(चित्र गूगल से साभार)
पिछले तीन दिन से बहुत से मित्रों के होली से संबंधित खूबसूरत, रंग बिरंगे. चित्रमय, गद्यमय शुभकामना संदेश मिल रहे हैं। अच्छा भी लग रहा था और थोड़ा सा अजीब सा अहसास भी हो रहा था। अच्छा इसलिये कि यारों की मेलिंग लिस्ट में अपना नाम शुमार है और दूसरा मूड बनने के पीछे वही भावना था कि ’तेरी कमीज मेरी कमीज से सफ़ेद क्यूँ?’ तस्वीर. शेर, दोहे, कविता ये सब अपने बूते के नहीं, इसीलिये न इतने बढ़िया बढ़िया संदेशे और पोस्ट लिख रहे हैं सारे? मुझे अहसास-ए-कमतरी करवाने के मंसूबे बांध रखे हैं सबने। सारी दुनिया दुश्मन हुई पड़ी है मेरी। देख लूँगा सबको एक एक करके और दिखा भी दूँगा, वक्त आने दो:)
इतने पर भी बस नहीं की यारों ने, कल ही बहुत से अग्रजों ने आदेश\अनुरोध किया कि होली पर कोई तड़कती फ़ड़कती पोस्ट लिखो(कहा तो दो ही बंधुओं ने था लेकिन बहुत से इसलिये लिखा है ताकि आप लोग इम्प्रैस हो जाओ कि अपनी भी डिमांड है:)) सोच रहा हूँ अपने प्रोफ़ाईल में ये लाईन बोल्ड करके लिख ही दूँ, “यहाँ आर्डर मिलने पर तड़कती फ़ड़कती पोस्ट लिखी जाती हैं:)” माना एकाध बार ऐसा हो चुका है, और हमने चढ़ाई में आकर कुछ लिख भी दिया था लेकिन इत्ते फ़रमायशी गीतमाला भी नहीं हुये हैं अभी कि फ़ट से फ़रमायश मान लें। नहीं लिखेंगे, बिल्कुल नहीं लिखेंगे। रखनी है यारी रखो, नहीं रखनी है तो मत रखो। जैसे फ़त्तू उस दिन अपने मुलाजिमों को मुखातिब हो रहा था, “Do do, not do not do. Eat your husband & lie in oven. What my goes? Your goes, your father’s goes.” पंजाबी तर्जुमा (करना है करो, नहीं करना ते ना करो। खसमां नू खाओ ते चूल्हे विच जाओ। मेरा की जांदा है? त्वाडा जांदा है, त्वाडे प्यो दा जांदा है) मैं भी कह दूंगा, “Keep keep, not keep not keep….”
कन्फ़्यूज़न था कि भारी हुआ जा रहा था कि अब कैसे रेसपांड किया जाये। जवाब न दिया जाये तो भी फ़ंसे और जवाब दें तो ऐसे अच्छे अच्छे संदेश कहाँ से लेकर आयें? अच्छा फ़ंसा इस नगरी में आके, गुड़ खाने का मन भी करता है और ..।
हंसी मजाक एक तरफ़, दो तीन बार ऐसा हो चुका है कि मैं इधर अपनी कोई पोस्ट लिख रहा हूँ, या इधर उधर कमेंट्स कर रहा हूँ और फ़ौरन बाद मालूम चला कि अभी अभी कोई त्रासदी होकर हटी है। दो घटनायें तो मुझे याद हैं ही, एक दंतेवाड़ा में नक्सलवादियों के उत्पात की खबर जब मालूम चली और अभी जापान वाली आपदा का जब मालूम चला तो इस बात का इल्म होने के बावजूद कि मेरे या हमारे पोस्ट लिखने, हँसी मजाक करने से इन बातों का कोई लेना देना नहीं है लेकिन फ़िर भी कहीं एक चीज मन को कचोटती है कि मैं इधर हँसी ठिठोली में लगा हूँ और उधर हम जैसे ही मनुष्य जीवन-मौत के बीच झूल रहे हैं। फ़िर सोचता हूँ तो दुनिया का नजरिया बेहतर लगने लगता है कि इन त्रासदियों को नहीं रोक सके तो फ़िर इन उत्सवों, राग-रंग को क्यों रोका जाये? हो सकता है मुश्किलों से जूझने का जोश इन्हीं से मिल जाये। फ़िर आपका ही बना बनाया मूड क्यों बिगाड़ा जाये।
दोस्तों, आप सबके शुभकामना संदेशों के लिये दिल से आभारी। फ़त्तू एंड असोसियेट्स की तरफ़ से आप सबको, आपके परिवार को, दोस्तों-दुश्मनों को, परिचितो-अपरिचितों को रंगों के इस त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाये।
