी अच्छी रही हर बार की तरह | इतने दिन बाद भी पोस्ट पढ़ने के लिए पटना आप का हुआ धनबाद भी आप को लौटा दूंगी जो संभव हो तो एक बार फिर से पढ़ ले ( यदि फिर से आधी नहीं हो गई हो तो ) शायद आप की टिपण्णी बदल जाये अभी तो उसका अगला भाग भी लिखना है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-52863612368839641462011-05-15T21:19:49.217+05:302011-05-15T21:19:49.217+05:30@ dhiru singh {धीरू सिंह}:
यही तो मजा है भाईजी, को...@ dhiru singh {धीरू सिंह}:<br />यही तो मजा है भाईजी, कोई ’सखेद वापिस’ का नोट नही:)<br /><br />@ देवेन्द्र पाण्डेय:<br />बुढ़ौती में ही तो ऐसे विचार आते है कविशिरोमणि:)<br /><br />@ सुशील बाकलीवाल जी:<br />इससे बेहतरीन टिप्पणी क्या होगी जी? धन्यवाद।<br /><br />@ निर्मला कपिला जी:<br />भागा थोड़ी ही था, सरकारी ड्यूटी बजा रहा था। दिल्ली आना हो कभी तो इस नाचीज को दर्शन का मौका दीजियेगा, फ़िर कहियेगा मिठाई से कौन डरता है:)<br /><br />@ Deepak Saini:<br />लो प्यारे, तुमने पुकारा और हम चले आए(एक दिन पहले ही) :)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-58307477297333207862011-05-15T21:10:43.085+05:302011-05-15T21:10:43.085+05:30@ अदा जी:
हाँ हमें मंजूर है, आपका ये कमेंटवा..(रिम...@ अदा जी:<br />हाँ हमें मंजूर है, आपका ये कमेंटवा..(रिमिक्स है आपके ही गाये गाने का)<br />हम कब्जा क्या खाक करेंगे, हम तो खुद कब्जाये गये हैं। यूँ भी कब्जा वो करे जिसे खुद पर, खुदा पर और अपने नाखुदा पर भरोसा न हो,...हाँ नहीं तो..!<br />ज्यादा इंटैलीजैंट होने से हम बुद्धू ही भले हैं। एक नया विज्ञापन आयेगा कुछ दिन में, ’बुद्धू’ अच्छे हैं, देख लेना आप।<br /> <br />@ mahendra verma ji:<br />आपकी नजर से होकर गुजरी रचना तो मूल्य बढ़ गया इसका, शुक्रिया वर्मा जी।<br /><br />@ somali:<br />सहमति के स्वर के लिये आभार स्वीकारें।<br /><br />@ Patali-The-Village:<br />धन्यवाद आपका भी।<br /><br />@ Abhishek Ojha:<br />सच में लिखना रह गया था, अब देखी जायेगी:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-82133650000993604982011-05-15T20:58:13.638+05:302011-05-15T20:58:13.638+05:30@ Avinash Chandra:
वाह राज्जा, तुम भी सेंक लो गरम ...@ Avinash Chandra:<br />वाह राज्जा, तुम भी सेंक लो गरम तवे पर रोटी। और अब कुछ भी खरीदने की आदत छूट गई है, हैं कुछ ऐसे भोले से प्यारे से लोग जो गागर, सागर, छिटकी बूंदें वगैरह सब भेंट में दे देते हैं:)<br /><br />@ ktheLeo:<br />आशा नहीं थी कि आप जैसे सुधीजनों से तारीफ़ मिलेगी। शुक्रिया सर।<br /><br />@ प्रवीण पाण्डेय जी:<br />मंज़िल मिले तब तो डोलना सार्थक हो।<br /><br />@ राजेश उत्साही जी:<br />बिल्कुल संभल कर रहना होगा जी, सुरक्षा में ही सुरक्षा है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-12117691912632916512011-05-15T20:45:28.467+05:302011-05-15T20:45:28.467+05:30@ वाणी गीत:
मौका ही अब लगा है।
@ Archana:
कविता त...@ वाणी गीत:<br />मौका ही अब लगा है।<br /><br />@ Archana:<br />कविता तो पुरानी है..<br /><br />@ SKT:<br />शुक्रिया त्यागी साहब।<br /><br />@ kshama ji:<br />आपका विशेष आभार।<br /><br />@ चला बिहारी ब्लॉगर बनने:<br />एक उपाधि ’रहस्यमयी’ की दी थी आपने, प्रवाल भित्ति की तरह जम गई है मुझ पर। अब ’मिथ्यावादी,’ अनुज-वधू चरण-स्पर्श करके मानेगी। कोई तो दिग्गज मिला हाँ में हाँ मिलाने वाला:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-12439073505112733422011-05-15T20:26:38.148+05:302011-05-15T20:26:38.148+05:30@ anshumala ji:
