tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post6127789755101602019..comments2023-12-21T16:22:10.490+05:30Comments on मो सम कौन कुटिल खल कामी.. ?: इंतज़ार.......समापन कड़ीसंजय @ मो सम कौन...http://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-45044886938572229962015-08-14T08:31:29.347+05:302015-08-14T08:31:29.347+05:30 कथ्य अक्सर पढ़ा और देखा हुआ है लेकिन कहने का तरीक... कथ्य अक्सर पढ़ा और देखा हुआ है लेकिन कहने का तरीका बहुत सुन्दर है .सहज स्वाभाविक ,जो किसी भी कथ्य को विश्वसनीय और पठनीय बनाता है .गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-39130006066010490892013-05-07T13:42:25.929+05:302013-05-07T13:42:25.929+05:30आज इस कहानी के सभी एपिसोड एक साथ पढ डाले. कुछ सेड ...आज इस कहानी के सभी एपिसोड एक साथ पढ डाले. कुछ सेड सेड भी हो सकता था. बहरहाल गुदगुदी तो हुई. P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-10428789073435656762011-08-07T10:46:08.531+05:302011-08-07T10:46:08.531+05:30aaj pooree kahanee ek sath padee koi intzar nahee ...aaj pooree kahanee ek sath padee koi intzar nahee karna pada......badee pyaree lagee......kitnee sahjata se jindgee utar lete ho lekhan me.......sab kuch samne ghatta sa nazar aata hai......Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-17119377996968433992011-02-02T06:40:54.348+05:302011-02-02T06:40:54.348+05:30@ आशीष:
आज मेरी बात नहीं, सिर्फ़ तुम्हारी बात। JAI...@ आशीष:<br />आज मेरी बात नहीं, सिर्फ़ तुम्हारी बात। JAIIB एक छोटा सा पड़ाव है तुम्हारे लिये, ये तो मैं भी हो गया था:) जब तक हैप्पिली अनमैरिड हो, CAIIB भी हो जाओ और और और भी, उसके बाद का कुछ तय नहीं होता:))<br />बधाई हो, बहुत बहुत लेकिन याद रहे ये मंजिल नहीं है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-20772686182151149782011-02-02T06:24:22.204+05:302011-02-02T06:24:22.204+05:30बाऊ जी,
नमस्ते!
सारी किश्तें अभी सुबह ही पढ़ी हैं. ...बाऊ जी,<br />नमस्ते!<br />सारी किश्तें अभी सुबह ही पढ़ी हैं. ये जो 'कहानी' है, मुझे यकीन है के आपकी किसी हकीक़त का नाटकीय रूपांतरण है... हां, बीच-बीच में आपने राईटर वाली फीलिंग भी ले ली है. अच्छी लगी.<br />कुछ-न-कुछ तो है जो पात्रों को आपसे जोड़ता है.... पूरी तरह काल्पनिक....? शायद नहीं. <br /><br /><br />ख़ाकसार अब जे ए आई आई बी है. कल ही रिज़ल्ट आया है.<br />आशीषसूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-19401729784674984842011-02-02T06:22:07.962+05:302011-02-02T06:22:07.962+05:30@ अदा जी:
क्या हुआ जी? कोई गलती?
