tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post5058395933159141412..comments2023-12-21T16:22:10.490+05:30Comments on मो सम कौन कुटिल खल कामी.. ?: हम एक नहीं हैं ----संजय @ मो सम कौन...http://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-55618372733544344302012-07-26T17:46:49.933+05:302012-07-26T17:46:49.933+05:30vaddiyan hai jivaddiyan hai jiShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-53920685178184020242011-01-05T17:20:27.493+05:302011-01-05T17:20:27.493+05:30बहुत खूब संजय जी। गंभीर बात को भी हँसते हँसाते कहन...बहुत खूब संजय जी। गंभीर बात को भी हँसते हँसाते कहना कोई आपसे सीखे।सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-36562156813731077232010-10-22T05:03:40.740+05:302010-10-22T05:03:40.740+05:30इस पोस्ट का मसला ऐसा था कि कुछ भी टिपियाने से अपने...इस पोस्ट का मसला ऐसा था कि कुछ भी टिपियाने से अपने को ज़बर्दस्ती रोकता रहा (न न, कीबोर्ड के कीज़ कम हो जाने का डर नहीं था) मगर प्रति-टिप्पणियाँ पढकर कहना ही पडा - वाह!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-28216840466723157392010-10-14T10:11:53.953+05:302010-10-14T10:11:53.953+05:30भाई मो सम कौन ? जी ,
समुदायों और समूहों की इमेज बि...भाई मो सम कौन ? जी ,<br />समुदायों और समूहों की इमेज बिल्डिंग और पूर्वाग्रहों पर आपकी पोस्ट आपके पर्यवेक्षण कौशल का बयान करती है ! बस इतना ही कहूँगा कि कुछ पूर्वाग्रह विषहीन से होते है और कुछ बेहद ज़हरीले !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-87826957691868005312010-10-10T23:12:25.912+05:302010-10-10T23:12:25.912+05:30@ प्रतुल:
बन्धु, ऐसा पाप क्यों चढ़ा रहे हो यार? उक...@ प्रतुल:<br />बन्धु, ऐसा पाप क्यों चढ़ा रहे हो यार? उकसाना और क्षमा, ये सब क्या है? इतना बुड़्बक समझ लिया है क्या मुझे?<br />ऐसे कैसे जाने दूंगा तुम्हें मैं, यहाँ नहीं मानोगे तो मंडावली पहुंच जाऊंगा माफ़ी मांगने या बहस करने, जो भी कहोगे कर लेंगे। मुझे जानते नहीं हो अभी।<br />मैं खुद गौरवान्वित महसूस कर रहा था, अपन बात करेंगे न दोस्त। कोई गलतफ़हमी मत पालो, नहीं तो मैम ही खुद को माफ़ नहीं कर पाऊंगा।<br />हम बात करेंगे और जरूर करेंगे।<br />नमस्कार।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-60333795841197750652010-10-10T22:19:53.523+05:302010-10-10T22:19:53.523+05:30मित्र संजय
आपसे केवल बतरस की इच्छा थी मैंने सोचा ए...मित्र संजय<br />आपसे केवल बतरस की इच्छा थी मैंने सोचा एक मौक़ा आपने अपने लेख से मुझे दे दिया है तो थोड़ा लेते हैं आपकी मनोरंजक खोपड़ी का मज़ा. आपकी शैली और सोच से निकली बातें मन को रुचती हैं. कोई विशेष तकरार की इच्छा नहीं थी रे. आप निश्चिन्त होकर अपने कार्य करें. मैं तो बस आपसे दो बातें कर लेना चाहता था. आपकी वृहत सोच और नज़रिया मुझे बेहद भाते हैं. आपके इतने प्रशंसक यूँ ही अवतरित नहीं हो गये हैं. उनको कुछ तत्व मिलता है आपके ब्लॉग पर तभी तो आते हैं. आपसे क्षमा आपको उकसाने के लिये. फिर कभी बातें करेंगे. नमस्ते.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-67472137978930724362010-10-10T22:07:36.272+05:302010-10-10T22:07:36.272+05:30@ प्रवीण पाण्डेय जी:
अपुन और बहुत अच्छा, और आप कहत...@ प्रवीण पाण्डेय जी:<br />अपुन और बहुत अच्छा, और आप कहते हैं सीरियस में?<br />सरजी, मानहानि का मुकदमा कर दूँगा:)<br /><br />@ प्रतुल वशिष्ठ:<br />दोस्त, बहस करने की बजाय देखना ज्यादा अच्छा लगता है मुझे। फ़िर भी चुनौती है तो हार तय होने के बाद भी स्वीकार करनी ही होगी। शास्त्रों के संदर्भ नहीं दे पाऊंगा, बस अपनी देखी थोड़ी सी दुनिया के आधार पर अपना पक्ष रख सकूंगा।<br />समस्या एक और है। मुझे किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिये इस ब्लॉगीय सक्रियता से अलग होना है। जाने का समय १ दिन से लेकर तीन दिन और पूर्ववत सक्रिय होने का समय दो दिन से लेकर दो सप्ताह तक कुछ भी हो सकता है। मेरे लौटने तक रुक सकेंगे क्या? नहीं तो फ़िर इसका भी उपाय किया जाये कुछ। इतनी तो अपेक्षा है कि इसे प्लायन नहीं समझा जायेगा।<br />अंतिम निर्णय आपका ही मान्य होगा।<br />जाते जाते एक पुछल्ला:<br />एक हमारे जैसे फ़टीचर लिक्खाड़ से किसी भले आदमी ने हजार के नोट के छुट्टे मांग लिये।<br />जवाब मिला, "हजार तो क्या, सौ के भी छुट्टे नहीं हैं मेरे पास। फ़िर भी, मेरे स्तर के आदमी से हजार के नोट के छुट्टे मांग कर आपने मेरी जो इज्जत बढ़ाई है, उसके लिये मैं आपका आभारी रहूँगा।<br /><br />दोस्त प्रतुल, मैं आपका आभारी हूँ।<br />(एक जवाब पहले लिखा था, वो XXL साईज का था, ब्लॉगर से नहीं झिला और सेव करने की मुझे आदत नहीं, न पैसा और न कुछ और। XL साईज़ से ही काम चलाईये।)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-32730762832560884462010-10-10T18:50:56.468+05:302010-10-10T18:50:56.468+05:30.
ऐसा नहीं कि ये पूर्वाग्रह सिर्फ़ पंजाबियों को ह....<br /><br />ऐसा नहीं कि ये पूर्वाग्रह सिर्फ़ पंजाबियों को ही झेलने पड़ते हैं। पंजाबी, बंगाली, बिहारी, नेपाली, मद्रासी, सिंधी, मुसलमान, गांव वाले, शहरवाले, सरदार – अनगिनत पैमाने हैं जिनके आधार पर हमने अपने दिलों में पूर्वाग्रह बना रखे हैं। <br /><br />@ मित्र संजय, पूर्वाग्रह यूँ ही निर्मित नहीं होते. <br />आपने एक मोटी कहावत सुनी होगी : <br />एक मछली सारे तालाब को. ......<br />आज भी यही कहावत अन्य बिरादरियों के प्रति भी पूर्वाग्रह तैयार करने में जुटी हुई है. <br /><br />सरकारी कर्मचारी. ................<br />घूसखोर, ............... <br />ओ अच्छा तो उसकी सरकारी नौकरी है. मतलब घूसखोरी से अच्छी-खासी कमाई है. <br /><br />नेता / मंत्री ............... <br />झूठे वादे करने वाला, ........... <br />तू घणा नेता तो बणे मत. ये कर दूँगा, वो कर दूँगा. तू अपणा कर ले काफी है. <br /><br />सरकारी मास्टर ................. <br />घोर स्वार्थी, ............. <br />तो शर्मा जी गवर्मेंट स्कूल में मास्टर हैं, अच्छा तो वही तुम्हारे पडौसी हैं. फिर तो आड़े वक्त में ... तुम्हें सोचना पड़ेगा. <br /><br />मुसलमान .................... <br />गंदगी में रहने का शौकीन .......... <br />अरे भाई, मेरे घर के पास मोहमडन परिवार काफी हैं. घर लेने से पहले सोच लेना. <br />बिहारी .................... <br />कुटिल मति .................... <br />तूने दोस्ती भी की तो बिहारी से, ज़रा सावधान रहना. देखना वो जरूर उधार माँगेगा. <br /><br />पंजाबी ................ <br />चापलूस, दूसरे बिरादरी वालों को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति ....... <br />यार वो पंजाबी है उसे एक बार अपनी हाउसिंग सोसाइटी का रास्ता दिखा दिया तो मक्खन क्रीम सब कम पड़ जायेंगे, वो सोसाइटी का प्रेसीडेंट बनकर ही मानेगा, देख लेना. <br /><br />_________<br />जरा सोचें कि इनमें से कोई एक होने में हमारा या किसी का क्या योगदान है? जब जन्म लेना अपने हाथ में नहीं है तो किस धर्म में, किस देश प्रदेश में, किस लिंग में जन्म लेंगे यह कौन तय कर सकता है?<br /><br />@ पहली दृष्टि में इन सभी रहस्यों का उत्तर वही है जो आपके पास है. <br /><br />दूसरी दृष्टि में ये तर्क का विषय है. <br /><br />तीसरी दृष्टि में यह विचारें कि : <br />हमारे संस्कार और शिक्षा हमारे बच्चों का निर्माण करते हैं. <br />उन्हें जैसी शिक्षा मिलेगी वैसा परिवेश बनायेंगे. <br />क्यों मदरसों में पढ़ने वाले संकुचित सोच लिये होते हैं? <br /><br />दूसरी दृष्टि को थोड़ा विस्तार दे दूँ : <br />जैसा इस जन्म में कर्म करेंगे वैसी ही गुणवत्ता का पुनर्जन्म में परिवार पायेंगे ....... ऎसी मान्यता है. <br />अलग-अलग मशीनरियों में अलग-अलग बैटरियाँ लगा करती हैं. आप घड़ी के सेल से ट्रांजिस्टर नहीं बजा सकते और न ही मोबाइल ओन कर सकते हैं. <br />फिर कैसे कह सकते हैं कि "इनमें से कोई एक होने में हमारा या किसी का क्या योगदान है?" उत्तर के लिये विचार-विमर्श के लिये तैयार हूँ....... चुनौती है मित्र आपको. चलो छेड़ते हैं एक बहस. <br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-74150067497861734122010-10-10T18:34:34.551+05:302010-10-10T18:34:34.551+05:30बहुत अच्छा लिखा। सीरियस में।बहुत अच्छा लिखा। सीरियस में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-8262457090718331932010-10-10T18:20:41.929+05:302010-10-10T18:20:41.929+05:30@ Indranil Bhattacharjee:
सैल साहब, मैं भी यह नहीं...@ Indranil Bhattacharjee:<br />सैल साहब, मैं भी यह नहीं कह रहा कि किसी समाज में सभी लोग अच्छे या बुरे हैं, लेकिन सिर्फ़ कुछ लोगों के कारण सारे समाज को जिस नजर से देखा जाता है, वही पूर्वाग्र्ह हैं। आदमी अच्छा या बुरा हो सकता है, समाज नहीं।<br /> <br />@ नीरज जाट:<br />भाई छोरे, पहलवान कदे न हारते। <br /><br />@ निर्मला कपिला जी:<br />मैडम, आप पंजाबियों की मान हो जी।<br /><br />@ hem pandey ji:<br />इसी चीज को कोई 'unity in diversity' देखेगा और कोई 'diversity in unity', सबका अपना अपना नजरिया है जी। धन्यवाद।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-76338846986159118482010-10-10T17:38:01.982+05:302010-10-10T17:38:01.982+05:30पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा.......पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा.......hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-37081890482405381782010-10-10T12:34:46.537+05:302010-10-10T12:34:46.537+05:30अपना दृष्टिकोण और व्यापक कर सकें और मानवता को अपना...