मंगलवार, जुलाई 10, 2012

माने उसका भी भला, जो न माने उसका भी भला

दोस्तों,  ब्लॉगजगत में इन दिनों काफी गहमागहमी है जिसकी वजह एक विशेष गुट के लोगों द्वारा महिलाओं और उनमें भी हिंदु महिलाओं की तस्वीरों को गलत सन्दर्भ में अपनी पोस्ट्स के साथ लगाना है| ये काम  बिना उन महिलाओं की  इजाजत के किया गया और विरोध के बाद कहीं से कोई तस्वीर हट गई और कहीं से नहीं| इस काम को सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है,  उलटे सीधे तर्क देकर अपनी बात को उचित ठहराने का प्रयास किया जाता है,  चार छह लोग आकर परोक्ष-अपरोक्ष समर्थन कर जाते हैं, धमकी वाली भाषा भी  इस्तेमाल हो रही है|   इस सबसे बहुत से लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं| 

बेमतलब के पोस्ट लेबल्स लगाकर, एक एक पोस्ट को तीन-चार जगह पर शेयर करके,  चर्चाओं में बने रहने के लिए क्या-क्या नहीं किया जा रहा है? दूसरों की गरिमा से खेलने का अधिकार इन्हें किसने दिया?    वहीं दूसरी तरफ ये भी मानकर चलिए कि सिर्फ गूगल में शिकायत कर देना काफी नहीं है| ऐसा नहीं कि गूगल में शिकायत कर दिया और सब ठीक हो गया| 

वैसे मैं अपनी बात कहूँ तो मुझे इस सबसे दुःख जरूर हो रहा है लेकिन  बहुत  हैरत नहीं हो रही|  आदमी के संस्कार उसके आचार व्यवहार की गवाही दे देते हैं| बाह्य दुनिया में जहां हम लोग एक दूसरे के संपर्क में आने पर  बाडी-लैंग्वेज, भाषा, बोलचाल की शैली, रहन सहन, संगति आदि के आधार पर सामने वाले की पहचान करते हैं वहीं अंतरजाल की दुनिया में आपकी टिप्पणियाँ, आपका लेखन आपके संस्कारों व विचारों की पहचान बनता है| भाषा शैली और संगति का महत्त्व भी अनदेखा नहीं किया जा सकता| हम दूसरों को वही दे सकते हैं, जो हमारे पास है|

वर्त्तमान की घटनाओं को  सिर्फ महिलाओं के अपमान के रूप में नहीं  देखना चाहिए और न ही सिर्फ  हिन्दू धर्म पर आघात के रूप में| ये इन दोनों बातों से ज्यादा गंभीर बात है, दोनों को नीचा दिखाने का कुत्सित प्रयास है| |             हिन्दी ब्लोगिंग में सक्रिय महिलाएं  संख्या रूप में  कम नहीं  हैं, मुखर हैं और उनकी प्रतिभा को किसी  प्रमाणपत्र की जरूरत भी नहीं है| 

अपने लेखन पर, अपने विचारों पर, अपनी प्रतिभा पर भरोसा करिये|  असहमति अगर हैं भी  तो असहमति का सम्मान कीजिये| नकारात्मक होने की आवश्यकता नहीं है, सकारात्मकता अपनाइए| देश, समाज, परिवार, दोस्त क्रियाशील लोगों की तरफ बहुत आशा से देखते हैं| हम सबको अपनी जिम्मेदारी पहचाननी चाहिए,  लापरवाही से दुर्घटनाएं ही होती हैं| Ignorance is not an excuse,  मेरी राय में हमें खुद भी समय समय पर आत्मावलोकन करते रहना  चाहिए|  अपने पोस्ट्स पर आने वाले कमेंटस  में और समय समय पर अपनी फोलोवर्स लिस्ट पर    नजर रखिये|  सिर्फ भावनाओं के स्थान पर सतर्कता को भी जीवन का एक हिस्सा  बनाइये| 

