tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post870256495013061673..comments2023-12-21T16:22:10.490+05:30Comments on मो सम कौन कुटिल खल कामी.. ?: विचार-विमर्श संजय @ मो सम कौन...http://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comBlogger119125tag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-8319161645423616182012-09-09T10:25:32.627+05:302012-09-09T10:25:32.627+05:301. आपके पिताजी सही कहते हैं - बहस में हारता जरूर ह...1. आपके पिताजी सही कहते हैं - बहस में हारता जरूर है कोई, और दोनो भी।<br />2. आपने प्रतुत्तर सुविधा का बहुत बढ़िया प्रयोग किया है टिप्पणी-संवाद में। Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-50685921325330414032012-09-08T01:07:47.547+05:302012-09-08T01:07:47.547+05:30कई सारे कमेंट पढ़ना संभव नहीं हो पाया..जहां तक निष...कई सारे कमेंट पढ़ना संभव नहीं हो पाया..जहां तक निष्कर्ष की बात है तो जी हम तो सरदार जी की बात से पूरी तरह सहमत हैं। सारी हिम्मत तो जी बमां दी है..जे उत्थे फट रहे सी। हुण तक लेकिन ये पता नहीं चल पाया है जी कि गिरने वाले बम देख-देख कर कूद रहे थे या बिना देखे....। <br />वैसे भी जी निष्कर्ष के लिए बहस नहीं होती....बहस बड्डे काम की चीज है...इसमें निषकर्ष के पीछे न पड़कर देखा जाए तो बहस से किसी बात के अनेक पक्ष देखने को मिलते हैं। क्य़ों ठीक कहा न जी..। Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-13521904982530260612012-09-07T17:20:38.490+05:302012-09-07T17:20:38.490+05:30इतनी टिप्पणियाँ पढ़ डालीं कि पोस्ट भूल गई. अरे हाँ...इतनी टिप्पणियाँ पढ़ डालीं कि पोस्ट भूल गई. अरे हाँ, बमों की हिम्मत की दाद ही देनी होगी.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-84809038311599737002012-09-06T08:26:58.104+05:302012-09-06T08:26:58.104+05:30पाण्डेय जी इस वक्त विचारों को शून्य में झोंकते चले...पाण्डेय जी इस वक्त विचारों को शून्य में झोंकते चले जा रहे हैं। यह बात ठीक नहीं है।:)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-58761833421027051822012-09-05T20:17:04.265+05:302012-09-05T20:17:04.265+05:30साब हमसे जियादा हैं,कोई हमसे कम नहीं.साब हमसे जियादा हैं,कोई हमसे कम नहीं.alka mishrahttps://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-10458770963450915182012-09-05T18:20:08.564+05:302012-09-05T18:20:08.564+05:30पाण्डेय जी, दीप है। जब अंधेरा छाएगा प्रकट होंगे :)...पाण्डेय जी, दीप है। जब अंधेरा छाएगा प्रकट होंगे :)<br />अभी तो वे स्वयं चन्द्रकला से प्रकाशित है :)सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-80923911044494309602012-09-02T08:44:58.906+05:302012-09-02T08:44:58.906+05:30आदरणीय राकेश साहब, जल्पना और वितण्डा जैसी चीजें ...आदरणीय राकेश साहब, जल्पना और वितण्डा जैसी चीजें हमें तो पढने तक ही याद रहती हैं इसलिए बहस वगैरह में खुद को अक्षम मानने में ही समझदारी है जैसे सर्फ़ की खरीदारी में समझदारी वाला एक विज्ञापन आता था | याद दिलाने के लिए, पधारने के लिए आभार|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-27728338632758409662012-09-02T08:43:41.802+05:302012-09-02T08:43:41.802+05:30आदरणीय वीरू भाई,
