tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post3198739913345954355..comments2023-12-21T16:22:10.490+05:30Comments on मो सम कौन कुटिल खल कामी.. ?: ये ज़िंदगी के मेले....संजय @ मो सम कौन...http://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-20207522921627857352010-12-09T00:42:29.636+05:302010-12-09T00:42:29.636+05:30भाई , इतना ढेर एक बार में ही कैसे लिख डालते हैं आप...भाई , इतना ढेर एक बार में ही कैसे लिख डालते हैं आप ! और यह भी नहीं लगता - '' अब ज्यादा बोर आज ही कर दूंगा तो फ़िर कौन आयेगा जी यहाँ? '' <br /><br />यह गाना मेरे कुछ प्रिय गानों में एक है ! आभार !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-76457639206302342772010-12-07T23:33:59.832+05:302010-12-07T23:33:59.832+05:30bahoot hi sunder prastuti............gana bilkul s...bahoot hi sunder prastuti............gana bilkul schchai bayan karta hua. sunder chayan.उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-741380456941149942010-12-07T05:33:44.713+05:302010-12-07T05:33:44.713+05:30हीहीहीहीहहीहीहीहीही एक ही बिरादरी के हम लोग हैं। स...हीहीहीहीहहीहीहीहीही एक ही बिरादरी के हम लोग हैं। साढ़े बारह रुपये के पास को पूरा वसूला है हमने भी। अब तो इत्ता गुमान हो जाता है कि हम किसी भी जगह पर पहुंचते ही लगता है यहां कभी आएं हैं। भले ही वो कलोनी बसी न हो साढे बारह के पास के हमारे वाले समय में। बाकी तो जी हम भी पूरे वैजिटैरियन ही रहे हैं। हां बैंक बैंचर कुई मामलों में न रहे। और कई मामलों में बचाओ आंदोलन के नेता और कार्यकर्त्ता का दोनो रोल निभाने के साथ भाषण भी पैल देते। यानि बचने वाली लाइट मारती जवानियों को रंग बदलते कौवी को (कौवो के लिए तो हंसनियां थी ही जनाब..हम तो तब भी न सुधरे।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-331696111490536022010-12-06T23:14:31.994+05:302010-12-06T23:14:31.994+05:30भैया गाना अच्छा लगाया। हमारी पसंद का है।भैया गाना अच्छा लगाया। हमारी पसंद का है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-89567179803106013942010-12-06T21:55:53.090+05:302010-12-06T21:55:53.090+05:30@ चला बिहारी:
अच्छी दोस्ती निभा रहे हैं जी, ऐसे भा...@ चला बिहारी:<br />अच्छी दोस्ती निभा रहे हैं जी, ऐसे भारी भरकम बघेरे हम पर छोड़ रहे हैं? मेंढकी को तो चाकू ही काफ़ी है सरकार।<br /><br />@ सैल जी:<br />धन्यवाद जनाब, पसंद को पसंद करने के लिये।<br /><br />@ काजल कुमार जी:<br />टाईम खोटा था भाई जी, जाना पड़ा फ़त्तू को ऐसी खतरनाक जगह।<br /><br />@ पं. डी.के.शर्मा ’वत्स’ जी:<br />मेलियों के बिना कैसे मेले, सही कहा जी।<br />टैम्पलेट भी बदलेंगे सरकार, बहुत कुछ बदलना है अभी तो।<br /><br />@ निर्मला कपिला जी:<br />मैडम जी, आशीर्वाद मिलता रहता है आपका, आभारी तो मैं हूँ।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-39494928581897723932010-12-06T16:55:44.929+05:302010-12-06T16:55:44.929+05:30हम अपनों की कदर तभी करते हैं, जब थामी हुई उनकी उंग...