आपकी आप जानें, एक सच्चरित्र   विरोधी  और  एक दुश्चरित्र   समर्थक में से एक को चुनना पड़े तो मैं यकीनन विरोधी को पसंद करूँगा| जिनके इरादे ठीक नहीं, उनसे कैसा भी सम्बन्ध बहस का, कमेन्ट का, समर्थन का अपने को नहीं चाहिए|   

मेरी बात पर यकीन करिये, जब  आप में लिखने की क्षमता है तो इंसान पहचानने की क्षमता भी जरूर है| और अपनी क्षमताओं का सही उद्देश्य के लिए इस्तेमाल न करना भी एक अपराध है| हम सब परफेक्ट नहीं हैं, लेकिन कोई भी परफेक्ट नहीं है, इस आधार पर परफेक्शन की तरफ कदम न उठाये जाएँ, ऐसा होना नहीं चाहिए| अपनी भलाई के लिए दूसरों का रास्ता मत देखिये, खुद सही रास्ते पर कदम उठाइये, जिसे आना होगा साथ आ ही  जाएगा और जिन्हें अपनी व्यक्तिगत छवियाँ सामजिक सन्दर्भों से ज्यादा प्रिय हैं, वे बेमन से आ भी गए तो क्या लाभ?   
   
और अंत में ये सब उपाय अपनाने के बाद भी कोई अवमानना करने की कोशिश करता है, अपनी हदें  लांघता है तो  क़ानून का सहारा लीजिए|  मुफ्त के इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल दूसरों को बेइज्जत करने, वैमनस्य फैलाने के लिए किया जाना खुद में एक साईबर क्राईम है| अपने पास प्रूफ रखिये और  बेशक ओनलाईन ही सही, उचित जगह पर  शिकायत कीजिये|  अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिए|  ये सब मैं आप से इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकि जहां सुधरने की उम्मीद होती है, वहीं तो कुछ कहने का लाभ है|

एक स्माईली तो लगा ही दूं न तो आपको  लगेगा कि शायद मेरी  सचिव ने पोस्ट लिख दी है :) 

संबंधित लिंक :

१.  दीपक बाबा

२.  हम होंगे क़ामयाब...

३. जनहित में जारी..

          

92 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया विषय उठाया है... यकीनन आपकी बात सच है. हाल ही में कुछेक ब्लॉग मैंने भी देखे उन पर घटिया सोच के तहत कुछ लोग कुछ तो भी चेंप रहे हैं.
    यह भी सही है कि ये एक टीम के रूप में हिन्दू संस्कृति को दुनिया की सबसे बुरी संस्कृति दिखने के लिए जी जान से जुटे हैं... अभद्र भाषा, कुतर्क इनके अश्त्र हैं.

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    1. लोकेन्द्र भाई, गौर करेंगे तो आप पायेंगे कि एक एजेंडे के तहत ये काम किया जा रहा है| सच्चाई को तो खैर सामने आना ही है, अब अपनी हरकतों से खुद ही एक्स्पोस हो रहे हैं|

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  2. आज कल मुझे पोस्ट्स के शीर्षकों के साथ बड़ी समस्या हो रही है...यहाँ शीर्षक होना चाहिए
    जो माने उसका भला, जो न माने उसपर हमला..
    ऋषिवर, कब तक आप विश्व के मित्र बने रहेंगे, अब आप दुर्वासा बन ही जाइए...
    अब हमें गाँधी की नहीं संजय गाँधी की ज़रुरत है, पहले मुझे बुरा लगता था, लगता था उसने ग़लत किया था, लेकिन आज लगता है, कुछ काम उसने बहुत ही सही किये थे...

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    1. ada ji - thanks for your post in this matter. no comment option there - so i am writing this here.

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    2. ji,
      normally nahi rahta tha - to maine assume kar liya ki nahi hai , did not even go down and check. now i have commented there, but i think it has gone to spam. thanks for the post. i don't have hindi option, sorry ..

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    3. होना तो पता नहीं क्या क्या चाहिए था, लेकिन जो हो रहा है वो भी सही है| जो होगा वो भी सही ही होगा, धीरज रखिये देवीजी - सहज पके सो मीठा होय|
      वैसे दुर्वासा क्या विश्व के शत्रु थे?

