रविवार, अक्तूबर 23, 2011

’द वैरी बैस्ट कस्टमर सर्विस’


“ये ब्रांच बुढ्ढों की ब्रांच है, सूखी ब्रांच।” जबसे इस ब्रांच में आया, श्रीमुख से कई बार यह सुन चुका था। पुरानी ब्रांच से पर्सनल फ़ाईल आने के बाद अपनी जन्मतारीख सुबूत के तौर पर पेश करते हुये हमने निवेदन किया कि ’अभी तो मैं जवान हूँ’  फ़िर यह आक्षेप क्यों और सूखी और हरी भरी ब्रांच का कैसा वर्गीकरण?    उस्तादजी ने स्पष्ट किया कि  इस डायलाग का पूर्वार्ध  उनका नहीं है, कोई दूसरा स्टाफ़ कभी यहाँ आया था और उसने यह रिपोर्ट दी थी। इस डायलाग का उत्तरार्ध भी उनका नहीं है, लेकिन उनकी सहमति दोनों अर्धांशों से है। हमारी उम्र वाली बात ‘age is nothing but a figure’ टाईप कुछ डायलाग बोलकर खारिज कर दी गई  और सूखी-गीली संबंधी विषय पर एक और  होमवर्क   हमें थमा दिया। “बैंक वालों की तरफ़ से सबसे अच्छी कस्टमर सर्विस कब होती है?”  गये थे नमाज पढ़ने और रोज़े गले बँधवा कर उस दिन हम घर लौटे।  रात भर मगजमारी किये और अगले दिन और भी थका हुआ चेहरा लेकर जब बिना जवाब लिये हाजिर हुये तो हमें पकड़ कर आईना दिखा दिया कि देखो, ये किसी जवान का चेहरा है?  फ़िर खुद ही अपने पिछले दिन के  सवाल का जवाब दिया, “बैंक वाले सबसे अच्छी कस्टमर सर्विस दशहरे से दिवाली के बीच देते हैं। और यह जवाब सिर्फ़ इस सवाल का नहीं है बल्कि सूखी ब्रांच क्या और कैसे होती है, इसका भी है। त्यौहार है  कि बस ब्ल्यू लाईन की तरह सिर पर आने को है और यहाँ कोई पार्टी दिखती ही नहीं है।” हमारे ज्ञान चक्षु खुल गये।

आज कुछ छिटपुट किस्से इसी विषय पर हो जायें।

आजकल चैक बुक पर नाम, एकाऊंट नंबर आदि प्रिंट होकर आता है। ग्राहक से चैक बुक रिक्वीज़िशन स्लिप भर कर आ जाने के बाद हम लोग ऑनलाईन डिमांड  दे देते है और लगभग बारह दिन में चैकबुक प्रिंट होकर आ जाया करती है। मुझे हैरानी हुई जब इन दिनों यह समय सीमा बारह दिन की जगह सात-आठ दिन की हो गई। आश्चर्य व्यक्त करने पर इसका श्रेय यह कहकर  दीवाली को दिया गया कि इन दिनों में मुर्दे भी उठकर ड्यूटी पर हाजिर हो जाते हैं। जो स्टाफ़ सदस्य शाम के समय घड़ी की सुईयों को देखकर पैक अप कर लिया करते थे, इन दिनों में स्वेच्छा से देर तक बैठने को तैयार रहते हैं। फ़लस्वरूप कार्य की गति बढ़ जाती है।

उस्तादजी ने पुराना एक वाक्या बताया कि एक बार एक पार्टी सभी स्टाफ़ सदस्यों को दीवाली पर सूट लेंग्थ दे गई थी। अभी वो सज्जन ब्रांच में ही थे कि एक स्टाफ़ सदस्य बोला, “आ गया एक और खर्चा, कपड़ा दे दिया गिफ़्ट में और सिलाई और टाई?” कस्टमर समझदार था या मौके पर बात कहने वाला, ये फ़ैसला आप करें लेकिन  सतना लिफ़ाफ़ा  प्रकरण  हमारे उस्तादजी कई साल पहले ही देख\दिखा चुके हैं। मेरी सरल सी जिज्ञासा कि उस्तादजी वो टोकने वाले सज्जन आप के सिवा …? वैसे हमारे  उस्ताद जी मंद मंद मुस्कुराते हुये बहुत भले दिखते हैं।

