मैं दलित, वंचित या पिछड़ा नहीं हूं,
मैं तय मापदंड से नीचे के आय वर्ग से भी नहीं हूं,
इसके अतिरिक्त मैं अल्पसंख्यक भी नहीं हूं,
और तो और मैं नारी भी नहीं हूं।
तो यह तय रहा कि मैं शोषक अगड़ा हूं,
मैं खून चूसने वाले पूंजीवादी वर्ग से हूं,
इसके अतिरिक्त बहुसंख्यक होने के कारण देश की सांप्रदायिक विषमताओं से मुझे कोई डर नहीं है,
और मैं नारी उत्पीड़न गिरोह का सक्रिय सदस्य हूं।
क्या मेरे इतने अपराध कम हैं मुझे सज़ा देने के लिये?
आखिर सदियों से मेरे मर्द पुरखों ने अपनी शक्ति का दुरूपयोग किया है,
मैं अभिशप्त हूं कि आरोप सहूं और सज़ा भुगतूं
खुद भी और अपने आश्रितों को भी घुटते हुये जीते देखूं
आखिर सदियों से…..
मेरे दुख झूठे हैं क्योंकि मैं हंसता दिखता हूं,
मेरा प्रलाप व्यर्थ है क्योंकि ये दिखावा है,
मुझे सज़ा मिलना ठीक ही है,
जिसे दुख होता है, वो हंस थोड़े ही सकता है।
ये किसने कहा था मुझसे मेरे बचपन में ही?
कि मर्द को दर्द नहीं होता।
ओह, तभी मुझे दर्द नहीं होता है,
या जो होता है वो दर्द नहीं कुछ और है।
बेशक मैं अपने आप को एक भारतीय मानता होऊं,
मेरी असली पहचान तो यही है कि
मैं एक अगड़ी जाति का, मध्यम आय वर्ग का मर्द हूं।
ये किसने कहा था मुझसे मेरे बचपन में ही?
जवाब देंहटाएंकि मर्द को दर्द नहीं होता।
ओह, तभी मुझे दर्द नहीं होता है,
या जो होता है वो दर्द नहीं कुछ और है।
Mard ko dard hota hai ya nahi...par yadi aap insaan hain to jaroor hota hoga...
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जवाब देंहटाएंपहचान को लेकर सराहनीय प्रयास।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
जवाब देंहटाएंअगड़े मध्यम वर्ग के दर्द को अच्छी तरह अभिव्यक्त किया है आपने।
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर पहली बार आया और आपका मुरीद हो गया...आप की भाषा शैली और विचार मुझे बहुत अलग और अच्छे लगे...मैंने देखा है के अपनी फिल्मों और साहित्य की रूचि भी कमोबेश एक जैसी ही है...अपने जैसे सरफिरों से मिलकर हमेशा अच्छा लगता है :))
जवाब देंहटाएंगमन फिल्म का गीत सुनकर आनंद आ गया...शहरयार साहब को सलाम.
नीरज
यही सब तो मै हूं . मेरे लिये लिखने पर बधाई .
जवाब देंहटाएंअपना दर्द बयाँ करने से हमेशा रह जाता है यह वर्ग ! यह आवाज़ आपने दी इसे ! बेहतरीन ! आभार ।
जवाब देंहटाएंआह! वाह! बेहतरीन अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ! मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और अपनी टिपण्णी छोड़ने के लिए ! आप ज़रूर आइयेगा, आपका हमेशा स्वागत है ! अपनी टिपण्णी और सुझाव देना मत भूलियेगा ! आपकी यह कविता मुझे अच्छी लगी क्यूंकि इस मनोव्यथा को मैं भली भांति जानता हूँ ! जो कहना मुश्किल है उसे शब्दों में असरदार तरीके से कह पाने के लिए बधाई ! आप का लेखन हमेशा देखना पसंद करूंगा ! लीजिये मैं तो आपके ब्लॉग का follower बन गया !
जवाब देंहटाएंसंजय जी.....नमस्कार...
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो माफ़ी चाहूँगा... क्या करूँ.... टाइम ही नहीं मिल पाता है.... मन ऐसा हो रहा है कि जल्दी से जल्दी लखनऊ पहुंचूं....आपकी बेहतरीन अभिव्यक्ति के साथ सुन्दर प्रस्तुति दिल को छू जाती है.... अभी जब तक बाहर हूँ.... तब तक थोड़ी अनियमितताएं बनी रहेगीं..... Plz bear wid me till then... .. आपकी यह पोस्ट भी बहुत अच्छी लगी..... विडियो देख रहा हूँ.... आपका कलेक्शन बहुत ही लाजवाब्ब होता है..... यह विडियो भी हमेशा की तरह ..... वन ओफ दी बेस्ट है.....
सादर
महफूज़....
लक्षणा और व्यंजना, प्रतीक और बिंब की तो कविता होती है, प्रभावी भी, लेकिन सीधी सच्ची बात कितनी असरदार होती है, (कविता है या नहीं, समीक्षक तय करें.) दिखी.
जवाब देंहटाएंराहुल जी के सौजन्य से आपकी ये कविता पढ़ी. हमें तो सच में पता नहीं था कि आप कवि भी हैं. बधाई अच्छी कविता के लिए.
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