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  3. @ वर्त्तमान की घटनाओं को सिर्फ महिलाओं के अपमान के रूप में नहीं देखना चाहिए और न ही सिर्फ हिन्दू धर्म पर आघात के रूप में| ये इन दोनों बातों से ज्यादा गंभीर बात है, दोनों को नीचा दिखाने का कुत्सित प्रयास है|
    - सच्चाई कितने दिन छिपती। देर सबेर असलियत खुलनी ही थी।

    @ क़ानून का सहारा लीजिए| मुफ्त के इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल दूसरों को बेइज्जत करने, वैमनस्य फैलाने के लिए किया जाना खुद में एक साईबर क्राईम है| अपने पास प्रूफ रखिये और बेशक ओनलाईन ही सही, उचित जगह पर शिकायत कीजिये| अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिए|
    - सहमत हूँ। जैसी खाज वैसे इलाज के बिना काम कैसे चलेगा?

    @ एक स्माईली तो लगा ही दूं न तो आपको लगेगा कि शायद मेरी सचिव ने पोस्ट लिख दी है :)
    - नाम अकेला, काम दुकेला? झांसा चलता रहे तो अपना नाम, पकड़ा जाये तो सचिव का काम?

    @ आपकी आप जानें, एक सच्चरित्र विरोधी और एक दुश्चरित्र समर्थक में से एक को चुनना पड़े तो मैं यकीनन विरोधी को पसंद करूँगा|
    - बेशक़! मक्कार दोस्त रखने वालों से अधिक भाग्यशाली तो वे हैं जिनका शत्रु चरित्रवान है। हाँ, जो स्वयं चरित्रवान हों, वे और उनके मित्र सचमुच धन्य हैं!

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    1. फिलहाल तो आपके सटीक विचार जानकर हम खुद को धन्य मान रहे हैं|

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    2. सोने जैसे शब्द हैं।

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  4. आपने ज्वलंत समस्या को बड़े सहज और गंभीर तरीके से रखा है .इसके बाद भी समझाने की जरुरत पड़ती है तो श्री मान जी परम ग्यानी हैं उनका भगवान ही उद्धार करें .
    शालीनता से भी बातें कही सुनी समझाई जा सकती हैं . मुझे व्यक्तिगत रूप से दो भैया जी का लिखने का तरीका पसंद नहीं आया . मैंने उन्हें वार्न किया उनका उत्तर
    नकारात्मक आया , हमने उन आदरणीय का पोस्ट रीडिंग लिस्ट से विलोपित कर दिया साथ ही दस भले लोगो को अतिरिक्त पढ़ना शुरू कर दिया . आप भी शालीनता से
    अपनी गरिमा अनुकूल रास्ता अपनाएं . विचार अवश्य करें .....

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    1. आपकी विनम्रता की तो क्या तारीफ़ की जाए सिंह साहब| नकारात्मकता हटाकर सकारात्मकता की मात्रा बढ़ा देना, यही यहाँ उचित है|आपसे अनुरोध है कि गलत रास्ते पर चलते देखकर कम से कम मुझे अवश्य टोक दें, स्वयं को अनुगृहीत समझूंगा|

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  5. आपका सचिव बड़ा समझदार है। :)

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  6. शीर्षक एक और रखा जा सकता है- जो माने उसका भला, जो न माने उसका डबल भला।

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  7. जहां तक मै समझी हूँ ये पोस्ट एक गंभीर पोस्ट हैं और जो स्माईली लगाई गयी हैं वो एक पोस्ट से सम्बंधित हैं
    जो सन्दर्भ नहीं जानते हैं वो कम से कम पहले सन्दर्भ जान ले
    और जान कर केवल पोस्ट पर हंसी मजाक करने आये हैं वो कमेन्ट देने से पहले ये जरुर सोच ले की आप किसी लड़ाई में अगर साथ नहीं दे सकते तो वहाँ खड़े होकर हंसी ठठा ना ही करे तो बेहतर हैं

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    1. agree - with u, sanjay ji, ada ji | this is a serious issue, and u r absolutely right in what u are doing. i am surprized that there are stil ladies on their group blogs acting in various capacities. i don't have access to system and cant type hindi here. sorry.