हम अपनों की कदर तभी करते हैं, जब थामी हुई उनकी उंगली छूट जाये। जिन्दगी के सभी सुख मौजूद रहते हुये भी मन उचाट रहता है, फ़िर मालूम चलता है कि असली सुख तो उस सहारे में था न कि इस दुनिया की रंगीनियों मेंशंसी हंसी मे कितनी बडी बात कह दी। हर पोस्ट मे इतनी रोचकता आप ही ला सकते हैं।<br />फत्तू अपनी जगह सही है। <br />आभार और शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-86739273388295836502010-12-05T18:56:27.574+05:302010-12-05T18:56:27.574+05:30ये जिन्दगी के मेले...लेकिन ये मेले भी तो मेलियों स...ये जिन्दगी के मेले...लेकिन ये मेले भी तो मेलियों से ही है. मेली नहीं तो फिर काहे के मेले :)<br /><br />एक सुझाव:- <br />अगर उचित समझें तो आप ब्लाग का टैम्पलेट बदल लीजिए. ये वाला रंग कुछ अखरता सा है. वैसे कोई जरूरी नहीं कि आपको तथा ओरों को भी ऎसा ही लगता हो. हो सकता है इस रंग से हमें ही कुछ प्राब्लम हो.Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-47109930894839736292010-12-05T18:15:24.320+05:302010-12-05T18:15:24.320+05:30वाह भई फत्तू तुम सैक्टर 17 न ही जाते तो ही अच्छा ह...वाह भई फत्तू तुम सैक्टर 17 न ही जाते तो ही अच्छा होता... सच बहुत कड़वा होता है नKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-44785216164762972052010-12-05T08:41:17.071+05:302010-12-05T08:41:17.071+05:30आज तो आप तब्यत खुश कर दिए जी, ये तो मेरा पसंदीदा ग...आज तो आप तब्यत खुश कर दिए जी, ये तो मेरा पसंदीदा गाना है ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-43615767629487005402010-12-04T22:39:11.165+05:302010-12-04T22:39:11.165+05:30@ Anand Rathore:
ये आना भी कोई आना है, हजरत? आते ह...@ Anand Rathore:<br />ये आना भी कोई आना है, हजरत? आते ही फ़त्तू से मुठभेड़!<br />सही कहा आनन्द आपने, गम न हों तो खुशियों की ही कहाँ कद्र हो। शुक्रिया दोस्त।<br /><br />@ अली साहब:<br />रहगुज़र कैसी भी हो,ऐसे सहारों के दम पर ही फ़त्तू जैसों की गुजर बसर है, वरना तो क्या मानुष और क्या मानस की जात।<br /><br />@ अमित शर्मा:<br />आय हाय, तेरा एस्माईली...।<br /><br />@ अनुपमा पाठक:<br />धन्यवाद अनुपमा जी।<br /><br />@ दीपक सैनी:<br />कन्फ़्यूज़न दूर करना जरूरी था दीपक, तुम खुद समझदार हो।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-57952413965783201852010-12-04T22:04:13.254+05:302010-12-04T22:04:13.254+05:30संजय बाऊजी!! राहत साहब का शेर (बघेर)लिखा है आपने.....संजय बाऊजी!! राहत साहब का शेर (बघेर)लिखा है आपने... <br /><b>ख़ुदा हमको ऐसी ख़ुदाई न दे, <br />कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे.</b><br />आपको ख़ुदा दिखे न दिखे, ख़ुदा की इस ख़ुदाई में ख़ुदा के वो बंदे दिख जाते हैं जो किसी को नहीं दिखते...अब चाहे वो गुमशुदा उँगली हो,ठोकर खाकर गिरते लोगों का रिऐक्शन हो या फिर (रंजना जी के ब्लॉग पर देखा)सर्द रातों में ख़ुदा से फरियाद करता वो पागल हो, जिसे आप जंगल में मिले थे... मेरा ख़ुद का एक बघेरा आप पर छोड़े जा रहा हूँ:<br /><b>शकल देखी नहीं उसकी जो है आकाश में रहता <br />मगर जब याद करता हूँ तो ‘मो सम कौन’ लगता है!</b>चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-60830267742742548022010-12-04T20:08:03.405+05:302010-12-04T20:08:03.405+05:30कन्फयूजन दूर करने के लिए धन्यवादकन्फयूजन दूर करने के लिए धन्यवादDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-55684128648113065922010-12-04T19:24:31.407+05:302010-12-04T19:24:31.407+05:30रोचक पोस्ट!रोचक पोस्ट!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-17554980734972898922010-12-04T17:03:03.788+05:302010-12-04T17:03:03.788+05:30@ अविनाश जी:
क्या कहूँ साहब? :)
@ prkant:
कुछ तो ...@ अविनाश जी:<br />क्या कहूँ साहब? :)<br /><br />@ prkant:<br />कुछ तो बाकी रहने देते प्रोफ़ैसर साहब, आप भी:)<br /><br />@ anshumala ji:<br />खूब फ़बा जी फ़त्तू आपकी जुबानी, बल्कि ये तो सवा फ़त्तू निकला, हा हा हा।<br /><br />@ प्रवीण शाह:<br />आभारी तो मैं हूं जी आपका, आपके काम्प्लिमेंट का। काम्प्लिमेंट ही है न वैसे?:)<br /><br />@ अभिषेक ओझा:<br />मान ली जी गारंटी आपकी। चलिये कहीं तो हमख्याली हुई आपसे। ये रूठे जीजा-फ़ूफ़ा शायद बेसिक इंडियन कैरेक्टर हैं:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-46092764980435185522010-12-04T16:31:17.020+05:302010-12-04T16:31:17.020+05:30@ kshama ji:
धन्यवाद महोदया, आपका बहुत शुक्रिया।
...@ kshama ji:<br />धन्यवाद महोदया, आपका बहुत शुक्रिया।<br /><br />@ भारतीय नागरिक:<br />एकदम सही कहा जी आपने, मुट्ठी खोलो तब तक सब रीत चुका होता है।<br /><br />@ धीरू सिंह जी:<br />एस्कॉर्ट सुविधा शुरू से ही आपके पास:)<br /><br />@ दीपक डुडेजा:<br />लगे हुये हैं बाबाजी, दयादृष्टि रखिये बस:)<br /><br />@ सम्वेदना के स्वर:<br />हमें ज्यादा कुछ याद नहीं रहता, एक शेर बघेरा सा सुना था बचपन में, "हंसो आज इतना कि इस शोर में, सदा इन दिलों की सुनाई न दे" वो याद है जी।<br />बोरियत की ऐसी की तैसी, चांद को तोड़ने की मत कहिये जी, वैसे ही..।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-35860324071611895802010-12-04T08:40:37.306+05:302010-12-04T08:40:37.306+05:30'कीबोर्ड' पर अँगुलियों की मदद से जिंदगी मे...'कीबोर्ड' पर अँगुलियों की मदद से जिंदगी में अँगुलियों के सहारों / भरोसे पे , बेहतर 'इशारा' कर गए आप !<br /><br />फत्तू को तो इन 'सहारों' ने ही गलत राह से गुजारा करवा दिया होगा ना :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-66453406314876365622010-12-04T08:03:45.810+05:302010-12-04T08:03:45.810+05:30@ अविनाश:
इन सबमें से एक भी चीज तुम्हारे काम आ सके...@ अविनाश:<br />इन सबमें से एक भी चीज तुम्हारे काम आ सके, तो अपनी खिटिर पिटिर सार्थक हो जाये दोस्त। प्यार से तो कुछ भी ले जाओ, खुशी ही होगी मुझे। तुम्हारी कैटेगरी बहुत अलहदा, बहुत जुदा है। कहा है न पहले भी कि तुम जैसों के कमेंट बहुत बड़ा ईनाम हैं मेरे लिये, संभाल रहा हूँ, झोली बड़ी कर ली है:)<br /> @ "कम-ऑन वैल्थ खेल" पर कॉपीराईट करा लिया?<br /> इसका क्लैरिफ़िकेशन ऊपर अदा जी को दे दिया है, वही पढ़ लेना। <br /> इतना कुटिल भी नहीं कि दूसरे को मिलने वाला क्रेडिट चुपचाप <br /> हड़प लूँ। सच बताकर हड़प लूंगा, हा हा हा।<br /><br />@ ताऊ रामपुरिया:<br />ताऊ, आज गलती कर गया। फ़त्तू की जगह उसके बाबू को क्यूं लपेटते हो?<br />रामराम।<br /><br />@ ktheLeo:<br />सरजी, ये मजा सा बहुत गज़ब है, सच में:)<br /><br />@ पी.सी.गोदियाल जी:<br />शुक्रिया, थपलियाल जी:)<br /><br />@ राहुल सिंह जी:<br />दो बार पढ़ा, यानि कि डबल टाईम खोटी? आप तो कामकाज वाले आदमी हैं साहब:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-2102370184387786932010-12-04T07:32:32.626+05:302010-12-04T07:32:32.626+05:30@ वाणी गीत:
शुक्रिया आपका।
@ अदा जी:
एक क्लैरिफ़ि...@ वाणी गीत:<br />शुक्रिया आपका।<br /><br />@ अदा जी:<br />एक क्लैरिफ़िकेशन:कम-ऑन वैल्थ खेल....:):)Perfect..!!ये जुमला मेरा नहीं है, यहीं किसी ब्लॉग पर पढ़ा था। और चूंकि मैं बहुत कम ब्लॉग्स पर जाता हूँ, मुझे तो लगा था कि शायद आपही के यहां पढ़ा होगा। आप परफ़ैक्ट कह रही हैं तो डाऊट हो रहा है। शायद, ’संवेदना के स्वर’ से या फ़िर ’प्रतुल वशिष्ठ’ के ब्लॉग से हाईजैक किया है ये, सो इसकी तारीफ़ नहीं रखूंगा:)<br />बचाओ आंदोलन में शरीक होने की इच्छा तो रहती थी, लेकिन शुरू से ही बैकबेंचर, लेटकमर्स, लाईन में पीछे रहने की आदतों के चलते - मेरी बात रही मेरे मन में - और हम ओब्जर्वर, आलोचक, समीक्षक, निंदक बनकर ही गुबार देखते रहे:)<br />आपके कमेंट के लिये ’हमेशा की तरह आभारी।’ <br /><br />@ साकेत शर्मा:<br />धारदार बना दी है मेरी ओब्जर्वेशन तुमने, साकेत। शुक्रिया।<br /><br />@ उदय जी:<br />धन्यवाद उदय जी, <br />इस वाली प्रोफ़ाईल तस्वीर में आप थोड़े से खफ़ा से दिखते हैं, इसलिये पूछा था आपसे, बुरा नहीं मानेंगे आप, ये आशा है।<br /><br />@ प्रवीण पाण्डेय जी:<br />हमारा तो साथ जिन्दगी निभाती रही है अब तक।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-49916117960181203672010-12-04T06:56:11.438+05:302010-12-04T06:56:11.438+05:30@ डा. अजीत गुप्ता जी:
क्या बात कहती हैं मैडम आप, म...@ डा. अजीत गुप्ता जी:<br />क्या बात कहती हैं मैडम आप, मैं तो बहुत स्लो मोशन वाली पिक्चर हूं। 20-20 भी टैस्ट मैच जितना हो जायेगा, मेरी चले तो। फ़त्तू की ही बात करें जी सब, अपन गुमनाम ही ठीक हैं। आपका बहुत आभारी हूँ, आशीर्वाद मिलता रहता है आपका।<br /><br />@ anshumala ji:<br />हंस लो आप भी, देख लेंगे:)<br /><br />@ अंतर सोहिल:<br />अमित प्यारे, मुश्किल से तो यार तुम्हें प्रणाम से राम राम तक लाता हूँ, फ़िर तुम वही प्रणाम। हो पक्के फ़त्तू के गैंग के:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-52625849521128977062010-12-04T06:12:41.717+05:302010-12-04T06:12:41.717+05:30@ saanjh:
सही कहती हैं आप, तभी तो फ़त्तू ने गांव ल...@ saanjh:<br />सही कहती हैं आप, तभी तो फ़त्तू ने गांव लौटने का फ़ैसला किया:)<br />thanx.<br /><br />@ दीपक डुडेजा:<br />भाई, हम तो रहे पवित्र पापी, पाप करते थे पवित्रता के साथ:)<br /><br />@ दीपक सैनी,<br />नो कन्फ़्यूज़न दीपक, ऑल इज़ वैल। ईश्वर की दया से मेरा सब परिवार एकदम फ़िट है, पिता वाली बात तो एक रिश्तों की अहमियत समझने का नजरिया था। बहरहाल, मेरी बातें याद रखते हो, शुक्रिया।<br /><br />@ अरविन्द जी:<br />क्रांतिदूत महाराज, हम तो खुद आपकी व्यंग्य शैली के फ़ैन हैं, और दोस्त सिंपल विषय से आगे अपनी रेंज है ही नही:)<br /> <br />@ मज़ाल साहब:<br />सही फ़रमाया साहब, फ़ाज़ली साहब ने भी और आपने भी।