सोमवार, फ़रवरी 22, 2010

एक कदम और


आज सागर नाहर जी की एक पुरानी पोस्ट पढ़कर ये प्रयोग किया है, देखते हैं कैसा नतीजा आता है। सफ़ल हो गये तो बल्ले-बल्ले, नहीं तो हमेशा की तरह थल्ले-थल्ले। बहरहाल, सागर जी तो धन्यवाद के पात्र बनते ही हैं।



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वैसे अपनी पसंद भी शायद निराली ही है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपका प्रयोग तो सफल रहा यानि बल्ले बल्ले ही रही। श्रेय देने के लिये धन्यवाद।

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  2. badhiya hai.
    -Sagar ji ki purani posts mein aur bhi bahut si jaankariyan [podcast sambandhit ]kaam ki hain..

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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