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    2. रचना जी\शिल्पा जी,
      निश्चिन्त रहिये, गंभीर मुद्दा ही है और इसे हलके में नहीं लिया जाएगा|

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    1. शिल्पाजी, भाषा से भाव ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, हिन्दी-अंगरेजी के लिए सोरी जैसी बात मत सोचिये| आपकी उपस्थिति और राय ज्यादा महत्त्व रखती है| इन हालात में चुप रहना मुझे खुद को उचित नहीं लग रहा था| मेरी तरफ से आपको धन्यवाद|

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  9. सबको सत्य समझ आता है, और अन्ततः सत्य ही जीतता है, उछल कूद का हेतु दर्शक खींचना है महत्व कुछ भी नहीं..

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    1. अपने घर में कोई कितनी भी उछल कूद करे, हमें कोई दिक्कत नहीं| उछल कूद जब ख्वामख्वाह दूसरों को नुक्सान पहुंचाती दिखे तो ?

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  10. लेखों में लिंक देने से पाठकों को सहजता होती है ...
    क्या लिंक न देना कोई सौजन्यता है या फिर कोई अज्ञात डर
    अब इतनी फुरसत अंतर्जाल पर नहीं होती कि बस केवल इशारे की
    बिना पर यहाँ थाह लिया जाय और लिंक ढूँढा जाय !
    बात जब भी कही जाय स्पष्ट संदर्भ और प्रसंग के साथ कही जाय ..
    यहाँ बेहूदे ब्लॉगर जरुर हैं -पुरुष ही नहीं नारियां भी !

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    1. यह लिंक खोजना मुझे तो बेहद कठिन लगता है. मुद्दा ऐसा न होता तो कभी प्रयास भी न करती.
      घुघूतीबासूती

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    2. अरविन्द जी,
      जो मुझे जरूरी लगे, वे लिंक मैंने पोस्ट के अंत में दिए हैं| go green की जगह stay clean की कोशिश है ये, इसमें सौजन्यता की कोई बात नहीं| निगेटिव प्रचार-प्रसार के भूखे ब्लोग्स के लिंक देकर उनकी जड़ों को पानी देना मुझे सही नहीं लगा| आपको समझने में तकलीफ हुई, क्षमाप्रार्थी हूँ लेकिन मेरा कहने का अपना तरीका है| मैं अपनी जानता हूँ, मेरी नजर में मामला सिर्फ पुरुष और नारियों का नहीं है, आपकी नजर और आपका नजरिया आप बेहतर जानते हैं|

      घुघूती जी,
      कष्ट के लिए खेद प्रकट करता हूँ|

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    3. संजय जी, शायद बढती उम्र दिमाकी कसरत करने से रोकती है.आपको खेद महसूस करवाने के लिए और भी अधिक खेद. :(

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    4. घुघूती जी,
      no reply वाली आई.डी. ही इस 'खेद' और 'और भी अधिक खेद' की जिम्मेदार है:)
      वैसे ज्यादा कसरत वाला काम है नहीं ये, ज्यादा से ज्यादा पांचवें ओप्शन में आपका प्रयास सफल हो चुका होगा:)

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  11. चलिए आपके दिए कुछ इनडैरेक्ट लिंक में कुछ खोजता हूँ -डायरेक्ट लिंक काहें नहीं लगाए -डॉ. अनवर जामल से डर गए रे क्या बाबा :-)

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  12. उत्तर
    1. सिर्फ Attention seekers तक कोई रहे तो कुछ करने की जरूरत भी नहीं काजल भाई|

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  13. amrit ki boond ka jeevan main bahut mahatav hota hai...


    uchit samay par uchit post...

    jai baba banaras....

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    1. ब्लैकमेलिंग के मुद्दे पर आपके विचार याद हैं कौशल भाई,
      जय बाबा बनारस...