@ शिवकुमार(शिवा)...@ अदा जी:<br />क्या हुआ जी? कोई गलती?<br /><br />@ शिवकुमार(शिवा):<br />धन्यवाद शिवाकुमार जी, अध्यापक हैं आप। आशा है त्रुटियों पर ध्यान दिलाते रहेंगे।<br /><br />@ sanjay kumar jha:<br />बहुत चालू निकले यार, लिंक पर क्लिक किया तो मेरे ही डैशबोर्ड पर पहुंच गया:)) <br />प्रणाम का लोजिक इतना शानदार दिया है कि मना नहीं कर सकता अब।<br />पढ़ाई पहली प्राथमिकता होनी ही चाहिये, शुभकामनायें।<br /><br />@ अविनाश चन्द्र:<br />better late than never, और घर पर हो तो और भी लेट हो जाते कोई दिक्कत नहीं थी। पेरेंट्स को मेरी तरफ़ से चरण-स्पर्श और आभार पहुंचाना।<br />अवि और रवि मुझे बहुत कुछ एक से दिखते हैं, इंतज़ार को तैयार हो जानकर अच्छा लगा(वैसे ये मालूम था), तीस फ़रवरी आयेगी:)<br />पेट नार्मल मीनू से ही भरता है, ये अलग बात है कि आज नार्मल चीजें ही अबनार्मल लगती हैं। थैंक्स अगेन, अवि, मेरे भाई।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-26243870680412212062011-02-01T19:13:34.715+05:302011-02-01T19:13:34.715+05:30घर पर हूँ इस हफ्ते, तो देर से आया। वैसे भी कोई समय...घर पर हूँ इस हफ्ते, तो देर से आया। वैसे भी कोई समय पर तो आया करता नहीं हूँ। <br />ईमानदारी से कल पढ़ लिया था, पर ऐन वक़्त पर कनेक्शन कट गया, वरना रवि भाई की बात चोरी कर लेता :)<br />खैर, मुद्दा ये है कि मुझे सुखद कहानियाँ पसंद हैं। मीठी हों तो और भी पसंद। तीस फरवरी, पैंतीस मार्च का इन्तजार भी कर सकता हूँ, गौथम शहर बैटमैन का इन्तजार कर सकता है तो मैं भी तीस फरवरी का इन्तजार कर सकता हूँ। <br /><br />कहानी अच्छी लगी, पेचीदा नहीं है, पर सरल होना खासियत नहीं है, ऐसा भी तो नहीं।<br />रोटी-चावल तो रोज का नॉर्मल मेनू ही होता है न? :)<br /><br />P.S.: "If this is a reality I got to win, and if this is a dream, I don't like nightmares. Stay assured, I'll be back." Neo said this to Morpheus. -MATRIXAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-43661083732066661572011-02-01T16:37:59.304+05:302011-02-01T16:37:59.304+05:30@mo-sum-aap.....kaasekahoon/blogspot.com
address ...@mo-sum-aap.....kaasekahoon/blogspot.com<br /><br />address to de raha hoon.....lekin aap ye na samjhna ke maine aap ki baat man li.....hum nahi<br />parnewale is pher me......ek post likhne ke chakkar me to sari padhai choot jayegi.......<br /><br />apne gen...me sabse chotta hoon.....adat bani hue hai......jinke prati man me adar aa jaye...<br />unneh pranam karne me kya sankoch............<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-25206112948299800722011-02-01T11:51:10.764+05:302011-02-01T11:51:10.764+05:30पहली बार आप के ब्लॉग पर आया हूँ आकर बहुत अच्छा लगा...पहली बार आप के ब्लॉग पर आया हूँ आकर बहुत अच्छा लगा , आपकी कहानी भी बहुत सुंदर लगी <br /> कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपने एक नज़र डालें ..शिवाhttps://www.blogger.com/profile/14464825742991036132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-49480314162266125552011-01-31T23:57:28.825+05:302011-01-31T23:57:28.825+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-86213819613372390202011-01-31T23:42:26.061+05:302011-01-31T23:42:26.061+05:30@ अदा जी:
ऐसा जरूर होगा। शुभ्रा सुबीर के आँगन में ...@ अदा जी:<br />ऐसा जरूर होगा। शुभ्रा सुबीर के आँगन में ठुमक कर ही मानेगी।<br />लास्ट लाईन तो मुझे खुद को ऐसी अच्छी लगी कि यहीं समेटना पड़ा सब कुछ।<br />आभार तो आपका है जी।<br /><br />@ रवि शंकर:<br />लो कल्लो बात। जिनके चक्कर में ड्रामा किया, वही फ़िर गिला कर गये। <br />अनुज, आज तुम्हारा कमेंट कुछ पहले आया होता तो मुझे ये थोथी दलीलें न देनी होतीं। मैंने तीस फ़रवरी की बात मजे के लिये ही लिखी थी लेकिन कहीं एक आशा थी कि यहाँ कुछ भी असंभव नहीं। मेरी सोच को(व्रत वाली भी) एक सारगर्भित आधार देने के लिये, सैल्यूट बहुत होगा? सैल्यूट, रवि।<br /><br />@ सम्वेदना के स्वर:<br />सलिल भैया, है तो हैप्पी एंडिंग ही(p.s. को अलहदा ही रहने दीजिये, वो तो हमारा हस्ताक्षर इश्टाईल है), बाकी आप जो फ़ैसला सुनाये:) आपकी शैली में कभी पात्र या घटना विवरण जानने को मिला तो बहुत मजा आयेगा। गाना बहुत-बहुत प्यारा है, थैंक्स।<br /><br />@ prkant:<br />प्रोफ़ैसर साहब, निराशा में भी तो आशा, प्यार ही देख रहा हूँ।<br />बाद में जो लिखा है आपने, सो तो जान भुगत ही रहे है:))<br /><br />@ विचारशून्य:<br />मेरी पोस्ट पर कमेंट्स पोस्ट की फ़ेस वैल्यू बढ़ाते हैं, तुम्हारी ताल से ताल मिलाता हूँ दोस्त। तुम भी तो प्रणाम के हकदार हो।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-38778857518359172022011-01-31T23:08:47.000+05:302011-01-31T23:08:47.000+05:30भाग एक से लेकर अभी तक कि पूरी कहानी पढ़ी. सच कहूँ त...भाग एक से लेकर अभी तक कि पूरी कहानी पढ़ी. सच कहूँ तो कहानी एकदम सीधी सधी सरल है पर मुझे ज्यादा मजा कहानी के प्रत्येक भाग पर मिली टिप्पणिया पढ़ कर आया. ब्लॉग्गिंग का यही मजा है. सभी टिप्पणी कर्ता ब्लोग्गेर्स को मेरा प्रणाम.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-933857675715389892011-01-31T22:49:57.692+05:302011-01-31T22:49:57.692+05:30संजय जी,
हम अपनी जिंदगी में इतने उलझावों का सामना ...संजय जी,<br />हम अपनी जिंदगी में इतने उलझावों का सामना करते हैं कि सीधी- सपाट कहानी अप्रत्याशित लगती है. 'इंतज़ार' का सीधा अंत इसीलिए कुछ लोगों को निराश करता है.<br />'करवा चौथ' अब 'हसबेंड डे' होने ही वाला है. <br />यह भी जान लीजिए कि हसबेंड का मूल अर्थ अब केवल 'एनिमल हसबेंडरी' में ही सुरक्षित बचा है. :)rajani kanthttps://www.blogger.com/profile/01145447936051209759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-61087892404694210762011-01-31T22:11:40.462+05:302011-01-31T22:11:40.462+05:30@ sanjay jha:
भैया नामराशि, ये प्रणाम मत किया करो ...@ sanjay jha:<br />भैया नामराशि, ये प्रणाम मत किया करो यार:) इससे तो अपने ब्लाग का लिंक दो, हमें उत्सुकता हो रही है:) शुक्रिया।<br /><br />@ राहुल सिंह जी:<br />आप तो शरीक रहेंगे ही, आप ये बतायें आपकी फ़ीडबैक के आधार पर प्रयोग कैसा रहा? प्रयास किया तो है कि हर पोस्ट अपने आप में एक ईंडिविजुअल कहानी भी लग सके।<br /><br />@ लक्की:<br />धन्यवाद, इस खूबसूरत शेर और कमेंट के लिये। सरलीकरण का स्पष्टीकरण कहानी के बाद लिखा ही है।<br /><br />@ उपेन्द्र ’उपेन’:<br />तीस फ़रवरी भी आयेगी उपेन्द्र जी, निश्चिंत रहें। <br /><br />@ Patali-The-Village:<br />धन्यवाद।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-73984580156713165662011-01-31T21:59:02.030+05:302011-01-31T21:59:02.030+05:30@ अली साहब:
मज़लूम को जालिम करार दे दिया, अली साहब...@ अली साहब:<br />मज़लूम को जालिम करार दे दिया, अली साहब? यहाँ तक तो फ़िर ठीक है, आप भी हमें किस्सागो कहते हैं?:))<br /><br />@ प्रवीण पाण्डेय जी:<br />सच में गीत पोस्ट की सेंटीमेंट्स को ईको करता है, शुक्रिया सर।<br /><br />@ saanjh:<br />आप पढ़ने को तैयार हैं तो सैड एंडिंग भी जरूर लिखेंगे जी, वो तो वैसे भी हमारी फ़ेवरिट हैं। धन्यवाद।<br /><br />@ anshumala ji:<br />कहानी तो हैप्पी एंडिंग ही है जी, p.s. को कहानी का हिस्सा न मानकर चलते-चलते मानिए न:) छत्तीस का आंकड़ा सही नहीं, चालीस या फ़िर अड़तीस तो कर ही लीजिये, हा हा हा। और हम तो इसमें खुश हैं कि इस लायक तो हुये कि अब लोग बाग सुनाते तो हैं, वरना जंगल में मोर नाचा किसने देखा? धनबाद रखे रखियेगा:))<br /><br />@ दीपक सैनी:<br />पार्टी कर देंगे यार, सहारनपुर आकर। चक्कर लगता रहता है अपना, सच में। और हैप्पी जर्नी, चाँद को सलाम-नमस्ते कहना हमारी भी:) याद आ ही गई है किसी की तो फ़िर हो जाये एक पोस्ट? अग्रिम शुभकामनायें।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-78495457410718175152011-01-31T21:29:56.600+05:302011-01-31T21:29:56.600+05:30तो ये है हैप्पी एण्डिंग!! मतलब हम सबको बेवक़ूफ़ बना ...तो ये है हैप्पी एण्डिंग!! मतलब हम सबको बेवक़ूफ़ बना रहे हैं या ख़ुद को मुग़ालते में रखा है!! कहा था न, मैं मिल चुका हूँ इस कहानी के किरदारों से!! बहरहाल, आज एक गाना मेरी तरफ सेः<br /><b>तुम आए तो आया मुझे याद, गली में आज चाँद निकला,<br />जाने कितने दिनों के बाद,गली में आज चाँद निकला.</b><br />(सलिल)सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-58437042378699154442011-01-31T19:26:51.316+05:302011-01-31T19:26:51.316+05:30इसको खत्म काहे कर दिये हुकुम ! हम तो ता-कयामत पढने...इसको खत्म काहे कर दिये हुकुम ! हम तो ता-कयामत पढने के लिये तैयार थे। खैर…… अब कर दिये तो कर दिये पर एक मिठास छोड़ गये मन में। और रही माडर्न बनाम व्रत-परंपरा की बात तो ये कह सकते हैं कि मुहब्बत आस्थायें और भावनायें बदलने का ही नाम है… "अहम ब्रह्म अस्मि" को पालने वाला भी समर्पित हो जाता है इष्ट के आगे। तो जो कुछ भी करने से इष्ट के मंगल होने की सम्भावना हो प्रेमी मन वह करता ही है :)<br /><br />===============================================<br /><br />Scientific facts के अनुसार उफ़क फ़ैल रहा है हुकुम ! मतलब ये कि ग्रहों की कक्षा और घूर्णन की गति भी बदल रही है… क्या पता जैसे अभी 4 साल में एक दिन बढ जाता है वर्ष में, कुछ समय बाद 2 दिन बढ जायें । मैं तो आशावादी हूँ शुभ्रा को सुबीर के आँगन में ठुमकता देखने के प्रति :)Ravi Shankarhttps://www.blogger.com/profile/08004933931335889834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-29523331440522567912011-01-31T19:01:30.046+05:302011-01-31T19:01:30.046+05:30@ स्मार्ट इंडियन:
