मंगलवार, मई 01, 2012

Blog Weather Report - मौसम का हाल, मो सम की ज़ुबानी


बोल्ड हवाओं के चलते  ब्लॉग प्रदेश में उच्च तापमान एवं वायुदाब का वातावरण बना हुआ है| चक्रवाती हवाओं के चलते बहुत से ब्लॉगर अपने खेमों से छितरकर नए नए खेमिक समीकरण के जुगत में लगे हैं| वायु में प्रदूषण  की मात्रा बेतहाशा बढ़ गयी है और आद्रता प्रतिशत भी सत्तर से पचहत्तर प्रतिशत पहुँच रहा है|   मूसलाधार बारिश के आसार बन रहे हैं और  झमाझम बरसात से होने वाले संभावित खतरों को देखते हुए कुछ विद्वानों ने अपने ताजे ताजे निर्माण भी खुद ही ढहा दिए हैं|  हर साल कोसी गंडक में आने वाली बाढ़ के समय की स्थिति से आज के माहौल की तुलना की जा सकती है क्योंकि  एक तरफ  जनता जनार्दन में ऊहापोह की स्थिति है, वहीं रिलीफ पार्टी\ ठेकेदार लोगों की बांछें खिलने के समाचार भी प्राप्त हुए हैं|   आगे क्या होता है, देखेंगे हम लोग ....|

:) एक बार एक लड़का खडा होकर MV  कर रहा था(शहरी संस्कृति में यह बहुत सामान्य बात है लेकिन गाँव देहात में इसे ठीक नहीं माना जाता), फत्तू  ने देखा और उसे समझाने की कोशिश की| लड़का तो एक नंबर का छंटा हुआ था,  उसने बात मानने से साफ़  मना कर दिया| अब फत्तू भैया भी पक्के परोपकारी थे सो उस लड़के के घर चले गए कि इसके बाप को शिकायत की जा सके|  उसके घर जाकर देखा, बापजी घूम घूमकर वही कर रहे थे जो उनका सपूत खड़ा होकर कर रहा था|
  
कई दिन से ये बात रह रहकर याद आ रही थी, और अब काशी के आसी वाले  कवि  सम्मलेन से सम्बन्ध रखती एक कविता जो कई साल पहले  एक मित्र से सुनी थी, वो थोड़ी थोड़ी  याद आ रही है - बड़े बड़े विद्वान तुम्हा.............|

ब्लॉग जगत की जय हो,
कर्ता धर्ता,  साहित्यकारों, कूटनीतिज्ञों, कवियों, लेखकों की जय हो|

समुद्र मंथन हुआ था तो हलाहल निकला था, लेकिन उसके बाद(ही)  अमृत भी तो प्राप्त हुआ था न? 

                                                       

                                         


  

55 टिप्‍पणियां:

  1. ladke log khade ho kar hi mv karte hain...yah suvidhajanak hai aur kapde bhi kharaab nahin hote

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सही फरमाया है जनाब, आप तो यूं भी खिलाड़ी हैं शब्दों के|
      मेरी समझ में इस बात में फोकस घूम घूमकर करने वाले पर है, लड़के के बाप पर| पूरी विनम्रता से कह रहा हूँ जी, कहीं आप को ये भी तल्खजबानी लग गयी तो एक और कहर टूट पड़ेगा मुझपर|

      हटाएं
    2. भाई साहेब घूम घूम कर करने वाले या तो अबोध बच्चे होते हैं या अपवाद, इसलिए जाने दो कमबख्तों को, जैसा करें, वैसा करने दो . जहाँ तक बात तल्खज़बानी की है, तो ये चलता रहता है और चलना भी चाहिए....मीठा होना बड़ा आसाँ है पर खारा हो कर, सच का साथ देना विरले लोगों का ही काम है . आप इस काम में निष्णात हैं तो ये मेरे लिए भी गर्व की बात है. भले ही आप मेरे मित्र नहीं हैं जनाब, परन्तु हिन्दी और हिन्द के हितचिन्तक तो हैं ही..........ये मेरे लिए पर्याप्त है . मेरे ब्लॉग पर आपकी तल्ख़ टिप्पणियों का सदा स्वागत होगा और बाकायदा आपसे भी ज़्यादा तल्ख़ लहज़े में होगा ...........अरे जो कड़वा सच न बोल सके वो कहे का कलमकार ?
      जय हिन्द !