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  14. यह गुट अपनी विचारधारा की बदियां छुपाने के लिए दूसरों की परित्यक्त बदियां कुरेद कर दिखाने की दुर्भावना पालते है। इनके लिए अपनी बदियां तो ‘अन्तिम’ ‘अपरिवर्तनीय’ हलाल, और दूसरों के सुधार विकास भी हराम और विशेष में निंदाप्रद। मूर्ख हमेशा अपने दुष्कृत्य छुपाने के लिए दूसरों के सत्कर्मों का निंदा प्रचार करते है।

    अन्य विचारधाराओं के तिल जैसे विकारों को ताड़ स्वरूप प्रस्तुत कर यह दर्शाने की धूर्तता करते है कि उनकी विचारधारा के पास ईलाज है।

    यह सच्चाई है कि जो लोग दूसरों की परित्यक्त गन्दगी को कुरेद कर गंध उभारने/दिखाने का दुष्कर्म करते है वे अपनी गन्दगी में मदहोश रहते हुए पराई गन्दगी से भी सनते है।

    यह गुट मांस मदिरा मैथुन आदि पांच मकारों के उपासक है, सैक्स को इबादत मानते है, लोगो को काम-भावनाओं का प्रलोभन देकर अपनी काम प्रमुख अवधारणा वाले मत की और आकर्षित करते है इसी ध्येय की पूर्ति के लिए आलेखों में अश्लील शब्दों का संकलन करते है। क्वालीटी की जगह क्वांटिटी ही मक़सद है। तन को तो आवरण देने वाले ऐसे लोग शब्दों के बडे नंगे होते है। नारी सम्मान इनके शब्दकोष में ही नहीं, इसीलिए सज्जनता और मर्यादा का भान नहीं, जैसे मूर्ख की सारी बुद्धि घुट्ने में होती है वैसे ही इनका सारा विवेक दाढ़ी में और मर्यादा सारी लबादे तक ही सीमित होती है।

    वे भलिभांति जानते है कि अश्लील व गंदे शब्दों और महिलाओं के चित्रों से लोग आएंगे, मनचले लोगों को अपने ब्लॉगों पर लाकर अपने अन्तिम के नाम चढ़ाकर ऐसी शिक्षा का पोषण किया जा सकता है। और उन्हें सहज ही भ्रमित करना आसान हो सकेगा।

    यह सक्रियता दुराग्रहों से युक्त मंशा का योजनाबद्ध षड़यंत्र है। इन दुर्भावनाओं को इग्नोर करना मामले का स्थाई हल नहीं है, आप इनके ब्लॉग्स पर नहीं जाएंगे या इनका नामोल्लेख भी नहीं करेंगे तब भी ये समाचारों के नाम पर, विवेचना के नाम पर, चर्चा के नाम पर, पोस्ट टिप्पणी चित्र आदि किसी को भी उलझलूल आधार देकर आपको विवाद में खींच लाएंगे। यह इनका कुख्याती का कुत्सित तरीका है।

    @माने उसका भी भला, जो न माने उसका भी भला

    मान ले तो उनके प्रति यह दया अनुकंपा है और मानने में निश्चित ही भला है, किन्तु न मानने में कोई भला नहीं है सिर्फ आज़ाब की आग है।

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    1. इनके षड़यंत्र समझ रहे हैं सुज्ञ जी, कोई जल्दी समझ रहा है कोई धीरे धीरे| जो जैसा करेगा, वैसा पायेगा|

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  15. यह है बुधवार की खबर ।

    उत्कृष्ट प्रस्तुति चर्चा मंच पर ।।



    आइये-

    सादर ।।

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  16. http://indianwomanhasarrived.blogspot.in/2012/07/blog-post_10.html
    In this link there are many more links and you can see why its happening again and again

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  17. काजल जी से पूरी सहमति है। अटेंशन सीकर्स का कुछ नहीं किया जा सकता फिर चाहे वो अच्छे पक्ष का हो या बुरे पक्ष का ......ऐसे लोग अपनी चाहतें इन्हीं उलूल-जूलूल लेखों, विचारों के जरिये पूरी करते हैं।