इत्ते सवाल तो कसाब से भी न पूछे ग...@ anshumala ji:<br />इत्ते सवाल तो कसाब से भी न पूछे गये होंगे। प्रयास पहला तो नहीं ही है और ’कविता’ में रुचि बहुत पुरानी है:) यदा कदा यहीं झेलना होगा, काहे से कि प्रकाशकों का अभी इतना बुरा समय नहीं आया कि हमारा लिखा छापें। और ब्लॉग से मेरी और मेरे बाप दादा की तौबा। आलोचना दौड़ेगी, सफ़ाई का मौका मिलना चाहिये बस। सीरियसली।<br />अच्छा लगा आपको प्रयास, यह समझ आया। धनबाद आपका।<br /><br />@ VICHAAR SHOONYA:<br />भाई, जो कुछ अंशुमाला जी को कहा है, वही तुम भी समझ लो(धनबाद के बिना) । अपना तो पुराना नाता है यारी दोस्ती वाला:)<br /><br />@ अन्तर सोहिल:<br />ले लो यार अब नया मोबाईल। <br />उसके इश्क में खोने के बाद इतने-उतने की कहाँ समझ रहती है यार। देखो, कहाँ तक खोना पाना होता है...संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-597453009953250962011-05-15T20:09:34.807+05:302011-05-15T20:09:34.807+05:30chupe rustum kah saktee hoo na mai...... ?
behat...chupe rustum kah saktee hoo na mai...... ?<br /><br />behatreen ....<br /><br />shubhkamnae ....Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-81178424419694775722011-05-15T20:07:36.913+05:302011-05-15T20:07:36.913+05:30@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन:
आप तो सर्वज्ञ हैं...@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन:<br />आप तो सर्वज्ञ हैं जी, रोग, लक्षण, उपचार सब जानते हैं:)<br /><br />@ Kajal Kumar ji:<br />काश, आपके कमेंट का इंतज़ार किया होता:)<br /><br />@ सम्वेदना के स्वर:<br />आपकी शुभेच्छाओं के लिये आभारी हूँ।<br /><br />@ प्रतुल वशिष्ठ:<br />प्रतुल भाई, बने रहना साथ। आगे भी जरूरत पड़ेगी जब कालिदास वाली कहानी दोहराई जायेगी:) सच में अर्श से फ़र्श पर पहुंचा दिया है आपने, ऐसे ऐसे शानदार अर्थ निकालकर।<br /><br />@ Rakesh Kumar ji:<br />आप जो सजा देंगे, मान लेंगे सर। हाजिर होता हूँ दरबार में।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-28598008132609740772011-05-15T19:56:17.310+05:302011-05-15T19:56:17.310+05:30@ सुज्ञ जी:
पहला तीर ही आपकी तरफ़ से:) मंजूर है। श...@ सुज्ञ जी:<br />पहला तीर ही आपकी तरफ़ से:) मंजूर है। शुभकामनाओं के लिये धन्यवाद।<br /><br />@ Deepak Saini:<br />मौसम है प्यारे खरबूजों का,हमने भी रंग बदल लिया:)<br /><br />@ Rahul Singh ji:<br />द्वैत-अद्वैत का द्वन्द्व सनातन है सर।<br /><br />@ सतीश सक्सेना जी:<br />डरा रहे हो भाई साहब? ओके, डर गया:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-41049542976505786682011-05-15T18:17:25.231+05:302011-05-15T18:17:25.231+05:30बहुत खूब... अच्छा लगा ये अन्दाजे बयाँ।बहुत खूब... अच्छा लगा ये अन्दाजे बयाँ।उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-28469185101470019982011-05-14T08:50:58.497+05:302011-05-14T08:50:58.497+05:30बड़ी देर भई नंदलाला..................
