आपने भी जरूर बचपन में ये ट्राई किया होगा। दो लगभग एक जैसे चित्र बने रहते थे और उनमें कुछ अंतर होते थे। दिये गये समय में कौन कितने अंतर ढूँढ पाता है, उसी के आधार पर जीनियस, बुद्धिमान, सामान्य आदि श्रेणियाँ मिल जाती थीं।
आईये बचपन को फ़िर से याद करें लेकिन और भी आसान तरीके से, नीचे दिये लिंक को ध्यान से देखिये और फ़िर इस आसान से प्रश्न का उत्तर देना चाहें तो दे सकते हैं -
लिंक
प्रश्न : केदारनाथ त्रासदी और इस घटना में साम्यता\संबंध बताईये।
p.s. -कृपया पोस्ट शीर्षक पर न जायें, वो दिखावटी है। शीर्षक होना तो ये चाहिये था कि ’यहाँ सब बुद्धिमान हैं।
आईये बचपन को फ़िर से याद करें लेकिन और भी आसान तरीके से, नीचे दिये लिंक को ध्यान से देखिये और फ़िर इस आसान से प्रश्न का उत्तर देना चाहें तो दे सकते हैं -
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प्रश्न : केदारनाथ त्रासदी और इस घटना में साम्यता\संबंध बताईये।
p.s. -कृपया पोस्ट शीर्षक पर न जायें, वो दिखावटी है। शीर्षक होना तो ये चाहिये था कि ’यहाँ सब बुद्धिमान हैं।
समझ नही आई पोस्ट। बुद्धिमानी की तो खैर क्या कहूँ।
जवाब देंहटाएंबुद्धिमानी की खैर मांगिये, पोस्ट समझ आये न आये।
हटाएंबु्द्धि फेल...
जवाब देंहटाएंसही बिरादर.
हटाएंकोई गलत लिंक लग गया है
जवाब देंहटाएंलगा नहीं है सरजी, लगाया गया है।
हटाएंनये सिरे से सोचता हूँ..
जवाब देंहटाएंहम तो इसीलिये अपनी अक्ल को पायजामे की जेब में रखते हैं.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
बचपन में नंदन में और अन्य कई मैगजीन्स में भी ऐसे अक्ल जांचू चित्र आते थे और वो हमारा पसंदीदा काम होता था. आपको अभी फ़टाफ़ट लिंक पर जाकर फ़र्क बताते हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अफ़्सोस लिंक पर कोई दूसरा चित्र नही है.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
आसानी के लिये एक ही दिया है ताऊ, हैंगे तो पांच-छह..
हटाएंआप ने पूछा है की आप कितने बुद्धिमान है तो फिर हमारा कर्त्तव्य बनता है की हर हाल में अपने आप को बुद्धिमान साबित किया जाये , सम्भव है की आप ने उत्तराखंड त्रासदी गूगल में लिख उससे जुडी खबर पढ़ना चाह होगा और नतीजो में सारी खबरों के साथ एक ये खबर भी आ गई होगी और आप सोच में पड गए होंगे की ये खबर आप के लिखे शब्दों के साथ कैसे जुड़ सकता है ।
जवाब देंहटाएंऔर गहरे पैठना था अंशुमाला जी...
हटाएंशायद गलत लिंक लग गया ...
जवाब देंहटाएंहाँ भी, और सरजी नहीं भी।
हटाएंजो भी है शायद इस p.s.में छुपा है - "कृपया पोस्ट शीर्षक पर न जायें, वो दिखावटी है। शीर्षक होना तो ये चाहिये था कि ’यहाँ सब बुद्धिमान हैं।"
जवाब देंहटाएंलोग शीर्षक भड़काऊ रखते हैं सुज्ञजी, हम थोड़ा हटके हैं - p.s. से भड़काते हैं।
हटाएंक्या वो वेटर भी नेपाली था.....?