    वैसे एक बात समझ नहीं आती कि ये जो इतने सारे ब्लॉग खोल कर बैठे हैं, रात दिन पोस्ट दर पोस्ट लिखते रहते हैं, उनकी खुद की जिंदगी कैसे चलती होगी....घर परिवार....बीवी बच्चे क्या सब तज दिये हैं ऐसे लोगों ने या कहीं से कुछ जुगाड़ है कि लिक्खे जाओ....फिनेन्स हम देंगे :)

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    1. ye sab ke sab sponcer blogger hai...


      jai baba banaras....

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    2. @ कहीं से कुछ जुगाड़ है कि लिक्खे जाओ....फिनेन्स हम देंगे :)
      कुछ तो होगा तभी इतना समय लगाया जा सकता है ...

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    3. Satish ji,

      aap ye post padhiyega..aisi hi shanka mujhe bhi hai.

      http://swapnamanjusha.blogspot.ca/2012/04/blog-post_1851.html

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    4. देखे जाओ प्यारयो| हमने सचिव का नाम लिया तो हमारे अपनों में ही किसी के हजम नहीं हुई| सबको पता है कि दो टक्यां दी नौकरी विच बन्दा क्या तो अपना घर चलाएगा और क्या स्टाफ पालेगा:)

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    5. jitni bhi association haen
      all india , hindi bloggar aur bhi blah blah un sab kae sansthapak naukri nahin kartae haen aur congress bhi join kar rakhi haen

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  18. ब्लॉगर्स की भावनाओं का मान रखते हुए उनकी अनुमति के बिना तस्वीर सन्दर्भ के रूप में नहीं दिए जाने चाहिए , दिए गये हों तो उनके ऐतराज़ के बाद इन्हें हटाना ज़रूरी है . . यदि कोई पोस्ट लिखने के बाद हटा दी गयी हो तो उसका लिंक भी नहीं दिया जाना चाहिए .
    मुफ्त मिले इस प्लेटफोर्म पर इन मर्यादाओं का सम्मान होना ही चाहिए !

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  19. दीपक जी आपका कहना सही है कुछ लोग नाजायज इस्तेमाल करते हैं दूसरों की भावनाओं का उनकी सह्रदयता का ………किसी को शराफ़त से भी कहो तो भी नही मानते अब यहाँ ऐसे लोग आ गये हैं क्या करें किस किस से कब तक लडें ? फिर भी इस ओर ध्यान देना जरूरी है और इससे आने वाले ब्लोगर्स को भी पता चल जायेगा कि कैसे उनका मिसयूज हो सकता है इसलिये सतर्कता बरतेंगे और हम भी कोशिश करेंगे आगे से सतर्क रहने की…………

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    उत्तर
    1. आपकी टिप्पणी आपके साहस को दिखाती है वन्दना जी, पढ़ने वालों के लिए अच्छा सन्देश| सजग सतर्क रहने में ही बुद्धिमानी है| अभिनन्दन स्वीकार करें|

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  20. गंभीर मसले को गंभीरता से उठाया है संजय जी.

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  21. उत्तर
    1. परहेज से शुरुआत होगी तो इलाज में और सुविधा ही होगी शिवम जी|

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  22. बड़ी गंभीरता से आपने मुद्दों को उठाया है। इस तरह की हरकतों का एक स्वर में विरोध होना ही चाहिए।

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    1. आप जैसे वरिष्ठ ब्लोगर्स का मार्ग दर्शन बहुतों के लिए अहम है मनोज जी, धन्यवाद|

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  23. वो नहीं मानेंगे

    मैं सोचता हूं कि इंटरनेट पर इस प्रकार की कार्रवाई के लिए गूगल ने ब्‍लॉगर के टर्म एण्‍ड कंडीशन में ऐसी कोई शर्त घुसा रखी होगी। एक बार उन्‍हें पढ़ लेने से ही काफी काम हल हो सकता है।