हुश हुश की भी 'जय हो'...आदरणीय वीरू भाई, <br />हुश हुश की भी 'जय हो' :)<br />संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-86976489489089572872012-09-02T08:42:23.597+05:302012-09-02T08:42:23.597+05:30आदरणीय लोकेन्द्र जी, आशा तो कर ही सकते हैं न सो क...आदरणीय लोकेन्द्र जी, आशा तो कर ही सकते हैं न सो करते हैं|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-20199725657697133412012-09-02T08:41:43.840+05:302012-09-02T08:41:43.840+05:30आदरणीय सुज्ञ जी, ध्यान आया कि इसी मिथक को तोड़न...आदरणीय सुज्ञ जी, ध्यान आया कि इसी मिथक को तोड़ने के लिए कबीर मगहर चले गए थे|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-83287781357003785192012-09-02T08:40:46.521+05:302012-09-02T08:40:46.521+05:30आदरणीय काजल भाई, मैं भी तो दाद ही देना चाहता हूँ\...आदरणीय काजल भाई, मैं भी तो दाद ही देना चाहता हूँ\ था लेकिन मेरे साथ तो फ़िल्मी गाने चरितार्थ हो जाते हैं, 'जाना था जापान पहुँच गए चीन' :)<br />संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-3522339836265734872012-09-02T08:39:36.951+05:302012-09-02T08:39:36.951+05:30Respected अर्चना जी, यानी कि उपला बम पहले सुन रखा ...Respected अर्चना जी, यानी कि उपला बम पहले सुन रखा था आपने? मैं मूढ़ खुद को इसका ईजादकार मान रहा था :(संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-90745448624048560872012-09-02T08:38:40.357+05:302012-09-02T08:38:40.357+05:30आदरणीय गौरव जी,
पाण्डेय जी से हम भी यही आव्हान और ...आदरणीय गौरव जी,<br />पाण्डेय जी से हम भी यही आव्हान और अपेक्षा करते हैं लेकिन शायद हमारी मांग पर्याप्त नहीं है| मन होने पर ही बरसने वाले बादल हैं, इच्छा होने पर ही बरसेंगे| क्षमा की अच्छी कही यार, रहने दो छोडो भी जाने दो यार :)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-52477210713963868312012-09-02T06:45:15.102+05:302012-09-02T06:45:15.102+05:30:-) उपला बम ! बहुत दिनों बाद नाम सुना..:-) उपला बम ! बहुत दिनों बाद नाम सुना..Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-38460216297576487192012-09-01T23:41:13.193+05:302012-09-01T23:41:13.193+05:30विज्ञापन याद दिलाने के लिए शुक्रिया धन्यवाद.
तटस्...विज्ञापन याद दिलाने के लिए शुक्रिया धन्यवाद.<br />तटस्थता वाले मेरे ही धन्यवाद के लिए आभार| <br />सिर्फ आपको respected संबोधित करने के पीछे कोई बहुत बड़ी वजह नहीं थी| न तो पोस्ट लिखते समय और न ही चित्र लगाते समय किसी पर कोई व्यक्तिगत कटाक्ष का उद्देश्य था, लेकिन पहले रचना जी और फिर आप ने इसमें खुद को फ्रेम कर लिया| मैं ये मान लेता हूँ कि मेरे ऐसा लिखने में कोई कमी रही होगी, इसलिए अब से सोचा था कि सबको respected लिखा करूंगा, लेकिन लगता है ये भी निरापद नहीं:)<br /><br />मैं आगे निकलने वालों में होता तो हर जगह सक्रिय रूप से भाग ले रहा होता, इसलिए ये आरोप खारिज किया जाए:) संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-52812443439124021922012-09-01T19:04:22.974+05:302012-09-01T19:04:22.974+05:30इस तरह की बहसों में भाग लेने वालों की दाद देता हूं...इस तरह की बहसों में भाग लेने वालों की दाद देता हूं<br /><br />Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-85686325596047985982012-09-01T10:44:46.982+05:302012-09-01T10:44:46.982+05:30ये टिप्पणी गलती से यहाँ आ गयी..... क्षमा ये टिप्पणी गलती से यहाँ आ गयी..... क्षमा एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-57959057247187242422012-09-01T10:43:22.811+05:302012-09-01T10:43:22.811+05:30पाण्डेय जी की टिप्पणी पढ़ते ही मैं उनके ब्लॉग पर ज...पाण्डेय जी की टिप्पणी पढ़ते ही मैं उनके ब्लॉग पर जा कर देखता हूँ की शायद कोई नयी पोस्ट हो एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-23249962779156990972012-09-01T10:42:32.168+05:302012-09-01T10:42:32.168+05:30पाण्डेय जी की टिप्पणी पढ़ते ही मैं उनके ब्लॉग पर ज...पाण्डेय जी की टिप्पणी पढ़ते ही मैं उनके ब्लॉग पर जा कर देखता हूँ की शायद कोई नयी पोस्ट हो एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-53955691666651569732012-09-01T09:04:52.157+05:302012-09-01T09:04:52.157+05:30@ज्यादा समझदार, गहरी सोच - मुझे भी आपके इस...