      हटाएं
    3. मैं शायद उतना निष्णात नहीं हूँ अलबेला जी, और कलमकार तो नहीं ही हूँ| मित्र हूँ या नहीं हूँ, मैं शत्रुत्रा किसी से नहीं रखता और वैसे भी आप पहले से ही बहुत लोकप्रिय हैं, आपसे मित्रता न रखने वाला ही तो घाटे में रहेगा, उसकी मुझे आदत है:)
      छोटी सी ये दुनिया, पहचाने रास्ते हैं तो मेरे से भी ज्यादा वाले .. का सुयोग कभी न कभी मिलेगा ही, लाभान्वित हो लेंगे| सच के बारे में मैं भी कुछ ऐसा सोचता हूँ, कि जो कडवा सच न सुन सके वो कैसा इंसान?
      स्नेह दिखाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार|

      हटाएं
    4. सच सुनना सच को स्वीकार करने का मार्ग प्रशस्त करता है और सच बोलना, सच को बल देने का काम करता है ....सच आखिर सच है मित्र ! और सच ये है कि इस जाल में सभी पंछी फंसे हुए हैं .....स्वार्थ के दलदल में धंसे हुए हैं वरना कौन किसका विरोधी है ? कौन से ज़मीन-जायदाद के झगड़े हैं यहाँ.........

      हटाएं
    5. लो यहां तो सुनामी आते आते बची। वैसे जवाब सवाल अच्‍छे रहे। सही है कि पहले ही चेतावनी दे दी जाए तो बेहतर है।

      हटाएं
    6. अलबेला जी और सञ्जय जी की परस्पर की चर्चा काफी दिलचस्प लगी.

      हटाएं
    7. गाँव के कुछ छोटे बालकों के बीच एक प्रतिस्पर्धा होती थी.... जो घूम-घूमकर पूरा गोला बना ले-हिम्मती होता था, और जो उससे अधिक गोले बनाए टोली का नेता हो जाता था.

      हटाएं
  2. दो चार दिनों से बाहर रहा नेट से.. मगर कमबख्त मौसम के थपेड़े से कहाँ बचना हो पाता है.. अब आपकी मौसम भविष्यवाणी कोई मेट विभाग (एम्.वी.) की तो है नहीं यकीन ना किया जाए!! खासकर तब, जब मौसम की बोल्ड हवाओं में सारे ठेकेदार अपने-अपने टेंडर लेकर लाइन में खड़े हैं... और टेंडर बिना वज़न रखे तो पास होता नहीं, लिहाजा हर कोई बढ़-चढ़कर 'भार' डालने में लगे हैं..!! फत्तू कमाल और गाना सटीक, मौसमानुकूल!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. 'भार' को सहन करना भी कोइ कम हिम्मत की बात नहीं है सलिल भैया:)

      हटाएं
  3. जबरदस्त तूफानी रिपोर्ट, मगर लगा जैसे अधूरी छोड़ दी ....
    अगला भाग भी जल्द आना चाहिए !!

    जवाब देंहटाएं
  4. चक्रवाती हवाओं के चलते बहुत से ब्लॉगर अपने खेमों से छितरकर नए नए खेमिक समीकरण के जुगत में लगे हैं| वायु में प्रदूषण की मात्रा बेतहाशा बढ़ गयी है....... समय के साथ छंट जाएगी गंदगी.

    जवाब देंहटाएं
  5. बेटे और बाप की कहानी मेरी पहली नौकरी के बैंक-रक्षक ने सुनाई थी। शीशराम जी की बताई घटना आज भी उतनी ही सच है। जहाँ दुनिया में नालायक बाप-बेटे हैं तो वहीं अजातशत्रु भी मौजूद हैं, यह भी देख लिया।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अजातशत्रुत्व की भावना और कामना तो है ही, बाकी तो बन्दे के हाथ में कोशिश ही होती है उसमें कोई कमी नहीं|

      हटाएं
  6. मंच तैयार है, मंथन यहां शुरू हो गया है, आशा है फल-प्राप्ति तक चलता रहेगा.

    जवाब देंहटाएं
  7. कही पर निगाह है कही पर निशाना , क्यूँ समझे ना ब्लॉग जमाना !

    जवाब देंहटाएं
  8. चेतावनी देते देते तूफ़ान ही थम गया यह तो ...बड़ा धोखेबाज निकला ..लगता है फिर आएगा ...! गर्मी का मौसम है !

    जवाब देंहटाएं
  9. लेख से प्रेरित |
    शुभकामनायें भाई जी ||

    इक कंकड़ रख सड़क पर, एम् वी ठोकर मार |
    कितने फुट जाता खिसक, खेलें साथी चार |

    खेलें साथी चार, धार की महिमा गाते |
    मिलकर सारे यार, अधिकतम पांच बढाते |

    रविकर आता बाप, डांट कर उन्हें भगाता |
    खेल खेल में सात, फीट वह खुद सरकाता ||

    जवाब देंहटाएं
  10. bare hokar bachhe wali baat.......kya kahte hain aap......

    pranam.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जो समझ आया, वही कहते हैं भाई वो भी इसलिए कि यहाँ किसी से पूछना नहीं है और जहां स्वतंत्रता होती है वहीं तो अपने मन की कह सकते हैं.

      हटाएं
  11. gaagar main saagar lakin samajh se pare..


    jai baba banaras...