    दरअसल कई महारथी ऐसे भी हैं जो खुद गूगल को लिटिगेशन में घसीट सकते हैं। इससे बचने के लिए गूगल ने कुछ उपचार जरूर कर रखा होगा।

    उनको इसकी जानकारी नहीं होगी। (हकीकत में हमें भी नहीं है), इसलिए धमकियां भी दे रहे हैं। मैंने गौर किया है कि क्रिएटिव कॉमंस का फंडा गूगल ने नॉल पर तो लगाया था, लेकिन ब्‍लॉगर पर नहीं। यानी यहां कुछ पेच है जिससे ब्‍लॉगर की सुरक्षा अपने आप होती है। उसे खोजने पर मामला अधिक तेजी से संभल सकता है।

    बाकी आप जानते हैं वे नहीं मानेंगे, भले आप उनका भला कहें या बुरा...

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    1. आपका इशारा समझ पा रहा हूँ सिद्धार्थ जी, हम सबको इस पर गौर करना चाहिए|

      जनाब, आपने अपनी पोस्ट पर टिप्पणी का जवाब देते समय एक जगह बताया है कि आप अपनी पोस्ट्स के लिंक हर जगह नहीं बिखेरते हैं, संयोग से ऐसा कुछ मैंने अपने टिप्पणी बोक्स के ऊपर भी लिखा है| वैसे ही बता रहा हूँ कि आप जैसों के लिए ऐसा नहीं लिखा| आपकी एक पोस्ट पर तो मैं कई बार खुद कमेन्ट करने गया था और कमेन्ट ओप्शन ही नहीं खुल रहा था:)

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    2. जय हो,

      मेरे ब्‍लॉग की सेंटिंग में मैंने बहुत पहले टिप्‍पणियां बंद कर दी थी। इसके बाद ब्‍लॉगर का इंटरफेस चेंज हो गया। इसके चलते अब बाइ डिफाल्‍ट टिप्‍पणी बंद ही आ रही है। नई पोस्‍ट डालने के बाद मुझे ध्‍यान आता है कि टिप्‍पणियां बंद हैं। और कोई खास कारण नहीं है... :)

      आप बड़े खतरनाक टाइप के पाठक हैं... :)

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  24. ब्लॉगजगत में सभी की, मना रहें हैं खैर।
    ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर!

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    1. सभी की खैर मनाने के चक्कर में कभी कभी आमने सामने की नौबत आ ही जाती है शास्त्री जी|

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    2. शास्त्री जी, आपको देख कर धृतराष्ट्र याद क्यों आ रहे हैं.

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    3. भीष्म भी कह सकते हो ...

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    4. अरे यार, पोलिटिक्स की कुछ मजबूरियाँ भी होती हैं| समझा करो बात को:)

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  25. हम दूसरों को वही दे सकते हैं, जो हमारे पास है|
    बहुत बड़ी बात है ये संजय जी .....बहुत ही सटीक हैं आपके विचार आभार .....

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  26. आपकी बात से मैं शत-प्रतिशत सहमत हूं। ब्‍लागजगत में टिप्‍पि‍णयों के लिए हम प्रत्‍येक व्‍यक्ति को सम्‍मान दे देते हैं लेकिन जब उसकी भाषा और उसकी मंशा ठीक नहीं हो तो उससे किनारा कर ही लेना चाहिए। इस दुनिया में लोग अपने अपने कर्म करते हैं उनको हम कहां तक रोकेंगे? केवल हम सशक्‍त बने और ऐसा कार्य नहीं करें इस बात पर ध्‍यान देना चाहिए।

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    1. अपना भी यही मानना है अजित दी, खुद को वल्नरेबल क्यों बनने दिया जाए?