:)) फ़त्तू एक बार घर गृहस्थी के जंजाल से घबराकर बाबाजी बन गया था। घूमते भटकते एक गांव में पहुंचा और मंदिर में रुक गया। किसी ने खाना खिला दिया तो अगले दिन भी वहीं रुका रहा। देखते देखते अच्छी सेवा होने लगी(जैसे मुझे कमेंट्स देते हो आप सब:)) एक दिन गांव वालों ने सोचा कि ये तो मुटियाता जाता है जरा इसका दम खम भी तो देखा जाये। कुछ लोगों ने जाकर पूछा, “बाबाजी, कई दिन हो गये यहाँ डेरा डाले हो। हमसे जो कुछ हो सकता है, सेवा कर रहे हैं। ये बताओ कल को हमारे भी कुछ काम आ जाओगे कि नहीं? कुछ सिद्धि-विद्धि भी है या यूँ ही ये बाना पहन रखा है?” फ़त्तू ने किसी भी समस्या से निपटने का भरोसा भी दिया और साथ में अपनी दो शर्तें भी बता दीं। पहली ये कि, “गांव की सामूहिक समस्या होनी चाहिये।” और दूसरी ये कि, “साल में एकाध बार वो यानी बाबाजी भड़भड़ा(सही शब्द तो कुछ और ही है, शायद याद नहीं आ रहा:)) जाते हैं। ब्लॉगजगत के लोगों को, सॉरी गाँववालों को तसल्ली हो गई। समस्यायें आतीं लेकिन बाबाजी की वही शर्त कि सांझी समस्या होनी चाहिये, आड़े आ जाती। कई साल बीत गये, एक बार गांव पर टिड्डी दल का भारी हमला हो गया। लोगों को कुछ न समझ आया तो भागकर फ़त्तू के पास गये और गुहार लगाई। लोगों ने कहा कि बाबाजी ये तो गांव सांझली समस्या है, आपकी पहली शर्त पूरी हो गई, कुछ उपाय करो।
फ़त्तू बोला, “भाई, इब तुम दूसरी शर्त याद कर ल्यो, साल में एकाध बार…. वाली। आज तो बस यूँ समझ ल्यो कि बाबाजी भड़भड़ा रहे हैं।”
पुनश्च: - सभी को होली की बहुत बहुत बधाई।
संजय भाई,
जवाब देंहटाएंहोली की ढेरों मुबारकबाद.
वैसे आपके ब्लॉग पर तो अक्सर ही छोटी मोटी होली चली रहती है.
आज बड़ी होली सही.
do do,not to do ...... खूब रही.
होली रंगों के इस त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाये।
जवाब देंहटाएंjai baba banaras.................
बहुत सुन्दर होली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
Happy Holi
जवाब देंहटाएंMay this festival brings many happiness in your life
Reagards
होली के रंगों संग आये आपके ब्लॉग पर ..... पर बाउजी तो बातों बातों में टरका गए........
जवाब देंहटाएंलो जी हम भी भडभडा लेते हैं, यहां :)
जवाब देंहटाएंउत्सव, उल्लास, उमंग की उत्साही भावना
जवाब देंहटाएंहो रंगों का हुड़दंग शुभ,यह फागुनी कामना।
क्या शानदार गाना है 'मोहे पनघट पे नन्द लाल छेड़ गयो रे ...'
जवाब देंहटाएंकान तृप्त ही नहीं होते सुनते सुनते.आपके ब्लॉग पर फिर फिर आना पड़ेगा.पर आप भी एक बार और मेरे ब्लॉग पर तशरीफ़ लाएं.
Holi kee dheron shubhkamnayen!
जवाब देंहटाएंसंवेदनायें साथ रहें पर जीवन का प्राकृतिक प्रवाह चलता रहे।
जवाब देंहटाएंआपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....
जवाब देंहटाएंअरे आपने तो ना ना करते करते अच्छी तड़क भड़क वाली पोस्ट डाल दी और ऊपर से सेंटी भी मार दिए हादसों के बारे में ...
जवाब देंहटाएंपर फत्तू जी को बहुत दिन बाद देखकर अच्छा लगा ...
होली की शुभकामनायें आपको और फत्तू जी को !