अपना दृष्टिकोण और व्यापक कर सकें और मानवता को अपना कॉमन धर्म और विश्व बंधुत्व को अपनी पहचान बना सकें तो कैसा रहे? इस से बढिया और क्या हो सकता है। वैसे बता दूँ मै भी पंजाबी हूँ। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-62887804552266752832010-10-10T08:37:57.989+05:302010-10-10T08:37:57.989+05:30फेर पहलवान जीत्ता के नी।फेर पहलवान जीत्ता के नी।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-33785331011479061322010-10-10T08:11:58.646+05:302010-10-10T08:11:58.646+05:30सही बात है ... वैसे हर समाज में अच्छे लोग और बुरे ...सही बात है ... वैसे हर समाज में अच्छे लोग और बुरे लोग होते हैं ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-6879467023280451092010-10-10T03:54:00.195+05:302010-10-10T03:54:00.195+05:30@ dhiru singh ji:
यह भी एक पूर्वाग्रह है। अधिकतर फ...@ dhiru singh ji:<br />यह भी एक पूर्वाग्रह है। अधिकतर फ़िल्मों में ठाकुर जालिम विलेन के ही रूप में दिखाये जाते हैं।<br /><br />@ अमित शर्मा:<br />ये लिखना मैं भूल गया था कि जिस पर प्रसन्न हो जायें उसकी उंगली बढ़ा भी देते हैं हम। भरथे वाली शर्त याद रखना, वो भी भोला के लिये(हमारी तो देखी जायेगी), कहीं गायब नहीं होने देंगे प्यारे, वादा है। <br /><br />@ अंशुमाला जी:<br />ज्यादा लंबी पोस्ट लिखने पर ये भुगतना ही पड़ता है जी। हर बार सब कुछ पढ़ने का समय नहीं होता लोगों के पास। हम तो इतने में ही फ़ूले नहीं समाते कि कुछ तो पढ़ा आप जैसों ने।<br />तारीफ़ वाली बात विचारशून्य ब्लॉग पर हमारी टिप्पणीयों के प्रकाश में थी। धनंजय का नाम मुझे ध्यान था, मैंने जानबूझकर नहीं लिखा था, मैं देखना चाहता था कि कितने लोगों का ध्यान छोटे लोगों के मामले पर भी जाता है। <br />आप भी केवल कमेंट के लिये कमेंट नहीं करतीं।<br />पश्चिमाग्रह वाकई मजेदार शब्द लगा था, अब आपने बताया कि डाके का माल है तो और भी अपीलिंग लगा।<br /><br />@ अविनाश:<br />राज्जा, गुलाब पर एक शेर सुनोगे? मुझे पसंद है बहुत-<br />"गुलाबों की तरह दिल अपना शबनम में भिगोते हैं,<br /> मोहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं।<br /> सुना है कि कभी हम महफ़िलों की जान होते थे,<br /> बहुत दिन से हम पत्थर हैं, न हंसते हैं न रोते हैं।"<br />वाह-वाह करना जरूरी नहीं है। वैसे अब भी गुलाब खिलते हैं क्या?<br /><br />@ उड़न तश्तरी:<br />समीर साहब, एक आप ही हैं जिसने कदर करी हमारी। न तो देख लो सारे मुझ गरीब से खुश्की ले रहे हैं। धन्यवाद आपका।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-11404437289087446542010-10-09T23:38:36.584+05:302010-10-09T23:38:36.584+05:30हमारी बड़ी और पहली पहचान तो एक भारतवासी के रूप में...हमारी बड़ी और पहली पहचान तो एक भारतवासी के रूप में होनी चाहिये<br /><br /><br />-काश!!! हम समझ पाते.....बहुत उम्दा संदेश दिया है संजय तुमने..<br /><br /><br />फत्तु के जैसे दोस्त के साथ तो घूमना भी गुनाह ही है. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-76788717690491765992010-10-09T23:05:12.750+05:302010-10-09T23:05:12.750+05:30आज तो सर जी स्माइली स्माइली है बस!