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  27. वैमनस्य फ़ैलाने एवं अपमान करने वाले लोगों से संबंध ही नहीं रखना चाहिए।

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    1. उचित यही है ललित जी और अपनी समझ में ऐसी कोशिश करता भी हूँ|

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  28. उनके ब्लॉग पर हम जाते नहीं और अपने ब्लॉग पर उनके आने पर पाबन्दी लगा दी है | अब जरुरी हो गया है की लोगों को अच्छे से समझाया जाये की वो गलत कर रहे है और इससे उन्हें भी नुकशान हो सकता है और उम्मीद है की ऐसा ही जोश हर गलत काम के प्रति सभी का होगा ना की केवल इस विषय में ही |

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    1. 'पाबंदियां' अच्छी हैं| आपकी उम्मीद के लिए आमीन बोलता हूँ|

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  29. आपके ब्लॉग पर बहुत कुछ पता चला जिससे मैं अभी तक अनभिज्ञ थी समयाभाव के कारण बहुत ज्यादा डीप तक नेट भी नहीं कर पाती एसा हो रहा है तो बहुत गलत हो रहा है रचना जी ने अभी दो दिन पहले मुझे आगाह किया है किसी के आत्मसम्मान को ठेस पहुचाये यह बर्दाश्त नहीं कर सकते आपने सही तरीके से इस मुद्दे पर प्रकाश डाला है

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  30. किसी की मर्जी के खिलाफ उसके नाम और ब्लाग का इस्तेमाल वह भी सस्ती वाहवाही के लिए बिलकुल गलत है....अदा जी ने अपनी पोस्ट में बिलकुल सही बात उठाई है.
    .
    वैसे सचिव वाला आईडिया बुरा नहीं है. हमें कुछ और नए ब्लाग बना लेना चाहिए. रिटायर्मेंट तक सचिव सम्हाले फिर हम......

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    1. सस्ती वाहवाही के मोह से बाहर आना ही उचित है|
      सचिव वाला आईडिया चोरी का है उपेन्द्र भाई:)

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    2. काश मेरा सचिव हिंदी जानता ! :( गोरा है बेचारा..
      सोच रहे हैं, उसे रैपिडेक्स हिंदी स्पीकिंग कोर्स करवा ही दें :)

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  31. First they came for the communists,
    and I didn't speak out because I wasn't a communist.

    Then they came for the trade unionists,
    and I didn't speak out because I wasn't a trade unionist.

    Then they came for the Jews,
    and I didn't speak out because I wasn't a Jew.

    Then they came for me
    and there was no one left to speak out for me.

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  32. एक विषाणु है(वायरस) हरे रंग का। बीमारी ऐसी फैलाता है कि जिसे लग जाए उस बीमार का फिर अस्तित्व ही अशांति और कलह का कारण बन जाता है। इस विषाणु से ग्रस्त लोगों को दुनिया भर की फौजें कुछ न सिखा पायीं, हम गूगल से अपेक्षा रखते हैं। समस्या विषाणु खुद है साहब! हम विषाणु फैलाने वाले रोगियों से लड़ने चले हैं। जब तक असल दुनिया में विषाणु का ईलाज नहीं हो जाता ब्लॉग की दुनिया हो या बाहर की, ये रोगी सक्रिय रहेंगे।

    सादर,
    हितेन्द्र अनंत

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  33. १५-१७ दिन बाद लौटा हूँ तनिक फुर्सत में, लेकिन जो मुद्दा है वो इतना नया भी नहीं कि पता न हो। यह सचमुच एक गंभीर बात है जिसका पुरजोर विरोध होना ही चाहिए। साइबर अपराध के कई रूपों में से एक यह भी है, जिसकी भारी कीमत उठानी पड़ सकती है ऐसे महानुभावों को।

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    1. चलो जी, अब अविनाश का कमेन्ट आ गया,अब अगली पोस्ट की तैयारी की जाए :)

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  34. एक स्माईली तो लगा ही दूं न तो आपको लगेगा कि शायद मेरी सचिव ने पोस्ट लिख दी है :)

    आपका अपना स्टाइल है लिखने का,गंभीर बात को भी बहुत सहजता से कह देने का.
    स्माईली न भी लगाते.तो भी लेख में आप ही नजर आते,

    आभार.

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  35. kya kya ho raha hai blog jagat me ?

    Fattu kanha hai.....usakee gairhazree akhartee hai.....

    Usakee upasthitee se mahaul halka pulka rahta hai.......

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