ऐसे ही एक और किस्से में उन्होंने बताया कि एक बार इतने पैकेट इकट्ठे हो गये थे कि मैनेजर साहब से शिकायत करनी पड़ी कि इन डिज़ाईनर पैकेट्स में से  इतने के तो गिफ़्ट नहीं निकलेंगे जितना टैक्सी का किराया  जायेगा। मैनेज करना ही तो मैनेजर का काम है,  मैनेज किया  मैनेजर साहब ने बल्कि करवाया उस्ताद जी ने।
एक स्टाफ़ जो हरित शाखा से  अपेक्षाकृत सूखाग्रस्त शाखा में दीवाली से दो महीने पहले ही स्थानांतरित हुआ था, पहले तो स्थानांतरण स्थगित करवाने में जुटा रहा, असफ़ल रहने पर उसने दीवाली वाले सप्ताह में अवकाश ले लिया। ये किस्सा तो मेरे सामने ही घटा था, अपन समझते थे कि ये उनका प्रोटैस्ट का तरीका है। बाद में पता चला कि वो सप्ताह उन्होंने पुरानी ब्रांच में बिताया।

किसी स्टाफ़ के छुट्टी पर रहने पर उससे जूनियर को अस्थाई रूप से उस पद पर काम करवाने की परिपाटी रही है, ताकि कार्य में व्यवधान न पड़े। बदले में उस स्टाफ़ को कुछ अतिरिक्त भत्ता जिसे ऑफ़िशियेटिंग अलाऊंस या विशेष भत्ता कहते हैं, प्रबंधन की तरफ़ से दिया जाता है। एक शाखा में एक अधिकारी का पद काफ़ी समय से खाली था और एक दूसरा जूनियर कर्मचारी दो तीन महीनों से उस पद पर ऑफ़िशियेट कर रहा था। कुछ ग्राहक ऐसे होते हैं जो पद के हिसाब से गिफ़्ट दिया करते हैं, जब उनका गिफ़्ट पैक उनके मूल पद के हिसाब से मिला तो उन्होंने ये शिकायत मैनेजर से की,  और आवाज उठाने की कीमत केबिन में रखे पैकेट्स की मार्फ़त  मनपसंद पैकेट्स से सवाई-ड्यौढ़ी वसूल की।

बैस्ट फ़ार्मूला लगा अपने को अपने भोला का, दीवाली के मौके पर वो बना देता है अपना छोटा सा चाईना बाजार,  हर माल पचास रुपये। किस डिब्बे से क्या निकले, इस सब से उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था। सीधा सा हिसाब, जितने पैकेट      X     रु. 50\-.        उसमें भी  कोई सौ-दो सौ की ऊपर नीचे  कर ले तो अगला हिसाब किताब नहीं रखता था। सैंकड़ों में रकम पहुँचते ही उसका कैल्कुलेटर काम करना बंद कर देता था।

सबकी बता दी, अपने बारे में तो कुछ भी नहीं कहा। ये सब मैं ही तो हूँ, मेरी ही मल्टीपल पर्सनैल्टी के अलग अलग रूप अपने पूरे उरूज पर। जिन लोगों के काल्पनिक किस्से सुना देते हैं, वो सब मेरे ही तो वो रूप हैं जो मैं होना चाहता हूँ लेकिन कभी किसी का मन रखने के लिये, किसी की नाराजगी के डर से हो नहीं पाता।      अपने सुख, अपने लाभ के लिये कभी उस्ताद जी का रोल प्ले करता हूँ, कभी भोला का, कभी इसकी तरह व्यवहार करता हूँ, कभी उसकी तरह। जो अच्छा हो गया, उसका श्रेय अपनी अक्ल को, अपनी हाजिरजवाबी को और जब मनमाफ़िक न हुआ तो किसी दूसरे के सिर पर ठीकरा फ़ोड़ दिया। और तो और उस ऊपर वाले को भी नहीं बख्शता। तकलीफ़ के समय तो खूब याद कर लेता हूँ और जरा सा आराम मिलते ही फ़िर यहीं का होकर रह जाता हूँ।

खैर,  बहरहाल. anyway जो भी हो अपनी तो पहली सरकारी दिल्ली वाली दिवाली है,  उम्मीद से हैं :))           जुटे हैं उस्ताद जी के कहे अनुसार ’द वैरी  बैस्ट  कस्टमर सर्विस’ करने में, जो होगा सिर माथे पर।  आगे कभी हो सकता है अपने भी किस्से कोई सुनाकर अपना और दूसरों का टाईम खोटी करें।