:) :) :)
एकदम ...आज तो सर जी स्माइली स्माइली है बस!<br />:) :) :)<br /><br />एकदम सच उतार दिया...बहुत सटीक संस्मरण...दोनों ही.<br />सुना है गुलाब मोहल्ले का नाम पूछ के नहीं खिलते :)Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-6341724074151811082010-10-09T22:10:13.166+05:302010-10-09T22:10:13.166+05:30@अंशुमाला जी, मैंने अपने साथ बिहारी, बंगाली, मद्रा...@अंशुमाला जी, मैंने अपने साथ बिहारी, बंगाली, मद्रासी, सिंधी वगैरह सब का नाम लिया है। शायद स्पष्ट नहीं कर पाया।<br /><br />देखा ब्लॉग पढ़ने वाले भी कोई ना कोई ग्रह ले कर पढ़ते है दो लाइने पढ़ी और सोच लिया की अब क्या टिपियाना है उसके बाद पोस्ट में लिखी दूसरे छोटी बातो पर ध्यान ही नहीं जाता | और मेरी तरह वही लिख देते है जो पोस्ट में पहले ही लिखा होता है | <br /><br />@तारीफ़ ही समझियेगा मजाक नहीं।<br /><br />अच्छा हुआ बता दिया वरना आज की खुशदीप जी की पोस्ट पढ़ने के बाद तो तारीफ लेते और देते समय एक बार सोचना पड़ रहा है |<br /><br />@पश्चिमाग्रह जोरदार लगा। <br /><br />मुझे भी जोरदार लगा इसलिए सीधा डैकैती डाल दी रंजन जी के इस शब्द पर |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-85589276310977899462010-10-09T21:24:05.954+05:302010-10-09T21:24:05.954+05:30ये ही बात हो गयी जी अब तो, हर किसी के लिए पूर्वाग्...ये ही बात हो गयी जी अब तो, हर किसी के लिए पूर्वाग्रह पाले बैठे है सब कोई. बात को समझाने के लिए जो संस्मरण बताये उनसे बात अन्दर तक पहुँच गयी.<br /><br />लेकिन अब डर भी लगने लगा है की जब आप जयपुर आओगे और अपन मिलेंगे तो आप अपने स्वभाव-वश गले लगाओगे फिर कहीं मैं ही गायब ना हो जाऊं आपसे गले मिलने के बाद :)Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-10340274302685450782010-10-09T21:20:02.367+05:302010-10-09T21:20:02.367+05:30पुरानी बात याद दिला दि आपने . एक बार अपने जान पहचा...पुरानी बात याद दिला दि आपने . एक बार अपने जान पहचान वाले के घर गये उन्होने जोर से कहा आइये छोटे ठाकुर साहब . इतना सुनकर उनका छोटा बेटा घर के अन्दर भाग कर अपनी बहिन से बोला दीदी छुप जाओ छोटे ठाकुर अपने घर आ गया है . हुआ यह था एक दिन पहले उसने एक पिक्चर देखी थी जिसमे छोटे ठाकुर बिलेन बने थे .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-86019280502215990842010-10-09T19:11:02.342+05:302010-10-09T19:11:02.342+05:30@ दीपक बाबा:
बाबाजी, बाकी सब तो ठीक है पर अब बताओ ...@ दीपक बाबा:<br />बाबाजी, बाकी सब तो ठीक है पर अब बताओ अब भी करोगे याराना फ़त्तू के ग्रुप से?<br /><br />@ anshumala ji:<br />पश्चिमाग्रह जोरदार लगा। <br />अंशुमाला जी, मैंने अपने साथ बिहारी, बंगाली, मद्रासी, सिंधी वगैरह सब का नाम लिया है। शायद स्पष्ट नहीं कर पाया। बात आपकी बिल्कुल ठीक है।<br />गाने के विषय में अपने को इतनी बैकग्राऊंड नहीं मालूम था, और अब भी अच्छा ही लगा। संगीत की कोई भाषा नहीं होती और गीत अपनी भाषा में हो तो अच्छे से समझ आ जाता है। आपकी टिप्पणी अपने आप में पोस्ट से कम नहीं होती, तारीफ़ ही समझियेगा मजाक नहीं।<br /><br />@ किशोर चौधरी जी:<br />किशोर साहब, आभारी हूँ आप पधारे।<br /><br />@ बिहारी ब्लॉगर:<br />हा हा हा, आपसे इस प्लेटफ़ार्म पर नहीं जी, रात में बात करेंगे, फ़ुरसत में। हमौ दूध के जले हैं जी, छाछ के भी। हा हा हा।<br />लेकिन हम नहीं बदले।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-9283834449947829852010-10-09T18:22:50.733+05:302010-10-09T18:22:50.733+05:30संजय भाई! बुझाता है कि आप कसम खाए हुए हैं कि जब भे...