आपसे सहमत हूँ कि जिस तरह हम किसी हादसे को नहीं रोक सकते ... उसी तरह किसी उत्सव पर रोक लगाने की हमें कोई हक नहीं है ... और कोई मंशा भी नहीं ... पर यहाँ एक बात कहना चाहूँगा कि कोई भी उत्सव खुशी और मानवता की बात करता है ... इसलिए जब हम कोई उत्सव मनाते हैं ... तब यदि हम थोड़ी सी सहानुभूति व्यक्त कर देते हैं ... उन लोगो के लिए जो उस वक्त किसी परेशानी में हैं या जिनको जानमाल का नुक्सान हुआ है ... इससे हमें कोई नुक्सान नहीं होता है ... हमारे उत्सव में कोई व्याघात नहीं होता है ... पर साथ ही हम अपनी एक संवेदनशील छवि प्रस्तुत करते हैं ... और सच पूछिए तो ... ये मेरा अपना ख्याल है ... कि ... ऐसा लगता है कि यही इंसानियत है ...
शायद कुछ ज्यादा बोल गया ... पर वही बोल गया जो मन कह गया ..:)
दीवाली हो या हो होली, फत्तू रहें सदा बुलंद.
जवाब देंहटाएंरंग के त्यौहार में
जवाब देंहटाएंसभी रंगों की हो भरमार
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।
आपको और आपके परिवार को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो। आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो व सपनों को साकार करें। आप जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, सफलता आपके कदम चूम......
होली की खुब सारी शुभकामनाये........
सुगना फाऊंडेशन-मेघ्लासिया जोधपुर,"एक्टिवे लाइफ"और"आज का आगरा" बलोग की ओर से होली की खुब सारी हार्दिक शुभकामनाएँ..
समय मिले तो ये पोस्ट जरूर देखें.
"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!"
लिक http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com/2011/03/blog-post.html
आपका कीमती सुझाव और मार्गदर्शन अगली पोस्ट को और अच्छा बनाने में मेरी मदद करेंगे! धन्यवाद…..
होली की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंहोली पर्व की घणी रामराम.
जवाब देंहटाएंholi ki hardik shubhkamnaye.
जवाब देंहटाएंमित्र आप को भी होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंब्लॉग पढकर बहुत ही अच्छा लगा, बड़े दिनों बाद ब्लॉग जगत में कुछ नवीनतम पढ़ने को मिला| अपने इस खूबसूरत ब्लॉग से अवगत करवाने के लिए धन्यवाद, जब भी मौका लगेगा दोबारा पहुँच जाऊंगा.....
रंग-पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंत्रासदियों की निराशा से उबरने में त्यौहार पूरी मदद करते हैं ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गीत ...
पर्व की बहुत शुभकामनायें !
सराहनीय लेखन के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएं========================
आपकी लेखनी में बड़ा दम है।
लेखनी क्या मानो एटमबम है॥
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होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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होली तो हो ली
जवाब देंहटाएंआँख अब खुली
फत्तु की वापसी बडी भडाभडाती हुई, अच्छी लगी।
एक बार फिर हो ली होली की शुभकामनाये
जवाब देंहटाएं@ मो सम कौन ,
यहाँ आर्डर मिलने पर तड़कती फ़ड़कती पोस्ट लिखी जाती हैं:).....
बाई गोड क्या आईडिया मारा है, संजय भाई :-)
मैं सीरियसली कह रहा हूँ ....एक नया ब्लॉग बना लो इस काम के लिए ..
हफ्ते में, अपनी यह क्लासिक पोस्ट और ईस्टाइल छोड़ कर एक वाकई तड़कती फ़ड़कती पोस्ट लिख दिया करो और फिर देखो ज़लवा :-)
और अगर अपनी कंपनी में मुझे और दीपक बाबा को और शामिल कर लो ...
" तो फिर मेरी चाल देख लो ...."
छा जाओगे गुरु ...मान जाओ !!
जवाब देंहटाएं@ मो सम कौन ,
तुम्हारी पोस्ट के दूसरे भाग ने दुखी कर दिया यार ....
`रुलाने के लिए दुनिया में हर कदम पर लोग तैयार बैठे हैं ..बस कुशल जब तक ही है जब तक हम उनके सामने नहीं आ पायें :-(
अगर इन पहलवानों को याद करते रहें तो शायद ही दुनिया में कोई और रंग दिखेगा ...इन्हें तो सिर्फ लोगों के आंसुओ में आनंद आता है !
क्या पता कल हम हंसने लायक हों या न हों, अपनी अपनी किस्मत में जो वर्तमान पाया है हम लोगों ने, उसे ही मस्त होकर जीने की कोशिश करते हैं !
अगर दो लोगों को भी आज हंसा दें तो जीवन सार्थक हो जाए ...
सस्नेह
hame apki soch 'chori' hone ke asar nazar aa rahe
जवाब देंहटाएंhain...........'fattu' kafi din baad nazar aaye.......lekin pursukoon nazar aaye..........
naya 'istihar' bara man bhaya......
pranam.
