मैंने जब स्वयं शेव बनानी शुरू की तो Topaz ब्लेड का पैकिट 5 रूपये का मिलता था।
1 पैकेट प्रयोग करने के बाद ताव में आकर उस समय का सबसे बढ़िया अर्थात सबसे महंगा शायद 25 रुपए कीमत वाला 7'O'clock का पैकेट फादर-फंड से खरीद लाया। फिर आया शेव करने का मजा। बात-बेबात दोस्तों को सुनाने में भी मजा आता था, "Topaz यूज करता है? मैं तो 7'O'clock के अलावा कोई यूज ही नहीं करता।"
लेकिन कुछ महीने बाद खुद कमाने लगा, तो लगा कि ये फिजूलखर्ची है। मैं फिर Topaz खरीद लाया। शेव बनाते समय मेरे गालों की वो हालत हुई कि बताऊंगा नहीं वरना उदाहरण दिया तो मित्रगण पोस्ट में राजनीति ढूंढेंगे। रेज़र फेरते ही लगता था जैसे कच्चा आलू छिल रहा हो। 7 ओ क्लॉक का ब्लेड 4 शेव कर देता था, टोपेज के ब्लेड से पहले 2 शेव करने की कोशिश की फिर 1 शेव तक भी आया लेकिन परिणाम वही। पता चला कि 7ओ क्लॉक जिस सड़क पर चल जाए उसे एक्सप्रेस हाईवे बना देता है, फिर Topaz उस पे नहीं चलने पाता। शेव बहुत हार्ड हो जाती है। अंग्रेजी फिल्मों में गोरों को गाल चिकनाते देखकर बैटरी से चलने वाली वाली शेविंग मशीन भी मंगवाई लेकिन वो भी कामयाब नहीं हुई।
सतबजिया ने फिर शेविंग किट पर कब्जा जमा लिया।
पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से ज्यादा मुझे ब्लेड की कीमत बढ़ने का डर सताता था। 35 या 37 रुपए तक का पैकेट तो मैंने खरीदा था, सोचता था कि इतने में तो 1 लीटर दूध आ जाता। बहुत टेंशन होती थी कि ऐसे ही शेव हार्ड होती गई तो कहीं ऐसा न हो कि कल को गालों पर तलवार ही फेरनी पड़े। फिर संयोग से मुझे 2 तलवार वाला ब्लेड ही मिल गया, डरते डरते ही सही लेकिन प्रयोग शुरू किया तो अच्छे नतीजे आये। अब ये नहीं पता कि टेक्नोलॉजी अच्छी आ गई या कुछ और बात है लेकिन कामचलाऊ शेव बन ही जाती है वो भी सस्ती कीमत में।
शेव बनाना वैसे अब भी मजबूरी वाला काम लगता है। नौकरी करने में एक बहुत बड़ी उलझन इस निगोड़ी शेविंग समस्या का भी है लेकिन यह कारण लिखकर रिटायरमेंट माँगी तो पता नहीं रिटायरमेंट मिलेगी भी या नहीं, 'सत्यं वद' सिर्फ कहने की बात रह गई है। बोत खराब जमाना आ गया है।
जब पंजाब में था तो ये बड़ी मौज थी, शेव करनी हो तो की और न की तो महीना ऐसे ही खींच दिया।
कभी मेरी सरकार आई तो पुरुषों के शेव बनाने पर पाबंदी लगवा दूंगा। इस मामले में स्त्रियाँ भाग्यशाली हैं।
छुट्टी हो तो शेव बनाने में मैं यथासम्भव टालू हूँ. दो दिन से सोचता हूँ कि अभी शेविंग करता हूँ लेकिन अब भी शेविंग का इतिहास लिखना शेविंग से ज्यादा आसान लगा।
अब तो कल ही शेव बनाऊंगा। वैसे भी हमने कौन सा कल ब्यूटी पार्लर जाना है जो भारी भीड़ मिलेगी
मितरो, जय श्री राम..