हा हा हा, दीदीगिरी खारिज, दादीगि...@ स्मार्ट इंडियन:<br />हा हा हा, दीदीगिरी खारिज, दादीगिरी एक्सेप्टेबल। पहले ध्यान नहीं गया नहीं तो गुंडीगर्दी लिख देता, फ़िर सही जब दोबारा बहकने का मौसम आया तो:))<br /><br />@ भारतीय नागरिक:<br />धन्यवाद सर।<br /><br />@ अभिषेक ओझा:<br />एकदन सहमत, लेकिन कहानी ही तो है। तकदीर अपने बस में नहीं होती, यहाँ वश चला तो चला दिये।<br /><br />@ नीरज बसलियाल:<br />thanx Neeraj. at many times simplicity amazes, isn't it?<br /><br />@ सोमेश सक्सेना:<br />साफ़गोई अच्छी लगी सोमेश। सहमत हूँ कि कहानी जल्दबाजी में खत्म हो गई, असल में ये मेरी प्रेफ़र्ड लाईन है भी नहीं। फ़िर कोशिश करेंगे शिकायत दूर करने की:)<br />बहुत सी अत्याधुनिकायें भी बहुत शौक से ऐसे व्रत वगैरह रखती हैं, और सिर्फ़ पहनावा या बोल्ड एंड वर्किंग वुमैन होना किसी के कट्टरपंथी होने न होने का अकेला पैमाना नहीं। निराश किया तुम्हें, उसके लिये खेद लेकिन मैं आशान्वित हुआ कि गौर से भी पढ़ा जाता है मुझे। फ़िर से शुक्रिया।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-27867166488520288662011-01-31T18:15:05.957+05:302011-01-31T18:15:05.957+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-88096352388666660172011-01-31T17:32:41.619+05:302011-01-31T17:32:41.619+05:30एक अच्छी कहानी के लिये बधाई|एक अच्छी कहानी के लिये बधाई|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-52079286442821152712011-01-31T14:00:04.980+05:302011-01-31T14:00:04.980+05:30अब २९ फरवरी रहती तो एक साल बाद आ भी जाती मगर अब ३...अब २९ फरवरी रहती तो एक साल बाद आ भी जाती मगर अब ३० फरवरी तो कभी आने से रही............ वैसे कहानी अच्छी रही और अंत तक बांधे रखने में सफल रही.उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-41597045920657912752011-01-31T13:55:48.062+05:302011-01-31T13:55:48.062+05:30मुबालग़े ही सही, सब कहानियां हीं सही
अगर वो ख़्वाब ह...मुबालग़े ही सही, सब कहानियां हीं सही<br />अगर वो ख़्वाब है तो ताबीर कर के देखते हैं<br /><br />बचपन के सारे बचपने याद आ गये... सच कहूं तो आपने कथा का अत्यंत सरलीकरण कर दिया है... ख़ैर ये भी होना चाहिये कभी कभी...लक्कीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-49534515533493128582011-01-31T12:28:17.758+05:302011-01-31T12:28:17.758+05:30तीस फरवरी रविवार ही है न, दरअसल और किसी दिन-वार की...तीस फरवरी रविवार ही है न, दरअसल और किसी दिन-वार की शादी में हम शामिल नहीं होते, पक्का सिद्धांत है अपना. अब अगर हमारा शरीक होना जरूरी मानें तो ...Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-8411543391800215022011-01-31T11:25:22.762+05:302011-01-31T11:25:22.762+05:30feb-30......khoobsurat dhokha.......sahi hai....ai...feb-30......khoobsurat dhokha.......sahi hai....aisi bhi kya jaldi thi....... yse agle<br />post ka waqt aap tay karen......intzar hum kar <br />lenge...............<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-53227486188791960242011-01-31T11:12:11.112+05:302011-01-31T11:12:11.112+05:30भाई साहब प्रणाम,
30 फरवरी को शादी करा कर क्यो ह...भाई साहब प्रणाम,<br /> 30 फरवरी को शादी करा कर क्यो हमारे पेट पर लात मार रहे हो, साल की पहली दावत आने वाली और भी उस दिन, जिस दिन मै चाँद पर घूमने जा रहा हूँ। हा हा हा<br />कहानी मे व्रत करने का बहाना दिल को छू गया और किसी की याद दिला गया। <br />शुभकामनायेDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.com