जवाब देंहटाएंपता नहीं भाई, अगली पोस्ट में देखता हूँ शायद कुछ स्पष्ट हो सके।
हटाएंभाई साहब मेरी कम अकली को माफ़ी सहित
जवाब देंहटाएंलोग तब जुटे थे किसी आक्रोश में , लोग अब भी जुटे थे धर्म के आवेग में ,,
वो मंज़र रौशनी, मशालों का था, ये मंज़र यातना, रुदन और सवालों का है ,,
ये दौर भी गुजरेगा सिंह साहब।
हटाएंअकल्मन्द लोग इस पोस्ट पर दिमाग की कसरत करे बाकि लोग हमारी तरह लोगो की कमेट का इन्तिज़ार करे या फिर संजय बाबु जी की दिमागी हलचल के रुकने का इन्तिज़ार करे ...
जवाब देंहटाएंमाफ़ी नामा साथ है ...
जय बाबा बनारस....
जय बाबा बनारस..
हटाएंसाम्यता तो नहीं पर संबंध तो दिख रहा है।खबर में बाढ की वजह से ट्रेन से यात्रा न कर पाने की बात की गई है।इसके अलावा कुछ समझ नहीं आया।
जवाब देंहटाएंअगली पोस्ट में देखते हैं राजन भाई।
हटाएंकुल १७ समानताएँ है
जवाब देंहटाएंमजाल की बात को काटने की कहाँ मजाल?
हटाएंआज मानवों के कार्यों पर,शर्मसार, राक्षसी कौम भी !
जवाब देंहटाएंपतित मानवों का हिस्सा हूँ,फिर क्यों आराधना करूँ ?
आज राक्षसी,अपने बच्चे,छिपा रही,मानवी नज़र से
मानव कितना गिरा,विश्व में, क्या तेरी वन्दना करूँ !
मन न माने तो मत कीजिये आराधना-वन्दना सतीश भाई, ये तो आपकी व्यक्तिगत पसंद की बात\बातें हैं।
हटाएं...........
जवाब देंहटाएं...........
...........
pranam.
खुश रहो, आबाद रहो नामराशि।
हटाएंMujhe to aashchry ho rahaa hai Sanjay ji ki hindi bloggers kee aisee gat ? :) :)
जवाब देंहटाएंआपका आश्चर्य उचित है गोदियाल जी, सिर माथे :)
हटाएं.
जवाब देंहटाएं.
.
बुद्धिमान तो नहीं हूँ पर संबंध/साम्य बताने की कोशिश करने में हर्जा क्या है... :)
१- एक जगह स्त्री का गैंगरेप हुआ था और दूसरी जगह प्रकृति का... दोनों मामलों में करने वालों की असामान्य भूख/हवस इसके पीछे थी...
२- स्त्री के गैंगरेप की तरह ही केदारनाथ त्रासदी भी कम से कम महीने भर चर्चा में रहेगी, पूरा मुल्क परेशान सा रहेगा फिर समय बीतने के साथ बिना कोई ठोस काम किये इस त्रासदी को भुला दिया जायेगा...
३- और दोनों तरह की त्रासदियाँ घटती रहेंगी साल दर साल...
...
@ बुद्धिमान तो नहीं हूँ -
हटाएंकुछ बातों पर हमारी असहमतियाँ हैं, यह बात उनमें और जोड़ लें :)
संबंध\साम्य बहुत वाजिब बताये हैं आपने, अपना मंतव्य बेशक दूसरा था।
कहीं की ईंट कहीं का रोडा भास्कर वालो ने कुनबा जोडा
जवाब देंहटाएंखबर हैंडिग रूसी युवती का
अंदर विस्तार से खबर दिल्ली में विवाहिता से रेप की
और फोटो सारे दामिनी गैंग रेप के
अब बताईये कौन बुद्धिमान हम या भास्कर वाले ?
शुक्रिया!
जवाब देंहटाएं