    जवाब देंहटाएं
  12. मस्त मौसम!!

    लेकिन अवसरवादी को तो अवसर चाहिए……
    एक कहेगा कि बारिश में भीगने का अपना आनन्द है तो दूसरा विरोध करते हुए भी बारीश में भीगकर दिखाएगा कि इसमें क्या मजा है?

    जवाब देंहटाएं
  13. संजय बाऊ - इक सलाह दे रया हाँ, Blog Weather Report नू रेगुलर कर दे, ते जिंद खबरं विच स्थान दा नक्शा ते ना दस्ते हन उंझ तू वी रिपोर्ट विच ब्लॉग दा ना ते फोटू नाल छापा कर.

    प्रयास वधिया लगा जी, बोत वधिया.

    जवाब देंहटाएं
  14. इतनी छोटी पोस्‍ट की कल्‍पना नहीं होती।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मैंने भी सोचा कि इस पोस्ट को कुछ बड़ा होना चाहिए था... रस आते-आते भंग हो गया.

      हटाएं
    2. बेकार की बात को ज्यादा खींचना भी बेकार है न, इसीलिये जल्दी समेट लिया.

      हटाएं
  15. पक्का है न कि अमृत के बाद विष आयेगा, कहीं महाविष आ गया तो।

    जवाब देंहटाएं
  16. उत्तर
    1. इस रिस्क के चलते प्रोग्राम केंसिल कर देते हैं जी :)

      हटाएं
  17. उत्तर
    1. TRP वाले मामले में बाबे की यूं ही फुल किरपा हैगी धीरू भाईजी लेकिन TRP से होगा क्या?

      हटाएं
  18. बहुत कठिन है डगर ब्लागगिंग घट की

    झटपट भर लाओ 'साहित्य' की मटकी :)

    कित्ती वड्डी-वड्डी कालजयी रचनाएँ

    ब्लॉग से न जाने कब जायेंगी झटकी ;)

    हाँ नहीं तो..!

    जवाब देंहटाएं
  19. बदलते मौसम की बलिहारी बाबा! फ़कीर लोग रुकें कि अगला दरवाज़ा देखें!

    जवाब देंहटाएं
  20. ब्लॉग का मौसम तो बाढ़ वाला ही रहता है...हर कोई भांज रहा है...पढ़ने वालों का (ज्ञान को पीने वालों का) टोटा है...लिहाज़ा बाढ़ का आना स्वाभाविक है...

    जवाब देंहटाएं
  21. शुक्रवार के मंच पर, लाया प्रस्तुति खींच |
    चर्चा करने के लिए, आजा आँखे मीच ||
    स्वागत है-

    charchamanch.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  22. मौसम तो चकाचक है! आपकी तबियत तो ठीक है?

    अस्सी की तर्ज पर कमेंट में लोग ठीक ही कह रहे हैं...

    छोटी है, कुछ और लम्बा तान... :)

    जवाब देंहटाएं
  23. bhaisaheb ghoomte ghoomte chakkar aa gaya...aapke blog pe sahityik tareeke se baad pratibaad padhne ka alag hee anand hain..aapke lekho aaur tarko ka kabeerpanthi style ..jiski atma me sach basta hai man ko prafullit kar deta hai..sadar pranam ke sath

    जवाब देंहटाएं
  24. इस बात चीत में मज़ा आया...

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  25. मौसम का हाल रोचक रहा...

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  26. नाप के जितना वजन रखना चाहिए, आप हमेशा उतने ही रखते हैं।
    ये कोई आसान बात नहीं है।

    :)

    जवाब देंहटाएं
  27. संजय जी नमस्कार आपका लेख और विडियो देखा बहुत बढ़िया लगा.अपने अंको का इतिहास में लीलावती के बारे में जानना चाहा था. मैंने लीलावती भिलाई के सेण्टर लायब्रेरी में पढ़ी थे.संस्कृत तो बड़ा कलिस्ट था पर उसका हिंदी टीका मजेदार लगा.प्रकाशक का नाम तो याद नहीं आ रहा है.पर आपको आपके सहर के किसी भी अच्छी लायब्रेरी में मिल ही जाएगी.मै भी प्रकाशक का नाम पता करवा कर बताता हु. सार्थक कॉमेंट्स के लिए धन्यवाद सहित विवेक राज सिंह अकलतरा

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत बेहतरीन....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  29. सीधी सी बात को तिरछा करके कहने की कला आपमें खूब है।

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं

सिर्फ़ लिंक बिखेरकर जाने वाले महानुभाव कृपया अपना समय बर्बाद न करें। जितनी देर में आप 'बहुत अच्छे' 'शानदार लेख\प्रस्तुति' जैसी टिप्पणी यहाँ पेस्ट करेंगे उतना समय किसी और गुणग्राहक पर लुटायें, आपकी साईट पर विज़िट्स और कमेंट्स बढ़ने के ज्यादा चांस होंगे।