<br />@ज्यादा समझदार, गहरी सोच - मुझे भी आपके इस कटाक्ष पर कोई आपत्ति नहीं है :) <br /><br />अब आप जब इतने उदार हैं तो हम भी अनुसरण कर लेते हैं... विद्वान, विदूषियों ,चाणक्य, अरस्तू, सुकरात, प्लूटो, कन्फ्यूशियस, दयानंद, विवेकानंद, मार्क्स का उदाहरण देकर कटाक्ष करने पर कोई आपत्ति नहीं .<br /><br />बस यही सोच रहे हैं आपका कटाक्ष हमारे कटाक्ष (आपको ऐसा लगा ) से गहरा कैसे ??(तेरी साड़ी,मेरी साड़ी से सफ़ेद कैसे के तर्ज पर...पुराना विज्ञापन कहीं लोग भूल ना गए हों ,इसलिए जिक्र कर दिया )<br /><br />@ 'तटस्थ' लेबल देने के लिए, धन्यवाद| <br /><br />आपने खुद अपने बारे में निम्न वाक्य कहे हैं...फिर मुझे धन्यवाद कैसा...वो आप खुद को ही दे लीजिये.<br /><br />"समझ गए कि हम बहस करने के लिए नहीं बने," <br />"हम भी बऊंसर्स को डक्क करते हैं जी|" <br />" इसलिए किनारे बैठकर देखना पसंद करते हैं|"<br /><br />और आपने सिर्फ अकेली मुझी को Respected Rashmi Ravija ji, कह कर संबोधित किया (मुझे स्क्रोल कर के बाकी लोगों को दिए गए आपके प्रत्युत्तर देखने पड़े. ) अब इसके पीछे की वजह समझ नहीं आ रही .<br /><br />बस कटाक्ष करने में आप कई अंकों से बहुत आगे निकल गए :( :(<br />(अब ये टिप्पणी भी स्पैम में ना चली जाए )rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-11729155928760018602012-09-01T06:59:24.452+05:302012-09-01T06:59:24.452+05:30ये वाली स्पैम में नहीं गयी| ऊपर राजन के साथ भी ऐस...ये वाली स्पैम में नहीं गयी| ऊपर राजन के साथ भी ऐसा ही हुआ था, भले आदमी ने तीन कमेन्ट किये और तीनों स्पैम में गए और चौथे में स्पैम का जिक्र किया तो वो बच गई| सबक ये कि स्पैम से बचने के लिए स्पैम का जिक्र करना प्रायः लाभदायक, मंगलकारी रहता है:) संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-14605119766063795642012-09-01T06:54:05.374+05:302012-09-01T06:54:05.374+05:30Respeacted Rashmi ji,
उन किन्हीं ...किन्हीं...क...Respeacted Rashmi ji,<br /> <br />उन किन्हीं ...किन्हीं...किन्हीं सूत्रों तक मेरा धन्यवाद पहुंचाने की कृपा कीजिएगा| लेकिन ऐसे कैसे आप 'कोई आपत्ति नहीं' कह सकती हैं? आपका और दूसरों का अपमान करने के लिए ही तो मैंने ये सब किया था और आप ही 'मुझे कोई आपत्ति नहीं' कह कर निकल ली| ऐसा थोड़े ही होता है:)<br /><br />अंशुमाला जी, आप, किन्हीं... सूत्र...... गरज ये कि आप सब से शत-प्रतिशत सहमत हूँ, जैसा आपको उचित लगे वैसा ही सोचिये| आपने कोई कैफियत माँगी ही नहीं, इसलिए मैं सफाई देने से बच गया:) <br /><br />आपके प्रश्न के जवाब में जरूर कहना चाहूंगा कि जहां विद्वान, विदूषियों द्वारा चर्चा हो रही हो तो आम जन भी उधर आशा भरी नजरों से देखता ही है| अगर सभी विद्वजन ऐसा सोचते कि जो विमर्श में सक्रिय भागीदारी नहीं करते, unhen लाभान्वित होने का कोई अधिकार नहीं तो फिर चाणक्य, अरस्तू, सुकरात, प्लूटो, कन्फ्यूशियस, दयानंद, विवेकानंद, मार्क्स जैसों की विचारधाराएँ हम तक कैसे पहुँचती? <br /><br />एक धन्यवाद आपका और बनता है 'तटस्थ' लेबल देने के लिए, धन्यवाद| निष्कर्ष की जानकारी बहस वाली जगह पर ही देने का सुझाव या अनुरोध था न कि कोई आर्डर, और बाध्यता आदेश की हो सकती है सुझाव या अनुरोध की नहीं| <br /><br /><br />ज्यादा समझदार, गहरी सोच - मुझे भी आपके इस कटाक्ष पर कोई आपत्ति नहीं है :) <br />संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-30508981187913725342012-08-31T21:23:24.178+05:302012-08-31T21:23:24.178+05:30nahi ji - yah to dikh rahi hai :)nahi ji - yah to dikh rahi hai :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-38693169393832723452012-08-31T12:35:06.866+05:302012-08-31T12:35:06.866+05:30मेरी टिप्पणी स्पैम में गयी....