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-67951258131554537992010-12-04T01:34:00.226+05:302010-12-04T01:34:00.226+05:30haz se aa gaye miyan..aur aate hi.. fattu se mulak...haz se aa gaye miyan..aur aate hi.. fattu se mulakat ho gayi... <br /><br />papa papa kahte the, bade maje mein rahte the...baat to sahi kahiye hai..bas itna kahunga<br /><br />apna ehsaas dene ko..khushiyan rakhti hain saath gam.Anand Rathorehttps://www.blogger.com/profile/14768779067635315825noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-40333003283513973112010-12-03T23:33:08.811+05:302010-12-03T23:33:08.811+05:30ये अनलिमिटेड पास के पैसे आपने हमसे अधिक नहीं वसूले...ये अनलिमिटेड पास के पैसे आपने हमसे अधिक नहीं वसूले होंगे उसकी गारंटी :) हम इंटर्नशिप पर थे तो एक एक गाँव एक एक झील देख डाली थी. पूरा स्विट्ज़रलैंड. एक दिन भी नहीं छोड़ते थे. <br />बाकी रूठे हुये फ़ूफ़ा जीजा की तरह मान-मनव्वल करवाने का ख्याल तो हमें भी आता रहता है :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-68382297623200032192010-12-03T23:29:40.975+05:302010-12-03T23:29:40.975+05:30.
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कई कई बार पढ़ा...
और हर बार पहले से ज्यादा ....<br />.<br />.<br />कई कई बार पढ़ा... <br />और हर बार पहले से ज्यादा मजा आया...<br /><br />आभार आपका इस खूबसूरत मेला घुमाई के लिये !<br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-89050855369760717312010-12-03T23:13:14.829+05:302010-12-03T23:13:14.829+05:30@हम अपनों की कदर तभी करते हैं, जब थामी हुई उनकी उं...@हम अपनों की कदर तभी करते हैं, जब थामी हुई उनकी उंगली छूट जाये।<br /><br /> संजय जी जमाना बदल गया है जब कमजोर है बच्चे है तभी तक इन थामी हुई उंगलियों की कदर है बड़े या ताकतवर हुए नहीं की फिर किसी की जरुरत नहीं होती जाने वाला जाता है और बड़े दार्शनिक हो कर हम कहते है की किसी के जाने से दुनिया तो नहीं रुकती वो तो चलती रहती है और सब भूल कर अपने काम में लगा जाते है जल्द ही जाने वाले की कदर क्या उसकी यादे भी भूल जाते है | आज आप के फत्तू की कहानी मेरीजुबानी <br /><br />फत्तू की पत्नी ने अपनी बेकदरी से परेशान हो कर उसे ताना मारा की जब चली जाउंगी हमेशा के लिए तब मेरी कदर पता चलेगी | फत्तू ने झट से कहा की मै तो तेरी कदर करने के लिए तैयार हु बस एक बार हमेशा के लिए जा कर दिखा | :-)anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-24173574864972567442010-12-03T22:03:53.719+05:302010-12-03T22:03:53.719+05:30डी टी सी वालों को लाख-लाख धन्यवाद जो साढ़े बारह रूप...डी टी सी वालों को लाख-लाख धन्यवाद जो साढ़े बारह रूपये महीना में ऐसा 'कुटिल-खल-कामी' बना दिया !!! <br /> @ लेकिन थे हम वैजीटेरियन शुरू से ही, फ़ूलों की खुशबू ले लेते थे लेकिन तोड़ते मरोड़ते नहीं <br />इसे 'टोटे ताड़ना' कहते थे !! साढ़े बारह रूपये में यह भी सीखने को मिलता था.rajani kanthttps://www.blogger.com/profile/01145447936051209759noreply@blogger.com