:) फ़त्तू  पशु मेले से भैंस  लेकर आया। घर तक पहुँचते पहुँचते जिस किसी से आमना सामना हुआ,  खरीद मूल्य बताते बताते दुखी हो गया। दुखी भी ऐसा कि भैंस बांधते ही कुँए में छलाँग लगा दी। सारा गाँव इकट्ठा होकर फ़त्तू को कुँए से निकलने की पुकार करने लगा, जैसे ब्लॉग जगत में……...। फ़त्तू ने आवाज लगाई और पूछा, “सारे गाम आले आ लिये अक कोई सा रै रया है?”  जब कन्फ़र्म हो गया कि सब आ लिये तो वो भी बाहर निकल आया और फ़िर अपना सवाल दोहराया, “सारे गाम आले आ लिये अक कोई सा रै रया है?”   फ़िर से कन्फ़र्मेशन मिल गई तो जोर से बोला, “भैंस आई सै चालीस हजार की, अबके किसी ने पूछ लिया तो उसने इसी कुँए में गेर दूँगा।”

हैं तो अपन भी कुँए में ही, लेकिन भरोसा है उसपर,  जिसने वादा किया है डूबने न देने का और निभाया भी है। फ़त्तू की तरह  सबको एक साथ ही विश कर देते हैं।
दोस्तों,  सारे ब्लॉग मित्रों को  और उनके परिवार को ’शुभ दीपाभली’  :)) 
भीतर-बाहर का सब अंधेरा दूर हो और चारों तरफ़ खुशियाँ, उल्लास अपना प्रकाश बिखेरें,  दिल से कामना करता हूँ।


55 टिप्‍पणियां:

  1. संजय भाई सबसे पहले मैं आया हूँ गाँव वालों का तो पता नहीं कहाँ गायब हो गये है, दीवाली की शुभकामनाएँ,
    आपसे मिलने का मन है अपना ठिकाना बता देना मिलने आ जाऊँगा।

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  2. ग्राहक सेवा का उम्र से क्या सम्बन्ध है, किंगफिशर वालों से जाकर पूछा जाये।

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  3. हमारी शुभकामनाएं. अब की दीवाली एक दम गीली ही हो. शाखा के प्रोफाइल का पता नहीं है वर्ना भविष्यवाणी एकदम सटीक रहती.

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  4. badiya kissgoi ke bahane haalaton ko sajeev chitran...
    deepawali kee aapko bhi spariwar haardik shubhkamnayen!!

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  5. असफलता नियति और सफलता अपनी योग्‍यता व उद्यम का परिणाम? ... स्‍वीकारोक्ति के साथ तम पर विजय पाती किरण.

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  6. शुभकामनाएं ||

    रचो रंगोली लाभ-शुभ, जले दिवाली दीप |
    माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||
    घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
    लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर व्यापारी |
    नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
    दो बच्चों का साथ, रचो मिलकर रंगोली ||

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  7. आपकी यह उत्कृष्ट प्रविष्टि कल दिनांक 24-10-2011 के सोमवारीय चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी। सूचनार्थ

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  8. संजय भाई,
    सूखी ही सही.
    पर दीपावली मुबारक.
    यहाँ तो हाल उलटा है भाई.
    लेने के देने पड़ते हैं अपने यहाँ तो.
    ग्राहक को खुश भी रखो और खुश भी करो.

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  9. ये पोस्ट में कहीं लिखा दिख रहा था कि आप उम्मीद से हैं :)

    माजरा क्या है भई :)

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  10. मैं सोच ही रहा था कि दिवाली का "सीज़न" है, गिफ़्ट पैक में एक पोस्ट तो आनी चाहिये। किस्से पढकर कितनी यादें लौट आयीं। लगता है कि इन सबको पहचानता हूँ। कभी विनम्रता से, कभी बेरुखे से मना करते लोग भी और सूट की सिलाई मांगने वाले भी।
    बहुत कुछ सीखा उन सबसे, वह लिखना भी उधार है अभी तक।

    शुभकामनायें!

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  11. पोस्ट में भी काम की व्यस्तता झलक रही है।
    दिपावली की ढेर सारी शुभ कामनाएँ..
    व्यस्त रहें...ऐसे ही मस्त रहें।

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  12. याद दिला दिया हमे भी अपने बैकरो की खातिर करनी है

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  13. सपरिवार आपको भी शुभ दीपाभली !!