संजय भाई! बुझाता है कि आप कसम खाए हुए हैं कि जब भेंटाइएगा तब धीरे धीरे हमरे पुराना घाव पर लगा हुआ ज़िप खोल दीजिएगा अऊर जब हम चिल्लाएंगे त आप फत्तू का जोक सुनाकर अऊर लता दीदी का गाना सुनाकर घाव पर दवाई लगा दीजिएगा! आप जईसा पंजाबी से जब मिलते हैं त देखते हैं कि एगो नया घाव पैदा हो गया है दिल में. <br />हमरे भी एगो बॉस एक स्टाफ के सादी में कई लोगों के बीच बोल बैठे कि बिहारी सब चोर होता है, अऊर ई बात बेजगह अऊर बा होसोहवास कहा गया था. इसलिए हम भी थोड़ा दिमाग पर जोर डाले अऊर उनको बताए कि ऊ जिस प्रदेस से आते हैं वहाँ का चार से पाँच लोग इण्टरपोल के मॉस्ट वांटेड के लिस्ट में है. नाम भी गिना दिए, सब लोग के बीच. ऊ सकपका गए अऊर अगिला दिन हमरा ट्रांसफर ऑर्डर आ गया.चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-79625596121135213562010-10-09T15:47:11.479+05:302010-10-09T15:47:11.479+05:30@ गौरव अग्रवाल:
हाँ दोस्त, अबकी बार यही कहानी सुना...@ गौरव अग्रवाल:<br />हाँ दोस्त, अबकी बार यही कहानी सुनाऊँगा(तुम्हारा लिंक भी दे दूँगा साथ में)। एकदम सही उदाहरण दिया है। धन्यवाद<br /><br />@ अजय कुमार झा:<br />वकील साहब, आपका डैडली कॉम्बीनेशन हम जानते हैं, लेकिन हम इसे यूनिटी इन डाईवर्सिटी का उदाहरण मानते हैं।<br />वैसे आपसे बदला लेंगे जरूर, चाहे अगले जन्म में ही सही :))<br /><br />कभी लिखिये ’रामदुलारे’ के बारे में, उत्सुकता रहेगी।<br /><br />@ अदा जी:<br />क्यों बचके रहेंगे जी, हममे कौन सा किसी की भैंस खोल ली है?<br />वाईट हाऊस की तो नहीं कह सकते जी, पर अगर लाईट हाऊस का डाऊट हो किसी को तो हम उसकी पूरी सपोर्ट करते।<br />चोरी का इल्जाम कुबूल है जी। आपके हार्ड डिस्क तक पहुँच गये हम, और चुराकर लाये, गाने। हैं न फ़त्तू के पक्के चेले?<br />फ़त्तू तो जी omnipresent हो गया है आजकल।<br />हम पर चोरी का इल्ज़ाम लगाने के लिये बहुत बहुत आभार।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-82307590741423630672010-10-09T14:47:02.302+05:302010-10-09T14:47:02.302+05:30जिस विषय को आप ने उठाया है उस विषय को अगर अच्छे से...जिस विषय को आप ने उठाया है उस विषय को अगर अच्छे से समझना है तो आप एक बार मुंबई आइये आप सिर्फ पंजाबी की बात कर रहे है यहाँ भारत के हर हिस्से के लोगों के लिए एक पश्चिमाग्रह ( जी पूर्वाग्रह तो पुराना हो चूका है ) रेडीमेड बना हुआ है और सभी इससे ग्रस्त है एक दूसरे के प्रति | यहा लोग आप के नेम से ज्यादा आप के सरनेम जानने के इच्छुक होते है किसी से दो बाते कीजिये तीसरी बात यही होगी की आप का गाव कहा है मतलब की आप देश के किस हिस्से से है आप ने बताया नहीं की बन गई आप की एक छवि मराठी ,गुजराती , मारवाड़ी , यूपी वाले .बिहारी और सभी दक्षिण भारतीयों को एक कटेगरी में रखा जाता है और उसी हिसाब से उनसे बात की जाती है रिश्ते बनाये जाते है | ये सब कुछ सभी के दिल और दिमाग के गहराई में अच्छे से रच बस गया है |<br /><br />ये गाना तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता है पर ये जान कर बड़ा दुःख हुआ की इसकी धुन अमेरिकी गाने से चुरा कर बनाई गई है ओरिजनल गाना भी सुना |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-90242171914153395912010-10-09T11:35:35.171+05:302010-10-09T11:35:35.171+05:30पहला और दूसरा वृतांत करीने से जिया गया है. इनमे अप...पहला और दूसरा वृतांत करीने से जिया गया है. इनमे अपनी संस्कृति और सभ्याचार के लिए बेहद आत्मीयता झलक रही है.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.com