अब ये वाली भी ना स्...मेरी टिप्पणी स्पैम में गयी....<br />अब ये वाली भी ना स्पैम हो जाए :(rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8140631366854578091.post-53792418437986365862012-08-31T11:40:55.322+05:302012-08-31T11:40:55.322+05:30किन्हीं...किन्हीं ..किन्हीं..सूत्रों से पता चला कि...किन्हीं...किन्हीं ..किन्हीं..सूत्रों से पता चला कि यहाँ टिप्पणियों में दो बार मेरा नाम लिया गया है...एक बार <b>'रश्मि'</b> और एक बार <b>'कोई रश्मि '</b><br /><br />मुझे कोई आपत्ति नहीं...अगर इस कार्टून में मैं भी हूँ,फिर भी..अब बहस तो हमेशा से मेरे ब्लॉग पर होती आई है...कई बार दूसरे ब्लॉग पर भी सामान्य सा एक कमेन्ट कर के आती हूँ..और पता चलता है बहस शुरू हो गयी. अब ना तो कमेन्ट सायास होते हैं...ना पोस्ट..{वरना हर पोस्ट ऐसी ही लिखूं...जिसे सबलोग पढ़ें और गहरा विमर्श हो :)}<br /><br />पर इस कार्टून में तो वे लोग झगड़ा करते दिख रहे हैं...बहस/विमर्श और झगड़े में अंतर होता है,...नहीं?? :)<br /><br />अब शतक के करीब टिप्पणियाँ पहुँच चुकी हैं...मेरे बोलने को क्या बचा है...पर अंशुमाला की टिप्पणी से शत- प्रतिशत सहमत.<br /> <br />"बिना बहस के कभी भी आप अपनी बातो के लिए वो तर्क नहीं ढूंढ़ पाएंगे जो आप बहस करते हुए कर लेते है बड़ी आसानी से , ये तो लोगो की गलत फहमी है जो ये सोचते है की एक दूसरे के विचारो को जानने के लिए बहस की जाती है "<br /><br />ऐसा हमारे साथ कई बार हो चुका है. बेनामी जी के इस ब्लॉग पर लम्बी बहस हुई थी..ब्लॉगजगत के कई दिग्गजों ने अपनी बात रखी थी. और मुझे वहाँ लोगों के तर्क का उत्तर देते हुए ये आभास हुआ कि मैं विवाह संस्था की इतनी बड़ी पक्षधर हूँ. <br /> <a href="" rel="nofollow"> विवाह संस्था को अवैध घोषित किया जाए या मान्यता ना दी जाए </a><br /><br /><br />हाल में ही मेरे ये कहने पर कि सह-शिक्षा से लड़के/लड़कियों के बीच का संकोच कम होता है..और लड़के, लड़कियों को अजूबा नहीं समझते लोगो ने आपत्ति की कि हम भी सहशिक्षा में पढ़े हैं...हम तो अब भी संकोची हैं. अब इस कथन ने सोचने को मजबूर कर दिया और यह बात निकल कर आई कि पहले सह-शिक्षा नाम भर की होती थी..आपस में interaction होता ही नहीं था...संकोच कहाँ से टूटता . <br /><br />बहस हमेशा अपने ही विचारों पर मनन करने को उस पर गहराई से सोचने को प्रेरित करती है. <br />अब जो तटस्थ रहते हैं..वे ये क्यूँ सोचते हैं कि उन्हें कोई निष्कर्ष निकाल कर थमाएगा. <br />विमर्श में भाग लेने वालों की सोच में clarity आती है...हाँ, ये हो सकता है...तटस्थ रहने वाले ज्यादा समझदार हों..उनकी सोच पहले से ही बहुत गहरी हो...पर फिर उन्हें तो किसी निष्कर्ष की अपेक्षा या जरूरत ही क्यूँ?? rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com