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  14. इस हिसाब से तो हम अकाल ग्रस्त प्रभाग में पदस्थापित हैं!! मगर यह दृश्य तो पिछले कई सालों से अपनी कई शाखाओं में भी देखते हैं.. मगर एक बात है..हमारे यहाँ वर्षभर मेहनत से ग्राहक सेवा करते हैं लोग और दीवाली के दस दिन पहले से आंधी/पानी/तूफ़ान/जीना/ मरना/ सामाजिक अनुष्ठान आदि को त्याग कर सेवाओं की पूर्णाहुति में समर्पित हो जाते हैं!
    ऐसे में हमारी शाखाओं पर बड़ा जुलुम हुआ (भगवान सात घर दुश्मन को भी यह दिन ना दिखाए).. पिछले हफ्ते ही कई लोगों का तबादला कर दिया गया और तुरत कार्यमुक्त भी! कितने सूखाग्रस्त इलाके में गिरे और कितनों को चाशनी नसीब हुई!
    लगता है टिप्पणी काफी लंबी हो गयी.. लोग ये न कहें कि अपनी खीझ निकाल रहा है यहाँ पर!! सों विदा!!

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  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  16. भगवान करे रोज दीवाली हो, ग्राहकों को त्वरित सेवा मिले और बैंक वालों को भरकम मेवा!...भगवान यह भी करे (और जल्दी करे) जिससे आपकी ब्रांच का सूखा मिटे, वह तरावट को प्राप्त हो!! आमीन!
    दीवाली आपको भी मुबारक।

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  17. आज फत्तू दिवाली के गिफ्ट के रूप में आया है

    सोच रहा था भाई साहब इतने दिन से कहा गायब थे आज पता लगा की
    उम्मीद से है :)) (पहली सरकारी दिल्ली वाली दिवाली) की

    आपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाये

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  18. बैंक में भी गिफ्‍ट? अरे यह तो हमें पता ही नहीं था। शुभकामनाएं।

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  19. इसी कस्टमर सर्विस के देनदार पूरी की पूरी दिल्ली ही जाम कर देते हैं, दिवाली आने से पहले. कुछ तो, डाकिये की तरह दिवाली के पैकेट नौकरों के हाथ भेज कर चैन की बांसुरी बजाते हैं

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  20. इस प्रस्तुति से बैंक के भीतर की कार्य-प्रणाली की जानकारी मिली।
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  21. कस्टमर सर्विस की जानकारी रोचक ढंग से प्रस्तुत की ...

    दीपावली की शुभकामनाएं

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  22. कुछ ऐसी बातें हैं, चीजें है जिनकी व्यक्ति-विशेष से समय-विशेष पर प्रतीक्षा रहती है।
    सातवाँ अनुच्छेद एक ऐसी ही चीज है। :)
    फत्तू की आमद भली लगी।
    दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं आपको और आपके सभी प्रियजनों को।

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  23. आपकी पोस्ट पर किस्से पढते पढते दिमाग पता नहीं कहाँ कहाँ भ्रमण कर आता है :)


    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार कीजिए.

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  24. दीवाली का उपहार, और कर्मचारियों के पैसे किल्लत...
    खूबसूरत प्रस्तुति....

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
    chandankrpgcil.blogspot.com
    ekhidhun.blogspot.com
    dilkejajbat.blogspot.com
    पर कभी आइयेगा| मार्गदर्शन की अपेक्षा है|

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  25. @ उम्मीद १ ,
    आपके उम्मीद से होने पे काफी जोर दे रहे हैं भाई बंद :)

    @ उम्मीद २ ,
    ब्रांच स्टाफ से सूखी सही पर ग्राहक तो हर किस्म के , यानि कि हरे भरे भी होंगे :)

    @ उम्मीद ३ ,
    किंग फिशर वालों से पूछ कर क्या पता चला वो हमें भी बता दिया जायेगा :)

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  26. @ जाट देवता:
    मिलते हैं संदीप भाई, बहुत जल्द। और खुशी होगी एक निखालिस घुमक्कड़ के साथ मिलकर।

    @ प्रवीण पाण्डेय जी:
    बैंगलुरू वाले ही आपस में पूछ कर हमें और अली साहब को बतायें तो बात बने।

    @ सुब्रमनियन सर:
    आपकी शुभकामनायें सिर माथे पर।

    @ कविता रावत जी:
    धन्यवाद कविता जी, आप को भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक बधाई।