होली तो कल ही हो ली अब शुभकामना देने से का फायदा उम्मीद है अच्छी बीती होगी अगले साल के लिए शुभकामना अभी से ले ले |
जवाब देंहटाएंआर्डर देने वाले या फरमाइश करने वाले बंधुओं का धन्यवाद कि उन्होंने हमें एक फड़कती हुई पोस्ट पढ़ने का अवसर दिया।
जवाब देंहटाएंगीत बहुत प्यारा है।
होली पर्व की अशेष हार्दिक शुभकामनाएं।
@ विशाल:
जवाब देंहटाएंविशाल भाई, do do, not do वाला एक मैसेज भेजा था एक दोस्त ने, हमने आपके आगे पेश कर दिया। प्रोत्साहन के लिये शुक्रिया।
@ Poorviya, कविता रावत जी, शालिनी कौशिक जी:
शुभकामनाओं के लिये आभारी।
@ दीपक बाबा:
बाऊजी के धोरे तो बातें ही हैं बाबाजी, पहले ही कहा था ज्यादा उम्मीद मत पाला करो हमसे।
@ अन्तर सोहिल:
जवाब देंहटाएंभड़भड़ाओ अन्तर बाबा, जरूर भड़भड़ाओ:)
@ राकेश कुमार जी:
साहब जी, बटोर लाये आशीर्वाद आपका भी और भाभी जी का भी।
@ राजेश उत्साही जी, क्षमा जी:
शुक्रिया जी बहुत बहुत।
@ प्रवीण पाण्डेय जी:
सही सलाह दी आपने।
@ दिगंबर नासवा जी:
जवाब देंहटाएंधन्य हुये सरजी, आप पधारे। आभारी हैं आपके।
@ Indranil Bhattacharjee:
सैल साहब, आपका बोलना बहुत अच्छा लगा, आज भी। सच कहूँ तो आपके ब्लॉग पर जाकर ही अपनी सोच को एक पुख्ता शक्ल दी मैंने। अपनी खुशी के पहले न सही, कम से कम साथ में औरों की तकलीफ़ के बारे में सोचें तो सही। सैल्यूट सैल भाई।
@ राहुल सिंह जी:
फ़त्तू की तो सरजी सदा होली और सदा दीवाली है:)
@ सवाई सिंह राजपुरोहित:
सवाई सिंह जी, देखी आपकी पोस्ट। अच्छे विचार हैं आपके, बनाये रखें इन्हें, शुभकामनायें।
@ prkant:
धन्यवाद प्रोफ़ैसर साहब।
@ ताऊ रामपुरिया, उपेन्द्र उपेन जी, वन्दना अवस्थी दूबे जी:
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिये आपका आभार व्यक्त करता हूँ।
@ manaskhatri:
स्वागत है दोस्त, कभी भी आईये।
@ अदा जी:
आ आ आभार..!!
@ वाणी गीत:
जवाब देंहटाएंआपको भी ढेरों शुभकामनाये।
@ डा. डंडा लखनवी:
असली दम तो डा.साहब आपके नाम में ही है:) अनुग्रहीत किया आपने, आभारी हूँ।
@ दीपक सैनी:
यानि कि खूब छनी कल:))
फ़िर से धन्यवाद दीपक प्यारे।
@ सतीश सक्सेना जी:
गुहार तो आपकी जायज है लेकिन आज तो यूँ समझ लो आप कि बाबाजी भड़भड़ा रहे हैं:)
बड़े भाई, आप लँगड़े घोड़े पर दाँव खेलना चाह रहे हो,बोले तो घाटे का सौदा:) हम तो आप जैसों के अनुगामी हैं, वहीं बने रहने दें आप। अपना टैम्पो वैसे ही आपके प्यार और स्नेह से हाई हो जाता है।
साब , एक तड़कती फ़ड़कती पोस्ट लिखने के कितने लोगे :)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहार्दिक शगुन पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://hardikshagun.blogspot.com/
@ सञ्जय झा:
जवाब देंहटाएंचुराने वाल.को भी पछताना होगा, गुनाह बेलज्जत करके:) हमें आपका कमेंट बड़ा मन भाया, धन्यवाद।
@ anshumala ji:
सहेज लेते हैं जी अगले साल के लिये, धन्यवाद।
@ mahendra verma ji:
बंधुओं का मन इस फ़ड़कन से नहीं भरता जी, ये हमें रुसवा करवाकर ही मानेंगे:)) आपकी शुभकामनाओं के लिये हृदय से आभारी हूँ सर।
@ नीरज बसलियाल:
’यक न शुद, दो शुद’ तुसी वी आ गये भाईजी मजा लेने वालों में? स्वागत है:)
@ दीपक सैनी:
रै दुश्मन, पैलम क्यूं नहीं बताई तैने, कल ही बधाई देते बालक को:)
देर से आया दूर से आया लेकिन फिर भी आया तो.