अभी तक लौटे न...बड़ी देर भई नंदलाला..................<br />अभी तक लौटे नहीं हो क्या ?Deepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-35371086739559747802011-05-11T17:16:06.112+05:302011-05-11T17:16:06.112+05:30मुझे मिटाकर देखना कभी,
तुझमें ही खो जाऊँगा,
औरत...मुझे मिटाकर देखना कभी,<br /><br />तुझमें ही खो जाऊँगा, <br /><br />औरतुझमें ही घुल जाऊँगा।<br /><br />फ़िर कैसे अलग करोगे भला?<br /><br />मुझे मुझ से, मुझे खुद से......<br /><br /> ये अलोचना से डर कर नही भागे बल्कि मिठाई खिलाने के डर से भागे हो। वाह क्या खूबसूरत एहसास हैं। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-3592698838048270202011-05-10T22:29:47.484+05:302011-05-10T22:29:47.484+05:30आप तो गद्य से पद्य मैं आ गये हमें तो इसकी समझ ही न...आप तो गद्य से पद्य मैं आ गये हमें तो इसकी समझ ही नहीं । क्या टिप्पणी दैं सिवाय इसके कि-<br />बेहतरीन...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-78956113550449508452011-05-10T19:13:54.533+05:302011-05-10T19:13:54.533+05:30एक कविता पढ़ाने के लिए इतने सारे लेख लिखे!
बुढ़ौती...एक कविता पढ़ाने के लिए इतने सारे लेख लिखे!<br />बुढ़ौती में ऐसने विचार न आई .. <br /><br />सबकुछ तेरा<br />जैसे चाहे वैसे रख<br />क्या लागे है मेरा<br /><br />ब्लॉग रंगीन, दिल संगीन या इलाही ये माज़रा क्या है!<br /><br />...वैसे कविता अच्छी लगी और हो तो छाप दीजिए, ना हो तो.. लिखते क्यों नहीं..?देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-23691440534797929342011-05-10T07:26:35.477+05:302011-05-10T07:26:35.477+05:30ब्लागिग जो ना कराये थोडा है . कभी लेखक कभी शायरब्लागिग जो ना कराये थोडा है . कभी लेखक कभी शायरdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-18759395293612901352011-05-09T21:28:52.554+05:302011-05-09T21:28:52.554+05:30बढ़िया. पहले मुझे डाउट हो गया कि कविता भी तो साभार...बढ़िया. पहले मुझे डाउट हो गया कि कविता भी तो साभार नहीं है :)<br />[सीरियसली मत लीजियेगा. मजाक में कह रहा हूँ.]Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-5342210468535658532011-05-09T19:39:33.507+05:302011-05-09T19:39:33.507+05:30रचना में दार्शनिकता के तत्व मौजूद हैं। धन्यवाद|रचना में दार्शनिकता के तत्व मौजूद हैं। धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-38574609519429858512011-05-08T15:13:44.372+05:302011-05-08T15:13:44.372+05:30sahi kaha mitane ki koshish bhi hogi to milna to u...sahi kaha mitane ki koshish bhi hogi to milna to usi me haisomalihttps://www.blogger.com/profile/09587252663847734730noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-53434889063973980312011-05-08T13:52:23.718+05:302011-05-08T13:52:23.718+05:30बल्कि खुश होता हूँ हमेशा,
जब भी ऐसा सोचा कि
मुझे म...बल्कि खुश होता हूँ हमेशा,<br />जब भी ऐसा सोचा कि<br />मुझे मिटाकर देखना कभी,<br />तुझमें ही खो जाऊँगा, <br />और तुझमें ही घुल जाऊँगा।<br /><br />ऐसी दशा में ‘अद्वैत‘ हो जाना अच्छा संकेत है।<br />रचना में दार्शनिकता के तत्व मौजूद हैं।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-31967882882123949092011-05-08T02:03:21.395+05:302011-05-08T02:03:21.395+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-13859403429996794732011-05-08T00:03:06.011+05:302011-05-08T00:03:06.011+05:30ये नाव मैं बैठकर आप नहाने गए थे। वहां जाकर कविता क...ये नाव मैं बैठकर आप नहाने गए थे। वहां जाकर कविता करने लगे। संभलकर रहना पड़ेगा।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-14702870157799751562011-05-07T19:01:36.513+05:302011-05-07T19:01:36.513+05:30बिना पतवार के हम व्यक्तित्वों के सागर में ऐसे ही ड...बिना पतवार के हम व्यक्तित्वों के सागर में ऐसे ही डोलते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com