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  27. @ राहुल सिंह जी:
    नतीजा कुछ भी हो, विजयपथ पर चलने की कोशिश हमेशा रहेगी सर।

    @ रविकर:
    दिनेश जी, आपका त्वरित तुकबंदी कर देना अचम्भित कर देता है। शुभकामनाओं के लिये बहुत बहुत शुक्रिया।

    @ चन्द्र भूषण मिश्र जी:
    आभारी हूँ सर।

    @ sagebob:
    विशाल भाई,
    जो तेरा हाल है वो मेरा हाल है - इस हाल से हाल मिला:)

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  28. @ सतीश पंचम:
    वो कत्ल भी करें तो चर्चा नहीं होता,
    हम आह भी भरें तो हो जाते हैं बदनाम...

    हम काहे नहीं हो सकते भाईजी उम्मीद से? :)

    @ स्मार्ट भाईजी:
    उधारी चुकाईये जल्दी से,आपकी शैली में ये सब पढ़ना और भी मजेदार रहेगा।

    @ देवेन्द्र पाण्डेय जी:
    मस्त हैं पाण्डेय जी अपन,आपकी सुबह की सैर जारी है न? जारी रहे। दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।

    @ धीरू सिंह जी:
    आपका प्लान तो कल जान लिया था, देखिये आपके बैंकर कब पकड़ पाते हैं.:)

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  29. @ संगीता पुरी जी:
    धन्यवाद मैडम, आपको भी बहुत बहुत बधाई।

    @ चला बिहारी..:
    सलिल भैया, पोस्ट प्रोमोशन गीली पोस्टिंग(दिल्ली में ही) हेतु शुभकामनायें।

    @ अदा जी:
    उम्मीद से ही तो दुनिया कायम है देवीजी, आपको व आपके परिजनों को भी दीपावली की लख लख बधाईयां, हां नहीं तो...

    @ SKT:
    ये हुई न बात त्यागी साहब, हमारी भी जय जय तुम्हारी भी जय जय। सेवा-मेवा का काकटेल मस्त है।

    जवाब देंहटाएं
  30. @ दीपक सैनी:
    सही है राज्जा, अपने मोबाईल का इन्बॉक्स भी चैक किया करो कभी कभी:) भाई साहब तो गायब हैं सो गायब हैं, भाई साहब के तुम जैसे भाई कौन सा बड़े सक्रिय हैं?

    @ Ajit gupta ji:
    हमें भी कई साल बाद पता चला था ये खेला। ज्यादा समय तो प्रशासनिक कार्यालय में या ग्रामीण शाखाओं में रहे, वहाँ ये सब नहीं होता।

    @ काजल कुमार जी:
    सही कहा जी, वैसे तो हम जैसों को जाम से मतलब होता है, साकी से नहीं।

    @ महेन्द्र वर्मा जी:
    जानकारी तो जानकारी ही है सर, काम आती है।

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  31. @ संगीता स्वरूप जी:
    स्वागत है संगीता मैडम।

    @ अविनाश चन्द्र:
    अपने संविधान में सातवाँ अनुच्छेद ही फ़र्जी है डियर :)
    तुम्हें भी ढेरों शुभकामनायें।

    @ दीपक बाबा जी:
    यही तो मिशिर जी कहते हैं, भटकाऊ पोस्ट:)

    @ चन्दन:
    खुशामदीद चन्दन जी।

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  32. सबसे पहले ये बताये की कौन सा महिना चल रहा है ! ज्यादा भारी गिफ्ट न उठाये इन महीनो में ज्यादा भारी सामान उठान ठीक नहीं होता है | ज्यादा काम से कोई फायदा भी नहीं होने वाला है इ सब बुजुर्ग लोगो की फैलाई धारणा है की इन महीनो में किया गया ज्यादा काम बाद में अच्छा फल देता है जबकि ऐसा होता नहीं है बस काम करवाने का इन बुजुर्गो का तरीका होता है , इसलिए बाकि के महीनो की तरह आराम करे ये आने वाली पीढ़ी के लिए ठीक होगा :)))

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  33. @ वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता,
    हम आह भी भरें तो हो जाते हैं बदनाम.....