#स्वयं_शेवक
1 पैकेट प्रयोग करने के बाद ताव में आकर उस समय का सबसे बढ़िया अर्थात सबसे महंगा शायद 25 रुपए कीमत वाला 7'O'clock का पैकेट फादर-फंड से खरीद लाया। फिर आया शेव करने का मजा। बात-बेबात दोस्तों को सुनाने में भी मजा आता था, "Topaz यूज करता है? मैं तो 7'O'clock के अलावा कोई यूज ही नहीं करता।"
लेकिन कुछ महीने बाद खुद कमाने लगा, तो लगा कि ये फिजूलखर्ची है। मैं फिर Topaz खरीद लाया। शेव बनाते समय मेरे गालों की वो हालत हुई कि बताऊंगा नहीं वरना उदाहरण दिया तो मित्रगण पोस्ट में राजनीति ढूंढेंगे। रेज़र फेरते ही लगता था जैसे कच्चा आलू छिल रहा हो। 7 ओ क्लॉक का ब्लेड 4 शेव कर देता था, टोपेज के ब्लेड से पहले 2 शेव करने की कोशिश की फिर 1 शेव तक भी आया लेकिन परिणाम वही। पता चला कि 7ओ क्लॉक जिस सड़क पर चल जाए उसे एक्सप्रेस हाईवे बना देता है, फिर Topaz उस पे नहीं चलने पाता। शेव बहुत हार्ड हो जाती है। अंग्रेजी फिल्मों में गोरों को गाल चिकनाते देखकर बैटरी से चलने वाली वाली शेविंग मशीन भी मंगवाई लेकिन वो भी कामयाब नहीं हुई।
सतबजिया ने फिर शेविंग किट पर कब्जा जमा लिया।
पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से ज्यादा मुझे ब्लेड की कीमत बढ़ने का डर सताता था। 35 या 37 रुपए तक का पैकेट तो मैंने खरीदा था, सोचता था कि इतने में तो 1 लीटर दूध आ जाता। बहुत टेंशन होती थी कि ऐसे ही शेव हार्ड होती गई तो कहीं ऐसा न हो कि कल को गालों पर तलवार ही फेरनी पड़े। फिर संयोग से मुझे 2 तलवार वाला ब्लेड ही मिल गया, डरते डरते ही सही लेकिन प्रयोग शुरू किया तो अच्छे नतीजे आये। अब ये नहीं पता कि टेक्नोलॉजी अच्छी आ गई या कुछ और बात है लेकिन कामचलाऊ शेव बन ही जाती है वो भी सस्ती कीमत में।
शेव बनाना वैसे अब भी मजबूरी वाला काम लगता है। नौकरी करने में एक बहुत बड़ी उलझन इस निगोड़ी शेविंग समस्या का भी है लेकिन यह कारण लिखकर रिटायरमेंट माँगी तो पता नहीं रिटायरमेंट मिलेगी भी या नहीं, 'सत्यं वद' सिर्फ कहने की बात रह गई है। बोत खराब जमाना आ गया है।
जब पंजाब में था तो ये बड़ी मौज थी, शेव करनी हो तो की और न की तो महीना ऐसे ही खींच दिया।
कभी मेरी सरकार आई तो पुरुषों के शेव बनाने पर पाबंदी लगवा दूंगा। इस मामले में स्त्रियाँ भाग्यशाली हैं।
छुट्टी हो तो शेव बनाने में मैं यथासम्भव टालू हूँ. दो दिन से सोचता हूँ कि अभी शेविंग करता हूँ लेकिन अब भी शेविंग का इतिहास लिखना शेविंग से ज्यादा आसान लगा।
अब तो कल ही शेव बनाऊंगा। वैसे भी हमने कौन सा कल ब्यूटी पार्लर जाना है जो भारी भीड़ मिलेगी
मितरो, जय श्री राम..
#स्वयं_शेवक
bhaiji kabbi-kabbar random mere naam se post dal diya karen......matlab mamla chahe jo ho......parishthitiyan aur soch ekdum "nal-di-nal" hi bani rahti hai..........bakiya, apni sarkar awegi to hum pure bahu-mat se ee kanoon pass karayenge....pranam
जवाब देंहटाएंGood to see you after such a loooong gap Sir!!
जवाब देंहटाएंकहीं ऐसा न हो कि कल को गालों पर तलवार ही फेरनी पड़े।
जवाब देंहटाएंहा हा हा बेहतरीन
😁😁
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लेकिन थोड़ा फनी भी है
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