जवाब देंहटाएंजैसे आपका फत्तू लम्बे अरसे के लिए गायब हो गया था वैसे ही मैं भी होता रहता हूँ. :)
मस्त लिखा है आपने. विलंबित बधाई आपको होली की.
प्रणाम.
जिंदगी के दोनों ही रंग हैं बस साथ निभाते चलिए ! वैसे कभी नौकरी से तौबा की तो बाबा गिरी का आइडिया जम रहा है :)
जवाब देंहटाएंइसीलिये हमने फोन करके ही शुभकामनाएं निपटा दीं.. एहसास ही तो बयान करने थे.. न खुद के लिए अक्सरियत का ख्याल न दूसरे के लिए कमतरी का एहसास.. वैसे भी दोस्तों से बतियाके जब तक होली न मिली तो क्या मज़ा आया!
जवाब देंहटाएंफत्तू की खैरियत देखकर खुशी हुयी!
http://www.facebook.com/video/video.php?v=488106453977&comments
जवाब देंहटाएंआनंद लीजिये
"अहसास-ए-कमतरी करवाने के मंसूबे बांध रखे हैं सबने।" एकदम यही अपना भी मानना है। :)
जवाब देंहटाएंफत्तू साहब के जलवे तो बस... वाह!!
होली को बीते तो दिवाली हो गई, सोचा था बहादुर बने फोन करेंगे, मेल तो खैर कर ही नहीं सकना था उस दिन। लेकिन, जो देर न हो तो मेरा नाम न बदल जाए!
खैर शुभकामनाएँ तो रोज की ही दी जा सकती हैं।
शुभकामनाएं........कभी भी ........कहीं भी.......हमेशा.....
जवाब देंहटाएंयो फत्तू फेर आ लिया! हैपी होली! वैसे अब तक तो काफी हो ली।
जवाब देंहटाएंहुकुममममममम !
जवाब देंहटाएंहोली बीते तो मुद्दत हो गयी …… फ़त्तू भी भड़भड़ा लिया।…
अब तो दर्शन देना बनता है हुकुम !
nice
जवाब देंहटाएंholi aakar chali gayi....ham aaye hi nahin....sorry :)
जवाब देंहटाएंbelated happy holi :)
@ सोमेश सक्सेना:
जवाब देंहटाएंभैये आने का शुक्रिया, better late than never.बधाई के लिये शुक्रिया।
@ अली साहब:
अपने बूते तो निभा ही रहे हैं साहब। बाबागिरी वाला आईडिया पसंद अपने को भी आ रहा है:))
@ सम्वेदना के स्वर:
हमें निबटाना तो वैसे भी बहुत आसान है भाईजी:)
@ Vikas Agrawa:
विकी साहब, ले रहे हैं आनंद, धन्यवा॥ पर फ़ेसबुक से तौबा कर चुके, अपने ज्यादा जमा नहीं(तकनीकी दक्षता नहीं है न:)।
@ Avinash Chandra:
सोचा तो मैंने भी बहुत कुछ था, लेकिन मेरा सोचा हो जाये तो नाम ही न बदल जाये मेरा भी:) लेकिन कभी तो होगा ही। शुभकामनायें
@ Archana Ji:
जवाब देंहटाएंशुक्रिया हमेशा।
@ स्मार्ट इंडियन:
भैया, फ़त्तू गया वक्त तो नहीं जो फ़िर न आये, आता रहेगा।
@ Ravi Shankar:
तो देयो न दर्शन अनुज, हम तैयार हैं दर्शन करने को तुम्हारे
@ सारा सच:
thnx
@ saanjh:
सॉरी क्यूँ, अपने को आदत है:)
धन्यवाद।
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएं@ त्रासदियों को नहीं रोक सके तो फ़िर इन उत्सवों, राग-रंग को क्यों रोका जाये?
जवाब देंहटाएं- सहमत हूँ, सभी उत्सवीयों को इस बार भी शुभकामनायें!
एक फत्तू कभी अपने पास भी होता था।
जवाब देंहटाएंइटावा का हुलासी लाल, खाली शीशी-बॉटल का कबाड़ी कब अपना फत्तू हो गया पता ही न चला।
किस्से उसके भी मजेदार होते थे। अब याद करने पड़ेंगे मुझे।