    आहें भी किसिम किसिम की होती हैं बंधु....और जैसा कि अंशुमाला जी ने संकेत किया है इन महीनों में भारी काम नहीं करना चाहिये....सो आप तनिक अपनी आहें संभाल कर भरा किजिए वरना लोग कनखियों से ताकते हुए पूछ ही बैठेंगे - भाई साहब, कौन सा महीना चल रहा है.... :)

    वैसे नौवां तो सितम्बर जाते साथ पूरा हो गया था आप अक्टूबर में भी ढोए चले जा रहे हैं ....कहीं गिनने में गड़बड़़ी तो नहीं किये थे :)

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  34. आप ने तो सबको एक साथ बधाई दे दी. अब फत्तू को एक-एक कर गाँव वाले वापस अपने-अपने भैंस का दाम बताने लगते तो? यहाँ तो वापस देने का हिसाब भी है. :)
    दिवाली शुभ हो जी !

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  35. आपको तथा परिवार को दीवाली मंगल मय हो !

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  36. पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
    ***************************************************

    "आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

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  37. कल फत्तू का फोन आ गया और लगा रोने कि भैया भुला दिया हमें... बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई... सों यह कमेन्ट सिर्फ फत्तू के लिए कि संजय बाउजी ने भी हल्ला मचा दिया, जो हमने व्यक्तिगत रखा था... आते रहो भाई!
    और यू ट्यूब की वापसी भी सुखद!! बहुत ही सुन्दर प्रार्थना!!

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  38. vilamvit subhkamnayen swikar ho........

    bakiya diyali par fattu ki wapsi bhali lagi.......


    pranam.

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  39. आपकी प्रस्तुति का अंदाज ही निराला है.
    मुझे तो आपने मस्त मस्त कर डाला है.

    आपकी इस मस्त मस्त प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
    दीपावली गोवर्धन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
    आपका इंतजार है.

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  40. मेरे भाई मेरा साहस गिरने नही देते। आज इस गीत की बहुत जरूरत थी और सुन कर फिर से सेहत के लिये एक आशा की लौ ले कर जा रही हूँ। धन्यवाद संजय जी। शुभकामनायें।

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  41. संजय भाई आपका इंतजार है.

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  42. भावपूर्ण टिपण्णी के लिए हृदय से आभारी हूँ आपका,संजय भाई.

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  43. संजय भाई,
    शुक्रिया, मणे बचाने का गर कंई गलती से पूछ बैठता तो फ़त्तू ने तो गेर डाला था कूंये में।आने में मणे देर सी हो गई!

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  44. किस्सागोई का अंदाज मन को भा गया. बहुत बधाई.

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  45. आपका पोस्ट अच्छा लगा ।मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।

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  46. मेरे एक सहकर्मी थे। बोलते थे कि नवम्बर-दिसम्बर में हम काजू बदाम खाते हैं। बाकी दस महीने मूंगफली!

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  47. अब तक तो दूसरी पोस्ट आ जानी चाहिए थी...उम्मीद ने क्या रंग दिखाए :)

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  48. दीवाली तो बरसात में आनी चाहिए, बिल्कुल हरी भरी, पानी भरी.
    फत्तू को चाहिए अगली बार भैंस खरीदने जाए तो साथ में चॉक भी ले जाए.चॉक गीला करके भैंस के दाम उसकी पीठ पर लिख दे.कमसे कम पढ़े लिखे तो दम नहीं पूछेंगे.
    घुघूतीबासूती

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  49. कैलकुटेर को फॉर्मेट करवाकर उसमें नया सॉफ्टवेयर डलवाने का समय आ गया है हुजूर। तभी मन को विजय करने वाली वह शक्ति मिलेगी जिससे मंदी के दौर में भी दीवाली मने।

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  50. आपके पोस्ट पर आकर अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट भोजपुरी भाषा का शेक्शपीयर- भिखारी ठाकुर पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद

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  51. कुछ ज्यादा ही देर से आया....मजा आ गया लेकिन...

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  52. kalam me jadoo hai........
    Fattu se ek arase baad mile use tanhaa na chode ye hee guzarish hai .
    aapkee vyangatmak shailee sir aankho par .

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  53. आपकी ये रचना कल चर्चा में चर्चामंच पे रहेगी !

    सादर

    कमल

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  54. bahut der se aae aapkee ise post par ab to naye saal kee dastkhat darwaze par hai.........
    salil se kuch dino pahile baat huee thee aapke kushal mangalkee jaankaree milee thee.
    Always best wishes .

    जवाब देंहटाएं

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